जयपुर 28 जून 2019 मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि पैसा बहुत लोग कमाते हैं लेकिन अपनी गाढ़ी कमाई को सामाजिक कार्यों तथा जनहित में लगा देना बड़े पुण्य का काम है। राजस्थान की संस्कृति, संस्कार तथा परम्पराओं से दान की प्रेरणा मिलती है। भावी पीढ़ी भी इन गौरवशाली परम्पराओं को आत्मसात करे, इसके लिए हमारी सरकार वैदिक शिक्षा एवं संस्कार बोर्ड की स्थापना करेगी।
श्री गहलोत शुक्रवार को बिडला सभागार में 25वें राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक सहयोग देने वाले भामाशाहों का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि भामाशाहों ने शिक्षा जैसे पवित्र कार्य के लिए जो सहयोग किया है, उसका एहसास मुझे व मेरी सरकार को है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के कोने-कोने में बसे राजस्थानियों में हमेशा सहयोग की भावना रही है। जब-जब भी वक्त आया उन्होंने अपनी माटी के लिए योगदान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रवासी राजस्थानियों के अपनी माटी के साथ इस संबंध को और प्रगाढ़ बनाने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में मैंने अन्तरराष्ट्रीय राजस्थानी कॉन्क्लेव का सफल आयोजन किया था।
इतिहास से नहीं हो छेड़छाड़
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतन्त्र में सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन इतिहास से छेड़छाड़ और शिक्षा में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान, दोनों देश एक साथ आजाद हुए, लेकिन पाकिस्तान में कई बार सैन्य शासन और तानाशाही रही। गर्व की बात है कि हमारे देश में 70 साल बाद भी मजबूत लोकतंत्र कायम है। ऎसा लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने वाले हमारे महान नेताओं के कारण ही संभव हुआ है। जिन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर देशहित में नीतियों का निर्धारण किया।
साख और सेवाभाव हमारी सरकार की पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी संस्था के लिए पैसे से ज्यादा जरूरी है उसकी साख और सेवा भावना। ये दोनों हों तो उस संस्था के लिए कोई भी सहयोग करने के लिए तैयार हो जाता है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमारी सरकार की अच्छी साख और सेवाभाव में विश्वास के कारण ही भामाशाहों ने शिक्षा के लिए बढ़-चढ़ कर आर्थिक सहयोग दिया है। आगे भी आपके इस विश्वास पर हम खरे उतरेंगे।
सीएसआर यूपीए सरकार का ऎतिहासिक फैसला
श्री गहलोत ने कहा कि यूपीए सरकार के समय उद्योगों को अपनी आय का एक हिस्सा सीएसआर गतिविधियों के लिए देना अनिवार्य किया गया था। यह एक ऎतिहासिक फैसला साबित हुआ जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य सामाजिक क्षेत्रों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हुई और आमजन को इसका लाभ मिल रहा है। इस अवसर पर उन्होंने भामाशाहों तथा उन्हें प्रेरित करने वाले प्रेरकों की जानकारी से संबंधित पुस्तिका ‘प्रशस्तियां’ का विमोचन भी किया।
शिक्षा एवं स्वास्थ्य धन कमाने का नहीं सेवा का माध्यम
श्री गहलोत ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य का क्षेत्र धन कमाने का नहीं सेवा का माध्यम है। दुर्भाग्य से आज ऎसा नहीं हो रहा है। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि मानव सेवा के इन दोनों क्षेत्रों में ‘न लाभ-न हानि‘ के सिद्धांत पर काम होना चाहिए।
शिक्षा राज्यमंत्री श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि हमारी सरकार शिक्षा के सर्वांगीण विकास के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। हम शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाएंगे। उन्होंने भामाशाहों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने जिस पुनीत कार्य के लिए आर्थिक सहयोग किया है उस पर शिक्षा विभाग को गर्व है।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्री भंवरसिंह भाटी, संस्कृत शिक्षा राज्यमंत्री श्री सुभाष गर्ग, प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा श्री आर. वेंकटेश्वरन् सहित बड़ी संख्या में शिक्षाविद् एवं भामाशाह उपस्थित थे।
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