Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 13 अक्टूबर 2020 -ट्रांसयूनियन सिबिल-सिडबी एमएसएमई पल्स रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण के निष्कर्षों के आधार पर कहा जा सकता है कि इस साल मई में इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के लॉन्च के बाद से एमएसएमई क्रेडिट संवितरण में व्यापक तेजी नजर आती है। जून 2020 में भारत में कुल आॅन-बैलेंस शीट काॅमर्शियल लेंडिंग एक्सपोजर 67.03 लाख करोड़ रुपए था, जो जून 2019 की राशि 69.77 लाख करोड़ रुपए से थोड़ा कम था। इसमें से जून 2020 के अनुसार एमएसएमई सेगमेंट के लिए क्रेडिट एक्सपोजर 16.94 लाख करोड़ रुपए था।
रिपोर्ट में ‘वैरी स्माॅल और माइक्रो 1 कैटेगरी‘ के अलावा अधिकांश एमएसएमई सब-सेगमेंट में मंदी देखी गई है। एमएसएमई सेगमेंट में एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) दरों में मामूली वृद्धि देखी गई, जो जून 2020 में बढ़कर 12.8 हो गया हो गया, जबकि जून 2019 में यह 11.4 प्रतिशत था। एमएसएमई सब-सेगमेंट के भीतर, बड़े टिकट आकार वाले सब-सेगमेंट के लिए आमतौर पर एनपीए दरें अधिक होती हैं।
ईसीएलजीएस के कारण एमएसएमई लेंडिंग में रिकवरी में तेजी
मई 2020 में आत्मनिर्भर भारत की पहल का एलान किया गया, जिसमें ईसीएलजीएस के माध्यम से एमएसएमई ऋण पर 100 प्रतिशत क्रेडिट गारंटी के लिए प्रावधान किया गया। इसके बाद एमएसएमई लेंडिंग पर ईसीएलजीएस का सकारात्मक प्रभाव नजर आने लगा। नतीजा यह रहा कि एमएसएमई क्रेडिट डिस्बर्सल की संख्या में काफी वृद्धि हुई, जबकि लाॅकडाउन के दौरान इस संख्या में बहुत गिरावट दर्ज की गई थी। एमएसएमई पल्स के विश्लेषण से पता चलता है कि लॉकडाउन के दौरान, सभी ऋणदाता समूहों में क्रेडिट डिस्बर्सल प्रभावित हुए थे। ईसीएलजीएस की लाॅन्चिंग के बाद, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इस योजना को लागू करने और कार्यान्वित करने में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप पीएसबी के क्रेडिट डिस्बर्सल अमाउंट में फरवरी 2020 की तुलना में 2.6 गुना वृद्धि दर्ज की गई। यहां तक कि एमएसएमई सेगमेंट में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों का क्रेडिट डिस्बर्सल भी फरवरी 2020 के स्तर पर आ गया।
एमएसएमई पल्स रिपोर्ट के निष्कर्षों की जानकारी देते हुए ट्रांसयूनियन सिबिल के एमडी और सीईओ श्री राजेश कुमार ने कहा, ‘‘ ईसीएलजीएस योजना बैंकों को एमएसएमई के लिए वित्त उपलब्ध कराने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। यह स्पष्ट है कि इस योजना को ऋण संस्थानों द्वारा बेहद प्रभावी रूप से लागू किया गया है और सरकार और ऋणदाताओं के समन्वित प्रयासों ने एमएसएमई सेगमेंट में क्रेडिट इन्फ्यूजन को पुनर्जीवित करना संभव हो सका है। अब जैसा कि अर्थव्यवस्था फिर से खुल गई है, ऐसे में योग्य एमएसएमई को खोजना और उन्हें फाइनेंसिंग करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। कोविड-19 के दौर के बाद एमएसएमई लेंडिंग ईकोसिस्टम में अनेक तरीके विकसित हुए हैं, जिन्हें एमएसएमई पल्स के इस संस्करण में विस्तार से कवर किया गया है।‘‘
रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए सिडबी के डिप्टी मैनेजर श्री मनोज मित्तल ने कहा, ‘‘एमएसएमई क्षेत्र का पुनरुत्थान हमारे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सर्वोपरि है। योग्य एमएसएमई के लिए वित्त की व्यवस्था करने की दिशा में क्रेडिट उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका है, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि ईको सिस्टम के समग्र संतुलन और दीर्घकालिक स्थिरता बनाए रखने के लिए क्रेडिट जोखिम को कम किया जाए। डिजिटल और सूचना बुनियादी ढांचे पर पूंजीकरण करके और डेटा समर्थित प्रक्रियाओं और समाधानों को लागू करने से, उधारदाता एमएसएमई पोर्टफोलियो के लाभदायक और निरंतर विकास को प्राप्त करने में सक्षम होंगे।‘‘
संरचनात्मक रूप से मजबूत एमएसएमई विपरीत हालात से उबरने में कामयाब रहे
एमएसएमई पल्स में एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए छूटे भुगतान और बढ़ती उपयोग दरों जैसे विपरीत हालात के शुरुआती संकेतों का विश्लेषण किया गया। एमएसएमई उधारकर्ताओं के लिए ये शुरुआती संकेत चार महीने की छोटी अवधि यानी महामारी के बाद के दौर मार्च 2020 से जून 2020 तक देखे गए हैं। अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि फरवरी 2020 तक सीएमआर-1 से सीएमआर-3 के सुपर-प्राइम सेगमेंट में मार्च 2020 से जून 2020 के बीच कोविड-19 के दौरान अपेक्षाकृत कम भुगतान में चूक हुई है। उपयोग दरों में बदलाव के लिए इसी तरह के रुझान देखे गए हैं।ये शुरुआती संकेत बताते हैं कि संरचनात्मक रूप से मजबूत एमएसएमई महामारी द्वारा उत्पन्न आर्थिक आघात के बावजूद अपेक्षाकृत अधिक मजबूत बन कर उभरे हैं।
महामारी के बाद एमएसएमई क्रेडिट लैंडस्केप में बदलाव
कोविड-19 महामारी और उससे उत्पन्न व्यवधानों के कारण एमएसएमई को ऋण देने वाले ईको सिस्टम में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को संचालित करने वाले कारकों में एमएसएमई ग्राहक व्यवहार, ग्राहक प्रोफाइल और उभरती प्रवृत्तियों के लिए ऋण उद्योग की प्रतिक्रिया शामिल है।
भौगोलिक स्तर पर परिवर्तनों का अध्ययन करने पर यह देखा गया है कि मेट्रो शहरों में एमएसएमई क्रेडिट डिस्बर्स अप्रैल और मई 2020 के दौरान सबसे अधिक प्रभावित हुए थे, हालांकि ईसीएलजीएस के कार्यान्वयन के बाद जून 2020 में ये वापस अपने पुराने स्तर पर लौट आए। शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रैल और मई 2020 के दौरान अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा, लेकिन कोविड-19 के पूर्व के स्तरों की तुलना में अभी भी काफी कम है। एक बार पुनः यह तथ्य रेखांकित करना होेगा कि इन भौगोलिक क्षेत्रों में लॉकडाउन में छूट के कारण इन सभी क्षेत्रों में जून 2020 में क्रेडिट डिस्बर्सल में भारी वृद्धि दर्ज की गई।
एमएसएमई क्रेडिट के दृश्य में राज्यवार बदलावों को आगे बढ़ाते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि ईसीएलजीएस के कारण समग्र राष्ट्रीय स्तर परएमएसएमई क्रेडिट डिस्बर्सल्स में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, पर महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में फरवरी 2020 की तुलना में जून 2020 में डिस्बर्सल स्तरों में सबसे कम वृद्धि हुई थी, जबकि बिहार, पंजाब, केरल और झारखंड राज्यों के लिए जून 2020 में क्रेडिट डिस्बर्स फरवरी 2020 की तुलना में चार गुना बढ़ गए।
एमएसएमई पल्स के इस संस्करण में यह भी विश्लेषण किया गया है कि कोविड-19 लाॅकडाउन के बाद कैसे उधारदाताओं ने उभरते हुए क्रेडिट डिमांड पर अपनी प्रतिक्रिया दी। इसे मापने के लिए, इसने ऋणदाताओं के साथ अपने मौजूदा संबंधों के आधार पर एमएसएमई उधारकर्ताओं को वर्गीकृत किया। ऐसे उधारकर्ता जिनके पास ऋणदाता के साथ मौजूदा वाणिज्यिक ऋण संबंध थे, को एक्जिस्टिंग-टू-बैंक (ईटीबी) के रूप में टैग किया गया था, मौजूदा ऋणदाता के साथ कोई वाणिज्यिक ऋण संबंध नहीं रखने वाले उधारकर्ता, लेकिन उद्योग में एक अन्य ऋणदाता के साथ व्यावसायिक ऋण संबंध रखने वाले को न्यू-टू-बैंक (एनटीबी) के रूप में टैग किया गया था, और किसी भी ऋणदाता के साथ कोई वाणिज्यिक ऋण संबंध नहीं रखने वाले उधारकर्ताओं को न्यू-टू-क्रेडिट (एनटीसी) के तहत टैग किया गया था। यह देखा गया कि भले ही जुलाई और अगस्त 2020 में कुल व्यावसायिक क्रेडिट इंक्वायरी में एनटीसी इंक्वायरी लगभग पूर्व-महामारी के स्तर तक पहुंच गई है, लेकिन अप्रैल से जून 2020 के दौरान इसमें काफी कमी आई थी। ईटीबी इंक्वायरी में अप्रैल से जून 2020 के दौरान अनुपातिक रूप से बहुत वृद्धि हुई, लेकिन जुलाई और अगस्त 2020 की प्रवृत्ति फरवरी 2020 के स्तर को दर्शाती है। ईटीबी, एनटीबी और एनटीसी पूछताछ के ये रुझान सभी प्रकार के पीएसबी, निजी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के अनुरूप हैं।
रिपोर्ट ने कोविड-19 लाॅकडाउन के बाद सिबिल एमएसएमई रैंक (सीएमआर) के पूछताछ के वितरण का अध्ययन किया और उच्च जोखिम की दिशा में मूवमेंट की पहचान की। पीएसबी, निजी बैंकों और एनबीएफसी के लिए सीएमआर वितरण सीएमआर -1 से सीएमआर -3 में सुपर-प्राइम एमएसएमई के लिए कम हो गया है और फरवरी 2020 की तुलना में अगस्त 2020 में सीएमआर -7 से सीएमआर -10 तक सब-प्राइम एमएसएमई के लिए वृद्धि हुई है। सब प्राइम इंक्वायरी में सर्वाधिक संख्या एनबीएफसी के पास थी- फरवरी 2020 में 15 प्रतिशत से अगस्त 2020 में 24 प्रतिशत तक। पीएसबी में सुपर प्राइम इंक्वायरी में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई- फरवरी 2020 में 38 प्रतिशत से अगस्त 2020 में 32 प्रतिशत तक। सभी ऋणदाता समूहों के लिए सीएमआर वितरण की मासिक ट्रेजेक्ट्री ने फिर से फरवरी 2020 के स्तर से शुरू करने की प्रवृत्ति दिखाई।
एमएसएमई पल्स के इस संस्करण ने प्रत्येक क्षेत्र में एमएसएमई की संरचनात्मक ताकत को समझने के लिए एमएसएमई उधारकर्ताओं के सेक्टर-वार जोखिम आकलन का विश्लेषण किया। जिन क्षेत्रों के लिए विश्लेषण किया गया है, उन्हें आरबीआई की ष्त्मचवतज व िजीम म्गचमतज ब्वउउपजजमम वद त्मेवसनजपवद थ्तंउमूवता वित ब्वअपक.19 तमसंजमक ैजतमेेष् से लिया गया है। क्षेत्रवार सिबिल एमएसएमई रैंक (सीएमआर) डिस्ट्रीब्यूशन से पता चलता है कि लॉजिस्टिक्स, होटल-रेस्तरां-पर्यटन और खनन में सुपर-प्राइम एमएसएमई का अनुपात अपेक्षाकृत कम है, जबकि रसायन और फार्मास्यूटिकल्स, विनिर्माण और ऑटो कंपोनेंट्स, विनिर्माण और डीलरशिप जैसे क्षेत्रों में सुपर-प्राइम का सबसे बड़ा हिस्सा है एमएसएमई। हालांकि हमारे विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि क्षेत्रों में एमएसएमई का अधिकांश हिस्सा संरचनात्मक रूप से मजबूत है और मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के दौर में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
निष्कर्ष के रूप में श्री राजेश कुमार ने कहा, ‘‘पिछले छह महीनों में एमएसएमई ऋण देने वाले ईको सिस्टम में कई बदलाव आए हैं। और इस ईको सिस्टम के सभी खिलाड़ी निरंतर मजबूती और लचीलेपन के साथ एमएसएमई को ऋण देने के न्यू नाॅर्मल को अपना रहे हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, न्यू नाॅर्मल ईको सिस्टम के खिलाड़ियों के लिए नई चुनौतियां सामने आएंगी। उद्योग के स्तर पर एमएसएमई की बारीकियों पर नजर रखने और समयबद्ध तरीके से निर्णय करने से ऋणदाताओं का निरंतर विकास होगा और इससे दीर्घकाल में एमएसएमई और हमारी अर्थव्यवस्था को भी निरंतर मजबूती मिलेगी।‘‘
एमएसएमई पल्स- एडिशन ग् – हाइलाइट्स
ईसीएलजीएस ने एमएसएमई क्रेडिट इन्फ्यूजन को दिया बढ़ावा – कोविड-19 महामारी के कारण एमएसएमई के लिए क्रेडिट इन्फ्यूजन में तेजी से गिरावट आई। लेकिन मई 2020 में ईसीएलजीएस योजना के क्रियान्वयन ने एमएसएमई के लिए क्रेडिट इन्फ्यूजन को पुनर्जीवित करने में काफी बढ़ावा दिया और इस तरह एमएसएमई की काफी मदद की। इस योजना के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एमएसएमई को फरवरी 2020 की तुलना में जून 2020 में ऋण की 2.6 गुना अधिक राशि दी। यहां तक कि जून 2020 में एमएसएमई सेगमेंट में पीएसबी क्रेडिट डिस्बर्सल फरवरी 2020 के स्तर पर वापस आ गए थे।
जिन क्षेत्रों में कम कठोर लॉकडाउन लागू किया गया, वहां अपेक्षाकृत बेहतर क्रेडिट इन्फ्यूजन और क्रेडिट बकाया में मामूली गिरावट देखी गई – मेट्रो क्षेत्रों में लाॅकडाउन के दौरान एमएसएमई उधार में सबसे तेज गिरावट देखी गई और ईसीएलजीएस के बाद पुनरुद्धार की दर भी अपेक्षाकृत कम थी। जून 2020 के लिए शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित एमएसएमई ऋणों की संख्या फरवरी 2020 की तुलना में तीन गुना अधिक रही, पर मेट्रो क्षेत्रों के लिए यह 1.86 गुना था। इसी तरह की प्रवृत्ति राज्य स्तर पर देखी गई थी – अर्थात बिहार, झारखंड, पंजाब और केरल राज्यों के लिए, जून 2020 में वितरित एमएसएमई ऋणों की संख्या फरवरी 2020 की तुलना में चार गुना अधिक थी, जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली के लिए यह समान अवधि के लिए क्रमशः 1.86 और 1.06 गुना है।
माइक्रो लोन सेगमेंट में क्रेडिट बकाया में सबसे कम गिरावट देखी गई – जून 2020 के अनुसार सालाना आधार पर कुल एमएसएमई क्रेडिट बकाया 5.7 प्रतिशत की कमी के साथ 16.94 लाख करोड़ रुपए पर रहा, जबकि इसी अवधि में माइक्रो लोन सेगमेंट सालाना आधार पर 1 प्रतिशत बढ़कर 4.5 लाख करोड़ रुपए पर रहा। सभी एमएसएमई सब-सेगमेंट ईसीएलजीएस से लाभान्वित हुए, ऋणों की संख्या में सबसे बड़ी वृद्धि सूक्ष्म ऋणों में हुई, फरवरी 2020 की तुलना में जून 2020 तक आंकड़े में तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई।
एमएसएमई को नए लोन देने में एनबीएफसी पिछड़े, बाजार हिस्सेदारी में गिरावट – एक तरफ पीएसबी और निजी बैंकों द्वारा किए गए वितरण महामारी से पहले के स्तर पर वापस आ गए, लेकिन एनबीएफसी इस मामले में पिछड़ गए। उन्होंने फरवरी 2020 की तुलना में जून 2020 में सिर्फ 20 प्रतिशत वितरण राशि को ही प्रबंधित किया है। नतीजा यह रहा कि एनबीएफसी ने अपना क्रेडिट मार्केट शेयर पीएसबी और निजी बैंकों के हिस्से में डाल दिया। आगे एनबीएफसी संवितरण राशियों में सुधार के लिए अनुमान लगाया गया है, क्योंकि जून 2020 के लिए उनकी पूछताछ फरवरी 2020 के स्तर के 40 प्रतिशत पर थी और जुलाई 2020 और अगस्त 2020 में इसमें 60 प्रतिशत तक सुधार हुआ।
संरचनात्मक रूप से मजबूत एमएसएमई कोविड-19 के दौरान भी लगातार प्रभावी बने रहे- महामारी के बाद मार्च 2020 से जून 2020 तक की चार महीने की अवधि में सीएमआर -1 से सीएमआर -3 के सुपर-प्राइम सेगमेंट में टर्म लोन पर मिस्ड भुगतान के सबसे कम उदाहरण (25 प्रतिशत) देखे गए, जबकि सीएमआर-7 से सीएमआर-10 के सब प्राइम सेगमेंट में 36 प्रतिशत उदाहरण देखे गए। नकद क्रेडिट/ ओवरड्राफ्ट सुविधाओं पर, सीएमआर-4 से सीएमआर-6 के प्रमुख खंडों में सीएमआर-1 से सीएमआर-3 के सुपर-प्राइम खंडों की तुलना में उच्च उपयोग दर में अपेक्षाकृत अधिक परिवर्तन हुआ। इसलिए, यदि चूक भुगतान और बढ़ती उपयोग दरों को तनाव के शुरुआती संकेतों के रूप में माना जाता है, तो संरचनात्मक रूप से मजबूत एमएसएमई महामारी द्वारा उत्पन्न आर्थिक व्यवधानों के बावजूद अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी बने रहे।
संरचनात्मक रूप से मजबूत एमएसएमई सभी क्षेत्रों में मौजूद हैं- रिपोर्ट में कोविड-19 संबंधित दिनांक 07 सितंबर 2020 की आरबीआई रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में उल्लिखित एमएसएमई के सीएमआर वितरण का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण के अनुसार लाॅजिस्टिक्स, होटल-रेस्टाॅरेंट-टूरिज्म और माइनिंग क्षेत्रों में सुपर-प्राइम एमएसएमई का अपेक्षाकृत कम अनुपात है, जबकि रासायनिक और फार्मास्यूटिकल्स, विनिर्माण और ऑटो कंपोनेंट्स, विनिर्माण और डीलरशिप जैसे क्षेत्रों में सुपर-प्राइम एमएसएमई का अपेक्षाकृत बड़ा हिस्सा है। लेकिन, सभी क्षेत्रों में एमएसएमई का एक बड़ा हिस्सा संरचनात्मक रूप से मजबूत है और मौजूदा आर्थिक चुनौतियों में बेहतर कार्य कर रहा है।
अगस्त 2020 में क्रेडिट इंक्वायरी का सीएमआर वितरण फरवरी 2020 के स्तर से अधिक जोखिम की ओर बढ़ गया है- फरवरी 2020 की तुलना में अगस्त 2020 में पीएसबी, निजी बैंकों और एनबीएफसी के लिए सीएमआर वितरण, सीएमआर -1 से सीएमआर -3 ब्रेकेट में सुपर-प्राइम एमएसएमई के लिए कम हो गया है और सीएमआर-7 से सीएमआर-10 तक के ब्रेकेट में सब प्राइम एमएसएमई के लिए बढ़ा है। सर्वाधिक वृद्धि एनबीएफसी से सब प्राइम इंक्वायरी में देखी गई- फरवरी 2020 में 15 प्रतिशत की तुलना मेें अगस्त 2020 में 24 प्रतिशत। पीएसबी ने सुपर-प्राइम पूछताछ में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की – फरवरी 2020 में 38 फीसदी से अगस्त 2020 में 32 प्रतिशत। हालांकि, सभी ऋणदाताओं में सीएमआर वितरण के महीने-दर-महीने ट्रेजेक्ट्री ने फरवरी 2020 के स्तर पर लौटना फिर से शुरू किया है।
जून 2020 के लिए एमएसएमई सेक्टर की एनपीए दर मार्च 2020 की तुलना में मामूली रूप से अधिक- ज्यादातर एमएसएमई खंडों के लिए जून 2020 में एनपीए की दरें मार्च 2020 के स्तर से थोड़ी अधिक थीं, लेकिन यह प्रवृत्ति पिछले साल की वृद्धि यानी मार्च 2019 के मुकाबले जून 2019 के अनुरूप ही थी। एनबीएफसी ने जून 2020 में एमएसएमई एनपीए की दर में 9.7 प्रतिशत की तेजी दिखाई, जबकि जून 2019 के यह 5.8 फीसदी के स्तर पर थी। निजी बैंकों की एनपीए दर भी जून 2020 में बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गई जो जून 2019 में 4.6 फीसदी थी।