जयपुर 21, अगस्त पिछले साल 32.3 करोड़ भारतीयों ने स्मार्ट फोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल किया। इंटरनेट पर निर्भता के मामले में भारतीय, दुनिया में नंबर 1 पर हैं। 82: भारतीयों ने ये भी कहा कि वो इंटरेनेट के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते है। मार्केट रिसर्च फर्म, इपसोस द्धारा किये गये हाल ही सर्वेक्षण में ये आकड़े सामाने आये है। स्पष्ट रूप से, अधिक से अधिक भारतीय अपने मोबाइल फोन पर इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। यह व्यवहार , एम हैल्थ को अपनाना का एक कारण हो सकता हैं।
भारत में रोगीयों की संख्या वितरित तरीके से बढ़ रही है। यहां तक कि बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचना भी चुनौती है क्योंकि संसाधन पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में एक वैकल्पिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण चैनल के रूप में एम हैल्थ के लाभ उठाने के लिए काफी संभावना है। संरचनात्मक, वित्तीय और व्यवहारिक कारकों के कारण , इस तरह के विकल्प , एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गये हैं।
इसी तर्ज़ पर जयपुर के चार्टर्ड एकाउंटेंट श्री मनीष मेहता ने एक ऐसे ऐप का निर्माण किया है जो किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति में आपको जल्द से जल्द मदद दिला सकती है। ‘मेरापेशेंट‘ नामक ऐप , हेल्थकेयर इंडस्ट्री में एक अनूठी और शानदार पहल है। ऐप के फाउंडर मनीष मेहता ने बताया की देश भर में हो रहे हादसों के कारण , आपातकालीन स्थिति में तुरंत मदद मिलना संभव नहीं हो पाता हैं। ऐसी ही कई मुश्किल परिस्तिथियों से निकलने के लिए मेरापेशेंट‘ नामक ऐप का निर्माण किया गया हैं।
सन् 2012 में एमबीए करने के बाद , पूरे समाज की विशेष रूप से निचले वर्ग की जिन्होंने अपनी अधिकांश जिंदगी सड़कों पर बितादी, की सेवा करने के विचार के साथ, ऐप के फाउंडर मनीष मेहता ने एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का निर्माण किया।
शुरूआती दौर में कंपनी ने छोटे विक्रेताओं जैसे कि टेलर, मौची, स्वीपर, श्मशान घाट, चाबी बनाने वाले जैसे 100 विषम श्रेणियों को व्यवस्थित करने कि योजना बनाईं। कुछ ही समय में 500 दर्जन विक्रेताओं को सफलतापूर्वक कंपनी से जोड़ा गया। बाद में, मनीष मेहता ने व्यापक सर्वे एंव रिसर्च कर हेल्थकेयर को आम आदमी तक पँहुचाने और केमिस्ट्स ,डायग्नॉस्टिक्स केंद्र और उपयोगकर्ताओं से जुड़े स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र की संतुलित पर्यावरण प्रणाली बनाने और विकसित करने के लिए ‘मेरापेशेंट‘ ऐप का निर्माण किया।
इस ऐप के निर्माण के पीछे संगठित तरीके से उस समाज की सेवा करने का विचार था जहां स्वास्थ्य की स्थिति प्रमुख चिंता का विषय है।
पाली के एक छोटे से गाँव में जन्में मनीष मेहता, अपने दूरदर्शी विचार के साथ, चाहते हैं कि उपयोगकर्ता अपनी चिकित्सा देखभाल का प्रभारी खुद बनें। उनका विचार रोगी को सशक्त बनाना, उनके मूल्यवान समय और प्रयासों का प्रबंधन करना है। यही कारण हैं की उन्होंने ऐप को यूज़र फे्रडली बनाया। आपातकालीन सहायता की अवधारणा को ज़ह्न में लिये उन्होंने ऐप में ही अनूठा और क्रांतिकारी पेनिक बटन भी प्रदान किया जो आपातकालीन स्थिति में जल्द से जल्द मदद दिला सकता है।
जयपुर आधारित ‘मेरापेशेंट‘ ऐप , केमिस्ट्स और डायग्नॉस्टिक्स केंद्र के लिए एक एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म है जहां वे अपने दवा का पर्चा अपलोड कर सकते हैं और अपनी दवाओं और टेस्टों के लिए सर्वोत्तम मूल्य पर उचित सेवा प्राप्त कर सकते हैं। इसी एप पर पेनिक बटन सुविधा भी है, जिसके जरिए इमरजेंसी के दौरान करीबी और प्रियजनों को चेतावनी भेजी जाती है और इस तरह उपयोगकर्ता को इमरजेंसी के हालात से उबरने में मदद मिलती है।
इस ऐप में आपको अपने पांच ऐसे परिचितों के नाम अटैच करने होते है जो किसी भी संकटकालीन परिस्थिति में आपकी मदद के लिए आ सकते है। जैसे ही आप किसी संकट में फंसे, आपको सिर्फ ऐप खोल कर उस पर दिख रहे बटन को स्वाइप करना है। ऐसा करते ही आपके पांचों परिचितों के फोन पर हूटर बज जाएगा। यह हूटर उनकी सामान्य रिंगटोन से अलग होगा। इंटरनेट नहीं चलने की स्थिति में भी यह पेनिक बटन काम करेगा। फाउंडर मनीष मेहता ने बताया की इस पुरी प्रक्रिया में सिर्फ 6 सेकंड का समय लगता है।
इसके साथ ही आपकी लोकेशन भी गूगल मैप के जरिए सम्बन्धित व्यक्ति तक पहुंच जाएगी, ताकि वह आपकी मदद के लिए वहां पहुंच सके।
मेरापेशेंट‘ ऐप , के फाउंडर मनीष मेहता ने बताया की मौजूदा दौर में स्वास्थ्य सेवा की जरूरत बढ़ रही है और निदान व उपचार में सुधार और नए प्रयोगों के साथ स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की मांग और बढने की संभावना नजर आती है। देश में ई-फार्मेसियों के बड़े पैमाने पर आने के साथ, पांरपरिक केमिस्ट को व्यवसाय खोने के खतरे का सामना करना पड़ रहा है। मेरा पैंशेंट ऐप , केमिस्ट को इंटरनेट फार्मेसी लेने के लिए सशक्त बनाता है ताकि वे उपयोगकर्ताओं तक पहुंच सकें और उन्हें अपने दरवाजे पर सेवा दे सकें।”
ग्रामीण इलाकों के रोगियों को अच्छी स्वास्थय सेवाऐं पाने के लिए, काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर का पर्चा, जंाच रिपोर्ट के गुम हो जाने पर दोबारा डॉक्टर को दिखाना, जांच कराने से खरचा बढ़ जाता है। वहीं दुसरी और, ऐप के माध्यम से केमिस्ट की दुकान से दवाईयां मंगवाने पर या डायग्नोस्टिक लैब्स पर टेस्ट बुक कराने पर विभिन्न छूट भी मिलती हैं। टेस्ट हो जाने के बाद, रिपोर्ट अपके मोबाइल पर, ऐप में अपलोड हो जायेगी, जिससे अपके आने जाने के खर्चों में कमी व समय की बचत की जा सकती हैं।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने और मानवता की सेवा के उद्देश्य से कैमिस्ट्स और डायग्नोस्टिक्स सेंटर के एग्रीगेटर ऐप- ‘मेरापेशेंट‘ के माध्यम से जयपुर शहर में सिटी हेल्थ फेस्ट भी आयोजित किया जा रहा हैं जिसमें जयपुर के विभिन्न काॅलेजोें और विश्वविद्यालयों में योजनाबद्ध तरीके से युवाओं के स्वास्थ्य की जांच की जा रहीं है।
अगस्त 2017 में लॉन्च किया गया, मेरा पैंशेंट ऐप जयपुर में 10000 उपयोगकर्ताओं के पास है। केमिस्ट और डाइग्नोस्टिक्स केंद्रों सहित लगभग 500 विक्रेताओं ने ऐप के साथ पंजीकरण किया जा चुका है। 2019 तक , ऐप को मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे समेत 10 शहरों में लॉन्च किया जाएगा।
मनीष मेहता कहते है की एम हेल्थ के लिए बहुत सारे अवसर हैं परन्तू उनका अनूभव करना आसान नहीं होगा। सबसे पहला कदम है विभिन्न संभावनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना। भारत में एम हेल्थ को सफलता दिलाने के लिए जरूरी है हेल्थकेयर उद्योग में हितधारकों द्वारा किए गए सामूहिक और सहयोगी प्रयासों को स्वीकार करना।