Edit-Rashmi Sharma
जयपुर 18 जून 2020 – वर्तमान दौर में जैसा कि हम देख रहे हैं कि देशभर में लोग सोशल डिस्टेंसिंग को एक नए मानदंड के रूप में स्वीकार करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं, इसी दौर में व्यवसायों के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू करना है। इस काम में टैक्नोलाॅजी सभी संगठनों के लिए उनके आगे बढ़ने की दिशा में एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है, चाहे वे बड़े हों या छोटे। ऐसी ही एक प्रभावशाली पहल है गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), जिसे ‘डिजिटल इंडिया‘ अभियान के तहत लॉन्च किया गया है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस का उद्देश्य केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य शीर्ष स्वायत्त निकायों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद का तरीका बदलना है। यह प्लेटफाॅर्म बड़े पैमाने पर बाजार का प्रतीक है, जिसमें शामिल हैं अनेक आपूर्तिकर्ता/खरीदार, सक्रिय प्रतियोगिता के साथ विविध उत्पाद। यह सरकार को अपने खाता प्रबंधन, अनुपालन प्रक्रियाओं, और व्यय प्रबंधन को केंद्रीकृत करने की अनुमति देता है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफाॅर्म निम्नलिखित चार प्रमुख लाभ प्रदान करता हैः
पहला, नो एंट्री बैरियर के साथ, सरकार के साथ व्यापार करने की इच्छा रखने वाले बोनाफाइड आपूर्तिकर्ता पोर्टल पर अपना पंजीकरण कर सकते हैं और वास्तविक समय के आधार पर लिस्टिंग देख सकते हैं।
दूसरा, पारदर्शिता बनाए रखने में तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और एंड-टू-एंड सुरक्षा प्रदान करती है। पोर्टल पंजीकरण से लेकर अंतिम भुगतान तक उत्सुक कारोबारियों का समर्थन करता है, जिससे प्रक्रिया सहज हो जाती है। पारदर्शिता और त्वरित क्वेरी मैनेजमेंट को सुनिश्चित करने के लिए क्वेरी रिजॉल्यूशन और निवारण प्रणाली स्थापित की गई है। वास्तव में, प्रत्यक्ष खरीद कुछ ही मिनटों में की जा सकती है क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। यह एक सुरक्षित प्लेटफाॅर्म है और गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस पर सभी दस्तावेजों को खरीदारों और विक्रेताओं दोनों द्वारा विभिन्न चरणों में ई-साइन किया जाता है। ई-इनवाॅयस के तैयार होने के साथ ही विक्रेता बिल में छूट के माध्यम से तुरंत आवश्यक धन जुटा सकता है।
तीसरा, ई-बिडिंग, रिवर्स ई-ऑक्शन और डिमांड एग्रीगेशन जैसे टूल्स के साथ, सरकारी उपयोगकर्ता अपने पैसे के लिए सर्वोत्तम मूल्य प्राप्त करते हैं, इस प्रकार बोलियों की गुणवत्ता और ऑर्डर की पूर्ति को कायम रखने में सफल होते हैं। चूंकि सरकारी निकाय खरीद का अनुरोध करता है, इसलिए उन्हें डीसीबी बैंक जैसे भागीदार बैंक में एक गवर्नमेंट पूल अकाउंट (जीपीए) के लिए न्यूनतम बोली राशि का मूल्य हस्तांतरित करना अनिवार्य है। इस तरह यह पेमेंट इंटेंट के डर को दूर करता है।
चौथा , विभिन्न चरणों जैसे कि आवश्यकता, बोलियों और खरीद प्रक्रिया आदि के दौरान स्वच्छता जांच के साथ, यह सुनिश्चित किया जाता है कि सप्लाई विशिष्ट मानकों और मानदंडों को पूरा करती है। यह खरीदारों को प्रोडक्ट्स की एक व्यापक रेंज में से अपना प्रोडक्ट चुनने में सक्षम बनाता है और साथ ही इससे अनेक स्थानों के लिए आॅर्डर प्रक्रिया आसान हो जाती है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस ने पोर्टल पर खरीदार और विभिन्न विक्रेताओं के बीच लेनदेन की सुविधा के लिए कुछ चुनिंदा बैंकों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह माल की आवाजाही या सेवाओं की पूर्ति में धन के प्रवाह के लिए मध्यस्थ के रूप में भी काम करता है।
वर्तमान में उद्योग के अनेक साझेदारों ने इस कदम का स्वागत किया है, जिसके परिणामस्वरूप देश में लंबे समय तक सार्वजनिक खरीद के क्षेत्र को बड़े पैमाने पर स्वरोजगार के लिए खोला जाएगा।
लेखक – प्रवीण कुट्टी, हैड – रिटेल और एसएमई बैंकिंग, डीसीबी बैंक लिमिटेड