जयपुर 9 मई 2019 राज्य के मुख्य सचिव श्री डी.बी. गुप्ता ने कहा है कि शिक्षा में समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। इसी से शिक्षा का तेजी से विकास होता है। उन्होंने कहा कि बालसभाओं के सार्वजनिक स्थलों पर आयोजन का उद्देश्य यही है कि अभिभावक, समाज और शिक्षक मिलकर विद्यार्थियों को सफलता की ऊंचाई पर पहुंचा सके।
श्री गुप्ता गुरूवार को सांगानेर में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित बालसभा के राज्य स्तरीय आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है। खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ पाठ्यपुस्तकों के विषयों को रोचक ढंग से बच्चों में ग्रहण कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों को रटाने की बजाय खेल-खेल में पाठ्यपुस्तकों के पाठ सीखाने पर जोर दें। उन्होंने वहां उपस्थित बच्चों से संवाद करते हुए कहा कि हिम्मत, लगन और प्रश्न पूछने से ही जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है। उन्हाेंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे खूब पढ़े और आगे बढ़े।
मुख्य सचिव ने बालसभा में अपने विद्यालय जीवन के संस्मरण भी बच्चों के साथ साझा किए। उन्होंने कहा कि बच्चे सपने देखे और निरंतर उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करे। उन्होंने अभिभावकों को बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान देने, बेटे-बेटी में भेद नहीं करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थान पर बोलने से झीझक खत्म होती है। बालसभाओं का उद्देश्य यही है कि बच्चे अपने उद्गार इनमें सबके सामने व्यक्त करे ताकि उनके आत्म विश्वास में वृद्धि हो।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 65 हजार विद्यालयों में इस समय 86 लाख 70 हजार 692 विद्यार्थी पढ़ रहे है। इनका सर्वांगीण विकास हो, यही हमारा लक्ष्य है। राजकीय विद्यालय बेहतर से बेहतर बने-इसके लिए सभी मिलकर प्रयास करें। इसी से निजी से निकलकर राजकीय विद्यालयों में बच्चों का अधिकाधिक प्रवेश हो सकेगा। उन्होंने नामांकन के साथ ठहराव पर भी विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा सभी के लिए चिन्ता का विषय है। बाल सभाओं में माननीय हाइकोर्ट ने भी विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए सम्बलन देने का आदेश जारी किया है।
इस मौके पर प्रमुख शासन सचिव डॉ. आर. वेंकटेश्वरन ने कहा कि बालसभाओं के आयोजन महत्वपूर्ण है। शत-प्रतिशत नामांकन और ठहराव के लिए भी अधिकारी गंभीर होकर प्रयास करें। उन्होंने अभिभावकों को, स्थानीय नागरिकों को विद्यालय एवं विद्यार्थियों के विकास में रूचि लेने पर जोर दिया।
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् के आयुक्त श्री प्रदीप कुमार बोरड़ ने बताया कि बालसभाओं का उद्देश्य अधिकाधिक जन भागीदारी से शिक्षा में गुणात्त्मक सुधार करना है। उन्होंने बाल सभाओं को शिक्षा में सकारात्मक पहल बताते हुए कहा कि इससे विद्यार्थियों की सृजनात्मक क्षमता का भी विकास होगा।
इससे पहले स्कूल शिक्षा के संयुक्त निदेशक श्री रतन सिंह यादव ने सभी का स्वागत करते प्रदेशभर में बाल सभाओं के आयोजन एवं प्रवेशोत्सव के बारे में जानकारी दी। स्कूल के प्राचार्य श्री कैलाश आर्य ने बताया कि वह इसी विद्यालय में पढ़कर आज प्राचार्य पद पर पहुंचे है। इस अवसर पर विद्यालय की छात्रााओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। प्रतिभावान छात्रा-छात्रााओं को सम्मानित किया गया वहीं प्रतिकात्मक रूप में विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों का भी वितरण किया गया। बालसभा में स्थानीय नागरिकों के साथ ही बड़ी संख्या में अभिभावकों ने भी भाग लिया।
प्रदेशभर में हुआ बालसभाओं का आयोजन –
गुरूवार को प्रदेशभर के विद्यालयों में बालसभाओं का आयोजन हुआ। इस दौरान शैक्षिक, सह-शैक्षिक क्षेत्रा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किए जाने के साथ ही विद्यालयों में सहयोग देने वाले स्थानीय भामाशाहों और पूर्व छात्राों को भी सम्मानित किया गया। बाल सभाओं में श्रेष्ठ परिणाम देने वाले शिक्षकों विद्यालय संचालन करने वाले और भौतिक विकास में श्रेष्ठ योगदान देने वाले शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।
प्रदेश में बालसभाओं के आयोजन उपरान्त कक्षा 6, 7, 9 एवं 11 की वार्षिक परीक्षाओं के परिणामों की घोषणा विद्यालय परिसर में ही की गयी। प्राथमिक स्तर पर कक्षा 1 से 4 तक के विद्यार्थियों को रिपोर्ट कार्ड का वितरण भी बालसभाओं के आयोजन उपरान्त विद्यालय परिसर में किया गया। बालसभाओं में राजीव गांधी कैरियर पोर्टल के बारे में विद्यार्थियाें को जहां जानकारियां दी गयी वहीं निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों का भी वितरण किया गया। बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण और टीकाकरण के साथ ही बालसभाओं में बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुई