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कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य आभासी प्रचार का विकल्प चुनेगा: बिहार के मंत्री

बिहार में कोविड-19 के मामलों में हालिया तेज वृद्धि ने इस बहस को तेज कर दिया है कि बिहार कोविड-19 के मामलों से कैसे निपट रहा है। और इस तरह की गंभीर स्थिति के बीच राज्य में अगला विधानसभा चुनाव कैसे संचालित/आयोजित किया जाएगा। ये राज्य के ज्वलंत मुद्दे हैं, जिन्हें 16 जुलाई 2020 को आयोजित हील – तुम्हारा संवाद के तीसरे एपिसोड के पहले सत्र में संबोधित किया गया।

कोविड-19 के लगातार बढ़ते कर्व के दौरान, राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के बारे में पूछे जाने पर बिहार के भवन निर्माण विभाग के मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने हील – तुम्हारा संवाद के तीसरे एपिसोड को संबोधित करते हुए कहा, “हमने इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की अपेक्षा कभी नहीं की थी, लेकिन अब यह हम पर है कि हम इस स्थिति से कैसे निपटें। कोविड-19 के मामलों की तेज वृद्धि दर को देखते हुए, फिर से 16-31 जुलाई तक दो सप्ताह के लिए लॉक डाउन की घोषणा की गई है, ताकि तेजी से बढ़ते मामलों में कमी लाई जा सके। जहां तक राज्य में विधानसभा चुनाव की बात/सवाल है, यह एक संवैधानिक दायित्व/बाध्यता है और इस मामले में चुनाव आयोग को अंतिम निर्णय लेना है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम चुनाव अभियान के दौरान शारीरिक संपर्क से बचने के लिए आभासी प्रचार (बैठकें, रैलियां) करने की योजना बना रहे हैं। इस तरह से हम सोशल डिस्टेंसिंग भी बनाए रखेंगे, क्योंकि यह लगातार बढ़ते कर्व को नियंत्रित रखने में सहायता करता है, हमारे लिए लोगों का जीवन और उनका स्वास्थ्य सबसे अधिक/सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।”

मतदान के समय और सुरक्षित माध्यम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “कोविड-19 के परिदृश्य के मद्देनज़र, चुनाव आयोग द्वारा जो भी नियम और व्यवस्थाएं मान्य की जाएंगी, एक जिम्मेदार राजनीतिक दल होने के नाते, हम प्रत्येक प्रोटोकॉल/विज्ञप्ति का पालन करेंगे।”

संवाद के दौरान वरिष्ठ पत्रकार और भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. के.जी. सुरेश द्वारा चुनाव की तैयारियों और ऐसे समय में चुनाव कराना जब महामारी लगातार बढ़ रही है पर पूछे प्रशन का उत्तर देते हुए डॉ. चौधरी ने कहा, “बिहार एकमात्र ऐसा स्थान नहीं है, जहां कोविड-19 संकट के दौरान चुनाव होगा। हाल ही में दक्षिणी कोरिया और सिंगापुर में चुनाव हुए हैं। इसके अलावा, अमेरिका भी नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव कराने की योजना बना रहा है। इसलिए, चुनाव के आयोजन/संचालन के बारे में चुनाव आयोग जो भी निर्णय लेगा, हम उसका पालन करेंगे।”

बिहार में पिछले चार दिनों में, कोविड-19 के नये मामलों ने एक हजार का आंकड़ा पार कर लिया है। संक्रमण की दर लगातार बढ़ रही है और राज्य में कुल दर्ज मामलों ने बीस हजार का आंकड़ा पार कर लिया है। इस स्थिति को देखते हुए, जब यह पूछा गया कि, इससे निपटने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है तो उन्हेंने कहा, “राज्य सरकार ने अस्पतालों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दी है, इसके अलावा आइसोलेशन सेंटर्स/पृथक्करण केंद्रों की संख्या भी बढ़ाई है। वर्तमान में प्रतिदिन दस हजार परीक्षण किए जा रहे हैं, शीघ्र ही इसे प्रतिदिन पंद्रह हजार तक बढ़ाने की योजना है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी सुसज्जित कर दिया गया है। कोविड के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सरकारी अधिकारी व्यक्तिगत रूप से दौरा कर रहे हैं। और प्रत्येक परिवार में दो मॉस्क मुफ्त में वितरित किए जा रहे हैं।”

संवाद के दौरान हील फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव द्वारा यह पूछे जाने पर की सरकारी अस्पतालों और कोविड सेंटरों की सीमित संख्या को देखते हुए क्या सरकार निजी अस्पतालों को परीक्षण और उपचार की अनुमति देगी, डॉ. चौधरी ने कहा, “सरकार ने कुछ निजी अस्पतालों की पहचान की है और कुछ को परीक्षण के लिए भी अनुमति दी है, लेकिन आईसीएमआर का एक दिशा-निर्देश है कि प्रत्येक अस्पताल में कम से कम 50 बेड की आवश्यकता होगी, जिसका हमें पालन करना होगा।”

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