Edit-Rashmi Sharma
जयपुर 21 अगस्त 2020 – कोरोनावायरस अभी भी मौजूद है । इसलिए दुनिया के विभिन्न कोनों में अभी भी लोग फंसे हुए हैं। इस महामारी की शुरुआत होने के बाद से कई लोगों ने अपने घरों की वापसी का रास्ता खो दिया है और वह अपने मूल निवास स्थानों से दूर विभिन्न देशों में फंसे हुए हैं।
डॉ. सुबोध अग्रवाल, प्रवासी भारतीयों की देश वापसी के लिए गठित समिति के प्रमुख एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव – खनन व पेट्रोलियम,राजस्थान सरकार ने बताया जब अगली सूचना तक परिवहन के हर तरीके को रद्द कर दिया गया था तो अपने घर वापिस लौटने के लिए सीट बुक करा चुके राजस्थान के निवासियों को यथा स्थान पर रहने के अलावा कोई विकलप नहीं था । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में, हमारी टीमों और वरिष्ठ अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक नागरिक को घर जैसा आराम और संसाधन मिल पाए। कोविड -19 त्रासदी और जीवन रक्षक मिशन ने हमारे देश के सामने आई विभिन्न प्रकार की परेशानियों को उजागर ही नहीं किया है बल्कि इसने सरकार को राजस्थान के प्रवासियों के लिए राहत कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को बेहतर करने की दिशा में काम करने का मौका भी दिया है।
सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाते हुए राजस्थान सरकार ने हवाई, ट्रेन और सड़क की अधिक से अधिक परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अच्छी तरह से काम किया है। 30 जुलाई, 2020 तक, राजस्थान के लगभग 25,000 नागरिकों को निकासी कार्यक्रम के तहत राजस्थान में लाया जा चुका है। कुवैत से 4715, किर्गिस्तान से 1943, कजाकिस्तान से 1821 व हजारों की संख्या में अन्य देशों से लोग राजस्थान लाए गए हैं।
राजस्थान सरकार द्वारा बनाई गई एक विशेष टास्क फोर्स ने सुनिश्चित किया कि हर नागरिक बिना किसी परेशानी के राज्य में पहुंच सके। जैसे ही इन प्रवासियों को राज्य में लाया जाता है,उसके बाद उनको गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए कोविड -19 का प्रसार रोकने के लिए राज्य द्वारा बनाए गए क्वारंटीन केंद्रों में भेज दिया जाता है। इस व्यवस्था में केवल परिवहन ही नहीं बल्कि हर व्यक्ति को घर तक पहुंचाने के लिए अपनाई जाने वाली सारी प्रक्रिया शामिल है।
अगस्त के महीने में कई सारी उड़ानें राजस्थानियों को वापिस लेकर आने के लिए निर्धारित की गई हैं। ये उड़ानें दोहा, शारजाह, कुवैत, दुबई, अबू धाबी से आएंगी। विभिन्न देशों से लोगों को लाने के लिए चार्टर उड़ानों की भी प्रतिनियुक्ति की गई है और इन उड़ानों का कार्यक्रम कई अंतरालों पर तय किया गया है।
फ्लाइट से उतरकर बस के जरिए होमटाउन पहुंच रहे हैं प्रवासी
अब तक, 63 से अधिक ऐसी उड़ानें उतर चुकी हैं,जिनमें राजस्थान के लगभग 9632 निवासी वापिस आए हैं। इसके बाद इन यात्रियों के कई सारे मेडिकल चेकअप करने के बाद इनको नामित बसों के माध्यम से उनके गृहनगर पहुंचाया गया है। इन यात्रियों के आरटीपीसीआर टेस्ट भी किए जा रहे हैं ताकि वायरस के आगे प्रसार पर रोक लगाई जा सकें।
14,000 से अधिक टेस्ट पहले ही किए जा चुके हैं और इन लोगों को संगरोध केंद्रों में भेजा जाता है। अगर किसी की रिपोर्ट पाॅजिटिव आती है तो उसके लिए चिकित्सा केंद्रों में आवश्यक सुविधाओं उपलब्ध करा दी गई हैं। अब तक, राजस्थान के कई जिलों में निकासी अभियान के तहत आने वाले नागरिकों के लिए पर्याप्त बेड उपलब्ध करा दिए गए हैं। इन केंद्रों में एक समय में हजारों लोगों एक साथ रखा जा सकता है।
कुल मिलाकर, राज्य में बेड की क्षमता 12,444 है, जिसमें से 2547 बेड अभी भरे हुए हैं और बाकी 9897 अभी भी खाली हैं। निजी होटलों को भी भुगतान के आधार पर संगरोध केंद्रों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। आने वाले यात्रियों को होटल में रहने का भी विकल्प दिया जाता है। इसके लिए उनको होटल की दरों और क्लास आदि की सूचना उपलब्ध करा दी जाती है। लोगों को कुछ दिनों के लिए अनिवार्य रूप से क्वारंटीन किया जाता है। इसके लिए उनको विकल्प दिया जाता है कि वह अपनी मर्जी से पैसे का भुगतान करके सरकार द्वारा सूचीबद्ध होटल में रह सकते हैं या फिर सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए मुफ्त केंद्र का विकल्प भी चुन सकते हैं।
जनता की सेवा करना
राजधानी जयपुर में बनाए गए संगरोध केंद्रों की स्थिति विश्व स्तर की है। 2000 की क्षमता के साथ ऐसा ही एक केंद्र शहर के बाहरी इलाके में बनाया गया है। मूल रूप से इन इमारतों को जेडीए टाउनशिप के रूप में विकसित किया गया है और परंतु इस कठिन समय को देखते हुए इसे संगरोध केंद्र में बदल दिया गया है। अब तक, विभिन्न देशों, मुख्य रूप से खाड़ी से आने वाले लगभग 11,000 लोगों को राजस्थान सरकार द्वारा प्रदान किए गए अनिवार्य संस्थागत संगरोध के तहत इन स्थानों पर रखा गया है। वरिष्ठ अधिकारी सप्ताह के सातों दिन और 24 घंटे डबल शिफ्ट में चिकित्सा कर्मचारियों के साथ ड्यूटी पर रहते हैं ताकि किसी भी तरह की स्थिति से निपटा जा सकें# राजस्थान सत्कार हैं।
इन केंद्रों में नियमित भोजन की आपूर्ति के साथ पर्याप्त मिनरल वाॅटर उपलब्ध कराया जाता है तो कि यह सुनिश्चित किया जा सकें कि ‘‘कोई भूखा न सोए’’ (नो वन शुड स्पिल हंगरी)। इमारतों का नियमित रूप से सैनिटाइजेशन किया जाता है और बिजली के उपकरणों की जांच के लिए एक व्यक्ति दिन भर इन केंद्रों पर पर तैनात रहता है। मौके पर मौजूद अधिकारी हर रोज लगभग 200 लोगों के लिए अतिरिक्त भोजन की व्यवस्था करते हैं ताकि अगर किसी को अधिक भोजन की आवश्यकता हो, तो वे इसे बिना किसी परेशानी के उपलब्ध करा सकें। जिस दिन कोई अंतर्राष्ट्रीय उड़ान आती है, उसी दिन लोगों को संगरोध केंद्र पर ले जाया जाता है। जिसके बाद उन्हें पहले एक सामान्य किट प्रदान की जाती है। जिसमें सैनिटाइजर, साबुन, तकिया, माॅस्क और अन्य आवश्यक सामान शामिल होता हैं। ईद जैसे विशेष दिन पर परिसर में प्रत्येक व्यक्ति को सेहरी की पेशकश की गई थी।
अभी खत्म नहीं हुआ है यह सब
मुसीबत का अंत अभी दूर है। इसको खत्म करने के लिए अभी नागकिरों को बहुत कुछ करना होगा। सतर्कता व एहतियात अब तक इसका एकमात्र पहला इलाज है और आम जनता से यह अपेक्षा है कि वह इन तरीकों को अपनाए। सरकार चिकित्सा उपचार के अन्य सभी पहलूओं की देखभाल कर रही है, लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा जारी इन बुनियादी सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने में नागरिकों से समर्थन की उम्मीद भी है। राजस्थान सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि विदेश में फंसा हर एक नागरिक सुरक्षित अपने घर पहुंच जाए और राज्य मशीनरी दिन-रात दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें सुरक्षित रखने के लिए काम कर रही है। राज्य प्रशासन ने ट्रेनों और बसों के माध्यम से इंटर-स्टेट में फंसे हजारों प्रवासियों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी प्रकार अधिकारी दूसरे देशों से अपने घर वापिस आने वाले राजस्थानी प्रवासियों के संबंध में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं।