Editor-Dinesh Bhardwaj
जयपुर 09 अक्टूबर 2020 -चुड़ैला/ झुंझुनूं। सोशल मीडिया नेटवर्क पर 99 प्रतिशत सूचनाएं अधूरी, झूठी और भ्रामक होती हैं। इसलिए इसे बिना क्रॉसचेक किये फॉरवर्ड करने की आदत को हमें बदलना चाहिए जिससे किसी भी कानूनी उलझन और अनावश्यक मानसिक दबाव से हम खुद को बचा सकें। यह बात मंगलवार को गूगल न्यूज इनिशियेटिव और श्री जेजेटी यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान की ओर से आइडेंटिफाइंग फेक न्यूज़ ऑन सोशल मीडिया विषय पर आयोजित वेबिनार में वरिष्ठ मीडिया विशेषज्ञ प्रोफेसर उमेश आर्य ने कही।
गूगल सर्टिफाइड ट्रेनर प्रोफेसर आर्य ने बताया कि विगत दिनों में डिजिटल प्लेटफार्म के विस्तार के साथ ही गलत और झूठी सूचनाओं का प्रवाह बहुत तेज हो गया है। फेक और मिसईन्फॉर्मेशन सच्ची सूचनाओं की बजाय 6 गुना तेजी से वायरल होती हैं। उन्होंने बताया कि सूचनाओं के अत्यधिक लोड होने की वजह से गलत सूचना बिना पुष्टि के आगे से आगे वायरल हो रही हैं। इस तरह से ज्यादातर लोगों से अनजाने में फेक न्यूज़ और ग़लत सूचनाओं को आगे बढ़ाने का अपराध हो रहा है। उन्होंने बताया कि अब समय आ गया है कि हम गलत, झूठी, भ्रामक न्यूज़ और सूचनाओं को पहचानना सीखें और इसे रोकने में मददगार बने। इसे रोककर हर दिन होने वाले अनजाने अपराध से भी हम बचें।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक और श्री जेजेटी यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अधिष्ठाता डॉ.संजय मिश्रा ने बताया कि यह ट्रेनिंग मीडिया स्टूडेंट्स, शिक्षक, परीक्षार्थियों के साथ सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों के लिए बेहद उपयोगी रही जिसमें फर्जी टेक्स्ट, इमेज और वीडिओज़ की पड़ताल की गई।
इससे पहले यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. मधु गुप्ता ने विषय प्रवर्तन किया तथा धन्यवाद् ज्ञापन भाषा संकाय की अधिष्ठाता डॉ.अंजू सिंह ने किया।
इस वेबिनार को लाइव ब्रॉडकास्ट किया गया था जिसे यूट्यूब चैनल जेजेटी स्टूडियोज पर देखा जा सकता है।