Editor-Dinesh Bhardwaj
जयपुर, 18 अक्टूबर। आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान द्वारा उनके फेसबुक पेज पर ‘कीप यॉर आइज, कीप यॉर विजन इन्टैक्ट’ विषय पर शनिवार शाम को आयोजित लाइव वेबिनार में दर्शकों ने अपनी आंखों की देखभाल करने के विभिन्न तरीकों और आंखों की विभिन्न अवस्थाओं के बारे में समझा। वेबिनार को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के हेड रेटिना – ओपथेलमोलॉजी, डॉ. निरेन डोंगरे ने संबोधित किया। वे आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान की सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा के साथ चर्चा कर रहे थे। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई के सहयोग से प्रस्तुत यह वेबिनार यश (ईयर ऑफ अवैयरनेस ऑन साइंस एंड हैल्थ) 2020 डायलॉग सीरीज के तहत आयोजित किया गया था।
ड्राय आइज अवस्था के बारे में डॉ. डोंगरे ने बताया कि लोगों के जीवनकाल में वृद्धि होने, कॉन्टैक्ट लेंस पहनने, कंप्यूटर का उपयोग बढ़ने, अधिक संख्या में लोगों का लैसिक कराने, प्रदूषण और शुष्क वातावरण आदि ड्राय आइज के कुछ कारण हैं। अगर किसी को आखों में जलन, किरकिराहट, हल्की सेंसिटिविटी आदि का अनुभव हो रहा है, तो उन्हें ड्राय आइज की समस्या हो सकती है। लंबे समय तक शुष्क वातावरण से बचाव, पलकों की स्वच्छता बनाए रखने और धूम्रपान नहीं करने जैसे कुछ सामान्य उपाय हैं जिससे ड्राय आइज की समस्या से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फ्लैक्ससीड ऑयल (शाकाहारियों के लिए) और मछली का तेल (मांसाहारी लोगों के लिए), विटामिन ए, बी-12, बी-6, सी और डी का उपयोग ड्राय आइज की समस्या दूर करने में मदद कर सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि लोगों द्वारा डिजिटल उपकरणों के बढ़ते उपयोग के कारण कई लोग ‘कंप्यूटर विजन सिंड्रोम’ या ‘डिजिटल आई स्ट्रेन’ (डीईएस) से भी पीड़ित हैं। आंखों की इस अवस्था में सिरदर्द, धुंधलापन, गर्दन में दर्द, थकान, डबल विजन जैसे कुछ लक्षण शामिल हैं। ब्लिंकिंग की कमी से डीईएस होता है जिससे विभिन्न दूरियों पर शीघ्रता और सुगमता से ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। इसे ’20-20-20 नियम’ का पालन करके रोका जा सकता है, जिसमें प्रत्येक 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए एक ऐसी वस्तु को देखना होता है जो 20 फीट दूर हो।
आखों से जुड़े कुछ मिथकों को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि गाजर खाने और दृष्टि में सुधार करने के लिए नेत्र व्यायाम करने, आंखों की सेहत बढ़ाने के लिए सूरज को एकटक देखने और यह मानना कि सभी नेत्र चिकित्सक एक समान होते हैं, ये सभी मिथक हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह, लेटे-लेटे पढ़ने, निरंतर आंखों के चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करने के साथ-साथ चश्मा न लगाने से चश्मे की पॉवर बढ़ाती है, आदि भी आंखों से संबंधित कुछ मिथक हैं।