Edit-Rashmi Sharma
नई दिल्ली 9 सितंबर 2020: पावर सेक्टर की फंड संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में देश की अग्रणी एनबीएफसी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) देश में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लिहाज से और अधिक संपत्ति के निर्माण के लिए पूरी तरह तैयार है। पीएफसी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर रविन्दर सिंह ढिल्लन ने यह बात कही। 29 सितंबर, 2020 को होने वाली कंपनी की 34वीं वार्षिक साधारण सभा से पूर्व कंपनी के शेयरधारकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा सेगमेंट में टैरिफ स्थिर हो गए हैं और इससे बिजली के स्वच्छ स्रोतों में निवेश करने के बड़े अवसर मिलते हैं।
उन्होंने कहा, “अक्षय ऊर्जा सेगमेंट में इधर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, जहां टैरिफ स्थिर हो गए हैं और इससे ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों में निवेश करने के लिए बड़े अवसर मिल रहे हैं। यह स्थिति भारत के महत्वाकांक्षी हरित ऊर्जा लक्ष्य को भी मजबूत बनाती है।“
शेयरधारकों के नाम अपने एक पत्र में उन्होंने कहा, “सरकार विभिन्न क्षेत्रों में स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इस लिहाज से यह महत्वपूर्ण है कि भारत में निर्मित बिजली क्षेत्र के उपकरणों की हिस्सेदारी और आगे बढ़े। हमारा मानना है कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी विभिन्न सरकारी पहल देश के भीतर वेफर्स, इनगॉट्स, सेल और मॉड्यूल के निर्माण के लिए एक ईको सिस्टम बनाने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेंगी। यह सिस्टम न केवल भारतीय विद्युत क्षेत्र को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने में मदद करेगाए बल्कि रोजगार पैदा करने और उद्यमशीलता के अवसर प्रदान करने में भी सहायक साबित होगा। देश में एक अग्रणी ऋणदाता होने के नाते, आपकी कंपनी पीएफसी आज अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लिए और अधिक संपत्ति के निर्माण के लिए पूरी ईमानदारी से समर्थन करने के लिए तत्पर है।
भारत का लक्ष्य 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करने का है।
ढिल्लन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय कॉरपोरेट और बिजली क्षेत्र दोनों ही घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में सरकार के इस दबाव का उपयोग कर सकते हैं, और इस तरह देश की अर्थव्यवस्था को फिर से और तेज करने में मदद मिलेगी। पीएफसी के सीएमडी ने शेयरधारकों को यह भी बताया कि 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने लगभग 68,000 करोड़ रुपए का ऋण वितरण किया। इसके अलावा, उधार लेने के मोर्चे पर पीएफसी द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों के कारण वित्त वर्ष 2020 में फंड की लागत में वित्त वर्ष 19 की तुलना में काफी कमी आई है। पिछले साल कॉस्ट ऑफ फंड्स 7.95 प्रतिशत थी, जबकि इस साल यह 7.79 फीसदी ही रही।
उन्होंने कहा, “उधार लेने के मोर्चे पर, आपकी कंपनी द्वारा उधार पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए किए गए प्रयासों ने परिणाम देने शुरू कर दिए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में, पीएफसी ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों से लगभग 3 बिलियन अमरीकी डालर जुटाए। अब, कुल उधार में विदेशी मुद्रा उधार का हिस्सा बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि विदेशी मुद्रा उधारी हमारे पोर्टफोलियो में और अधिक योगदान करेगी।“
पिछले वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-मार्च) के दौरान पीएफसी ने विदेशी मुद्रा ऋण के माध्यम से 47,701 करोड़ रुपये जुटाए, वित्तीय वर्ष 2019 में जुटाए गए 28,827 करोड़ रुपये की तुलना में यह 65.5 अधिक है।
शेयरधारकों के साथ अपने संवाद में सीएमडी ने यह भी कहा कि बिजली क्षेत्र में विभिन्न सुधार संबंधी पहल इस सैक्टर को और अधिक कुशल बनाएंगी, इससे समस्याएं दूर होंगी और इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित होगा। राष्ट्रीय टैरिफ नीति में प्रस्तावित संशोधन जैसे कि टैरिफ के निर्धारण के लिए 15 प्रतिशत पर घाटे की कैपिंग, आरपीओ की अनुपालना नहीं किए जाने पर ऊंची पेनल्टी, नई नियामक परिसंपत्तियों के निर्माण पर प्रतिबंध आदि से आने वाले वर्षों में बिजली क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
पीएफसी सीएमडी ने अपने शेयरधारकों को आगे बताया कि आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े नागरिकों के उत्थान के लिए लागू योजनाओं को धन उपलब्ध कराने की दिशा में कंपनी के निरंतर प्रयासों के तहतए कंपनी ने वित्त वर्ष 2020 में सीएसआर गतिविधियों के तहत 97 करोड़ रुपये वितरित किए।