Editor-Dinesh Bhardwaj
जयपुर, 13 अक्टूबर 2020। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान के सहयोग से सोमवार को ‘अंडरस्टैंडिंग कोरोनावायरस’ पर एक लाइव वेबिनार का आयोजन हुआ। वेबिनार का आयोजन आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान के फेसबुक पेज पर हुआ जिसे सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) दिल्ली के वैज्ञानिक, डॉ. राजेश पांडे ने संबोधित किया। उन्होंने राजस्थान सरकार की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की शासन सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा के साथ चर्चा की। वेबिनार को ‘यश 2020’ (ईयर ऑफ अवेयरनेस ऑन साइंस एंड हैल्थ) डायलॉग सीरीज के तहत आयोजित किया गया था। इस सेशन में कोरोनोवायरस के साथ-साथ जीनोम सिक्वेंसिंग की क्या, क्यों, कैसे और कब के बारे में गहनता से समझने का अवसर मिला।
डॉ. पांडे ने कहा कि हमारे शरीर में डीएनए होता है, जो आरएनए बनाता है। यह आरएनए प्रोटीन बनाता है। इसी प्रकार वायरस दो प्रकार के होते हैं – डीएनए और आरएनए युक्त वायरस। ये वायरस पॉजिटिव या निगेटिव-सेन्स वाले डबल और सिंगल-स्ट्रैंड में वर्गीकृत किए जा सकते हैं। कोरोनावायरस पॉजिटिव सेन्स सिंगल-स्ट्रैंड आरएनए वायरस है। यह वायरस अपनी तरह की 7 वीं प्रजाति है जिसने इंसानों को संक्रमित किया है। इसका जीनोम 10 प्रकार के प्रोटीन बनाता है और सर्वाइवल और रेप्लिकेशन के लिए होस्ट प्रोटीन पर निर्भर करता है। डीएनए वायरस की तुलना में आरएनए वायरस का जीनोम छोटा होता है और इसकी म्यूटेशन रेट अधिक होती है। कोरोनावायरस के अलावा, इस प्रकार के वायरस के अन्य उदाहरणों में हेपेटाइटिस सी, एचआईवी और इन्फ्लुएंजा वायरस शामिल है।
कोरोनावायरस के उपचार को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स के बारे में बात करते हुए, उन्होंने वायरस के विभिन्न स्ट्रेन, पॉपुलेशन डायवर्सिटी, एन्वायरन्मेंट डायवर्सिटी, संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता और संक्रमण की गंभीरता, आदि फैक्टर्स पर प्रकाश डाला। यह वायरस मनुष्य के शरीर में मुंह, नाक, आंख के माध्यम से फेफड़े, आंत आदि में प्रवेश कर सकता है। वायरस के प्रवेश करने पर हमारे शरीर में स्थित साइटोकिन्स सिग्नलिंग मोलेक्युल पैथोजन ब्रीच का पता लगाते हैं, सूजन बढ़ाते हैं और होस्ट को डिफेंड करते हैं। उन्होंने कहा कि वे इम्यूनिटी को रेग्यूलेट करने में मदद करते हैं।
कोविड-19 पेपर-स्ट्रिप टेस्ट, ‘फेल्यूदा’ के बारे में बात करते हुए, डॉ. पांडे ने कहा कि टेस्ट सीएसआईआर-आईजीआईबी द्वारा विकसित किया गया है और जिसे किसी भी दिन जारी किया जा सकता है। इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कमर्शियल लॉन्च के लिए मंजूरी दे दी है। यह टेस्ट समय और पहुंच के हिसाब से बेहद आसान है और इसकी लागत भी बहुत कम है। यह प्रेग्नेंसी टेस्ट के समान काम करता है।