Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 10 नवंबर 2020 : कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर अपील की है कि वे अपने राज्य में न्यू–एज पाठ्यक्रम के और अधिक विस्तार पर विचार करें ताकि ये पाठ्यक्रम राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश की स्थानीय माँग को पूरा कर सकें और इसके साथ ही वहाँ के कुशल श्रमिकों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में पहचान मिल सके। उन्होंने अपने पत्र में अनुरोध करते हुए कहा है कि न्यू–एज पाठ्यक्रमों के प्रस्ताव तैयार करने के लिए प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) हरसंभव सहायता उपलब्ध कराएगा। इसके साथ ही अनुदेशकों और प्रशिक्षकों के लिए भी प्रशिक्षण सहायता दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय देश की सभी आईटीआईज़ को नवीनतम जरूरतों के अनुसार कार्यबल को प्रशिक्षित करने में सक्षम बनाने के लिए तेजी से प्रयास कर रहा है। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के अन्तर्गत आने वाले प्रशिक्षण महानिदेशालय ने एनएसक्यूएफ़ के अनुरूप 13 न्यू–एज पाठ्यक्रम शुरू किए हैं जो स्मार्ट सिटी के लिए तकनीशियन मेक्ट्रोनिक्स से लेकर इंटरनेट ऑफ थिंग्स और स्मार्ट कृषि से लेकर भू–सूचना विज्ञान सहायक के रूप में हैं। इन सभी पाठ्यक्रमों को औद्योगिक विशेषज्ञों के परामर्श और सक्रिय भागीदारी से विकसित किया गया है। प्रशिक्षण महानिदेशालय द्वारा जून माह में सभी राज्यों के मुख्य एवं प्रमुख सचिवों को भी पत्र लिख कर आईटीआईज़ में न्यू–एज पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने का अनुरोध किया जा चुका है लेकिन अब तक प्रशिक्षण महानिदेशालय को केवल कुछ ही प्रस्ताव मिले हैं जिन पर सक्रिय रूप में विचार किया जा रहा है। इन मिले कुछ प्रस्तावों को शीघ्र ही दिशा– निदेशों के अनुरूप अनुमोदित किया जाएगा।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय का प्रयास है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के विज़न को देखते हुए देश में कौशल ज्ञान के प्रयासों को तेज गति प्रदान की जा सके। भारत में घरेलू माँग को पूरा करने के साथ–साथ देश के उत्पाद और सेवाएँ वैश्विक बाजारों में अपनी धाक जमा सकें। देश का कुशल श्रमबल मैकेनिकल और मैनुअल तौर– तरीकों से आगे बढ़ते हुए तेजी से डिजिटल व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित हो सके। उद्योगों की भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए संबंधित प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भविष्य के कार्यबल की आवश्यकता को भी तेजी से पूरा किया जा सके। नई प्रौद्योगिकी क्षेत्रों जैसे डेटा एनालिटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन आदि में उद्योग के सहयोग से अधिक तकनीकी कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए आईटीआई के वर्तमान शैक्षणिक ढांचे को रीस्ट्रक्चर करना समय की माँग है। इसके साथ ही स्थानीय उद्योगों द्वारा अडॉप्ट एवं मेंटर करने के लिए आईटीआई द्वारा सपोर्ट ईकोसिस्टम बनाना भी बेहद आवश्यक है।
देश में पारंपरिक रोज़गार अब नई भूमिकाओं और नए क्षेत्रों के लिए रास्ता बना रहे हैं। इस बदलाव के कारण रोज़गार बाज़ार के लिए आवश्यक नए कौशल विकसित हो रहे हैं। नए रोज़गारों को अपनी तत्परता सुनिश्चित करने और बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए औपचारिक शिक्षा के दौरान कार्यबल को पर्याप्त और उचित रूप से कुशल होने की आवश्यकता है। डिजिटलीकरण भारत में हर उद्योग के परिवर्तन को गति दे रहा है। कुशल कर्मचारियों के साथ, यह सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है कि देश भर की आईटीआईज़ में छात्र न्यू–एज पाठ्यक्रमों में डिजिटल रूप से सुसज्जित होकर कुशल कार्यबल में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह से सक्षम हों।