जयपुर 29 जुलाई 2019 उद्योग मंत्री श्री परसादी लाल मीना ने सोमवार को राज्य विधान सभा में बताया कि भारत सरकार ने कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के नियमों में बदलाव किया है। इन नियमों के अनुसार यदि कम्पनी तीन साल तक अपने खाते की राशि खर्च नहीं करती है तो वह राशि तीन साल के बाद प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा हो जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार का इस पर कोई नियंत्रण या हस्तक्षेप नहीं है।
श्री मीना ने प्रश्नकाल के दौरान विधायकों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि सीएसआर के दायरे में आने वाली कम्पनी का एक खाता होता है। उस खाते में तीन साल तक सीएसआर गतिविधियों के लिए राशि रहती है। इस राशि को खर्च करने के लिए कम्पनियां खुद की समिति का गठन करके स्वयं के आधार पर खर्च करती हैं। इसमें सरकार का मॉनिटरिंग करने का कोई सिस्टम नहीं है, न ही सरकार इनके लिए कोई स्वीकृति जारी करती है।
इससे पहले विधायक श्री संदीप शर्मा के मूल प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) की राशि व्यय करने के कोई प्रावधान तय नहीं किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सीएसआर राशि व्यय करने के प्रावधान कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लागू किए गए हैं। जिसके तहत ऎसी कम्पनियां जिनका वार्षिक आधार पर नेटवर्थ 500 करोड़ रुपए या अधिक अथवा टर्नओवर 1000 करोड़ रुपए या अधिक अथवा शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपए या अधिक हो, सीएसआर के दायरे में आती है। ऎसी सभी कम्पपनियों को उनके विगत 3 वर्षों में अर्जित शुद्ध लाभ के औसत का 2 प्रतिशत कम्पनी की सीएसआर समिति द्वारा निर्धारित नीति अनुसार शेडयूल-टप्प् में सम्मिलित सीएसआर गतिविधियों पर ही व्यय किये जाने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि कोटा जिले में 10 सीएसआर इकाइयां संचालित हैं। उन्होंने सीएसआर इकाइयों का विवरण और सीएसआर के तहत किये गये व्यय का विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को विगत 3 वर्षों में निजी कम्पानियों द्वारा सीएसआर के तहत सही प्रकार से कार्य नहीं करने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। श्री मीना ने बताया कि राज्य सरकार का कम्पनियों द्वारा खर्च किए जाने वाले सीएसआर व्यय पर कोई नियंत्रण प्राप्त नहीें है।