Editor-Ravi Mudgal
जयपुर, 20 नवंबर 2020। विश्व मधुमेह दिवस के सन्दर्भ में उदयपुर के कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. जय चोरडिया और जयपुर के सीनियर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. शैलेष लोढा ने जयपुर में एक राउंड टेबल का आयोजन किया। इस बैठक में कोविड-19 महामारी के दौरान डाइबिटीज को नियंत्रित रखने के महत्व की चर्चा की गई। डॉ. जय चोरडिया और डॉ. शैलेष लोढा ने हाल ही में जारी नोवो नोर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन की सैकंड ईयर रिपोर्ट ‘इंपैक्ट इंडिया: 1000 डे चैलेंज’ के आधार पर डाइबिटीज प्रबंधन को लेकर सामने आए ट्रेंड्स पर भी मंथन किया।
इंडिया डाइबिटीज केयर इंडेक्स (आईडीसीआई) के नवीनतम निष्कर्ष इस बात को दर्शाते हैं कि जयपुर में वर्ष 2018 से ग्लाइकोसाइलेटेड हीमोग्लोबिन या एचबीए1सी लेवल 8.30 से घटकर 8.01 रह गया है। एचबीए1सी लॉन्ग टर्म ब्लड शुगर कंट्रोल का सर्वश्रेष्ठ अनुशंसित सूचक है और तीन महीने के लिए औसत ब्लड शुगर कंट्रोल प्रदान करता है।
जयपुर में एचबीए1सी लेवल घटने पर चर्चा करते हुए सीनियर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. शैलेष लोढा ने कहा, ‘लगातार दो वर्षों से जयपुर में डाइबिटीज से पीडि़त लोगों में औसत एचबीए1सी के लेवल में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। कोविड-19 महामारी के चलते लगे प्रतिबंधों के कारण लोगों को घरों में लंबे समय तक रुकना होता है, उसके बावजूद जयपुर वासियों ने अपने एचबीए1सी के स्तर पर को बेहतरीन तरीके से नियंत्रित किया है। यह सकारात्मक संकेत है क्योंकि डाइबिटीज से पीडि़त लोगों में कोरोना संबंधी जोखिम 50 फीसदी अधिक है।’
डाइबिटीज का प्रभावी प्रबंधन अच्छी डाइट, नियमित शारीरिक व्यायाम और डाइबिटीज के लेवल की लगातार निगरानी के जरिए ही किया जा सकता है। डाइबिटीज से पीडि़त लोगों को ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखने के लिए अपने घर पर दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखना चाहिए। इसके अलावा यदि सांस लेने में कठिनाई या सासें छोटी होना, बुखार, सूखी खांसी, थकान, शरीर में दर्द, गला खराब होना, सिर दर्द, स्वाद नहीं आना या सूंझने में परेशानी होना आदि अनुभव करें तो तुरंत डॉक्टर्स की मदद लेनी चाहिए।
आईडीसीआई ‘इम्पैक्ट इंडिया: 1000 डे चैलेंज’ कार्यक्रम का हिस्सा है जो नोवो नोर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन संचालित कर रही है और देशभर में डाइबिटीज के स्तर की निगरानी का काम करती है। आईडीसीआई को देश में डाइबिटीज केयर का स्टेटस जानने के लिए इस कार्यक्रम के अंग के तौर पर 2018 में शुरू किया गया था। बिग डाटा एनालिटिक्स पर आधारित आईडीसीआई देश के चुने गए शहरों में एचबीए1सी के औसत का रियल टाइम व्यू प्रदान करती है, जो कि डाइबिटीज कंट्रोल का प्रमुख सूचक है।
वर्तमान में देश में 7.7 करोड़ लोग डाइबिटीज से पीडि़त हैं। इम्पैक्ट इंडिया प्रोग्राम के तहत मेडिकल सेक्टर के प्रैक्टिसनर्स (डॉक्टर्स और पैरामेडिक्स) से साझेदारी के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भी मदद ली जा रही है ताकि देश में डाइबिटीज को नियंत्रित करने में उपयुक्त अप्रोच को अपनाया जा सके। आईडीसीआई एक बहुत ही बेहतरीन टूल है जो न केवल डाइबिटीज केयर के स्तर को ट्रैक करती है बल्कि जागरूकता बढ़ाने, उत्साह बढ़़ाने और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स एवं समाज को संवेदनशील बनाने में भी मदद करती है। इस प्रोग्राम को पिछले दो वर्षों में हेल्थकेयर प्रैक्टिसनर्स (एचसीपी) और डाइबिटीज से पीडि़त लोगों से देशभर में बहुत समर्थन मिला है। हर तिमाही में आईडीसीआई के परिणामों में सुधार का ट्रेंड देखा गया है और इससे भविष्य में देश पर डाइबिटीज से पड़ने वाले असर को कम किया जा सकेगा।