Editor-Dinesh Bhardwaj
जयपुर 02 अक्टूबर 2020 -हाथरस की घटना ने एक बार फिर देश को झकझोर दिया है,महिलाओ, बच्चियों और युवतियों के साथ होने वाली घटनाओं से ना केवल देश शर्मशार होता है बल्कि यह इंसानियत को भी शर्मशार करता है।
आम आदमी पार्टी को छोड़कर यूथ डवलपमेंट के लिए कार्य कर रहे युवा सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने एक चर्चा के दौरान यह बात कही। बुधवार को अभिषेक जैन बिट्टू सीतापुरा बस स्टैंड के पास चाय की थड़ी पर बैठकर कुछ स्टूडेंड से यूथ डवलपमेंट पर चर्चा कर रहे थे। इस चर्चा के दौरान स्टूडेंट भी बड़ी असमंजस की स्थिति में की आखिरकार उनका भविष्य है क्या। क्योकि देश मे ना पढ़ाई का स्तर रहा, ना रोजगार का कोई स्तर है ऐसे में यूथ का डवलपमेंट कैसे संभव होगा। अगर यूथ कोई बात उठाता है तो वह गद्दार, देशद्रोही जैसे अवार्ड से नवाज दिया जाता है क्या देश मे हक के लिए आवाज उठाना गद्दारी है क्या डवलपमेंट की बात उठाना देशद्रोह है।
हाल में अभिषेक जैन बिट्टू ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया है और इस्तीफा देने के साथ ही यूथ डवलपमेंट के लिए संगठन खड़ा करने की दिशा में कार्य शुरू किया है।
अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि यूथ डवलपमेंट केवल युवकों से ही नही बल्कि युवतियों से भी साकार होगा। आज राजनीतिक स्तर पर युवक और युवतियों की अलग पहचान को स्थापित कर बांट दिया गया है। लेकिन अब यह दशा बदलने की आवश्यकता है। यूथ डवलपमेंट कार्य मांग रहा है जिसे देश के करोड़ो युवाओं आपसी भेदभाव को मिटाकर नए भारत की स्थापना करेगे। अब यूथ अपना भविष्य तय करेगा, राजनीतिक दल केवल यूथ का इस्तेमाल कर उनके भविष्य को निचोड़ रहे है उन्हें दिशा हीन बना रहे है। जल्द ही हम सभी युवा साथी और जो लोग यूथ डवलपमेंट की दिशा में कार्य करना चाहते है वह एक ऐसे संगठन की स्थापना कर रहे जिसमे केवल यूथ पर चर्चा होगी।
हाथरस यूपी में हुई घटना के जवाब में अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि घटना बेहद दुःखद है व्यक्तिगत तौर पर ऐसी घटनाओं से में अपने आपको शर्मशार समझता हूं। आखिरकार आज देश कहा जा रहा है। क्या यही अभिव्यक्ति की आजादी है, क्या ऐसी घटनाओं से हम अपने घर, परिवार, बहन, बेटी की इज्जत को सुरक्षित रख पाएंगे।
यह अपने आप मे एक गंभीर प्रश्न है जब देश मे बहन, बेटी अपनी आजादी के साथ घूम फिर नही सकती है तो देश कहाँ सुरक्षित है। देश मे बढ़ती रेप जैसी घटनाओं से ना केवल देश बल्कि इंसानियत शर्मशार हो रही है। इंसानियत को शर्मशार होने से बचाने के किये प्रत्येक नागरिक को नैतिक जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी, जहां तक देश के शर्मशार होने की बात है उसमें काफी हद तक सरकारें दोषी है जो कानून बनाकर भूल जाती है और घटनाओं को संरक्षण देकर आरोपियों का साथ देती है। ऐसे देश को सख्त कानून के साथ – साथ सख्त कानून के डर की भी आवश्यकता है।
मेरी विचार से बलात्कार जैसी घटनाओं के आरोपियों को फांसी की सज़ा ना देकर विकलांग करने की सज़ा का प्रावधान होना चाहिए। जिसमें प्रत्येक आरोपी के एक हाथ और एक पांव को काटकर सड़क पर तड़पने के लिए छोड़ देना चाहिए, जब वह ज़िंदगी भर तड़पेगा तो उसे एक लड़की और उसके परिवार की इज्जत का एहसास होगा। इस कानून को अगर स्थापित किया जाता है तो आरोपियों में भी डर पैदा होगा।