Editor-Manish Mathur
जयपुर 17 नवंबर 2020 : माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलाए जा रहे गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) ने उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड के 116 जिलों में 3 लाख प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण शुरू किया है।इस पहल के द्वारा, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 2016-2020 के केंद्र प्रायोजित और केंद्र प्रबंधित घटक के तहत, मांग-संचालित कौशल और अभिविन्यास के माध्यमसे कोविड-19 के बाद प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीण आबादी को सशक्त बनाना है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय जिला कलेक्टरों / जिला मजिस्ट्रेटों / उपायुक्तों के सहयोग से 125 दिनों के कार्यक्रम के साथ कौशल प्रशिक्षण के लिए इन 6 जिलों में प्रशिक्षण के लिए कार्यक्रम शुरू कर रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कुछ-कुछ जिलों में शुरू हो चुका है और बचे हुए जिलों में इसी महीने से प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत हो जाएगी।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के तत्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) पीएमकेवीवाई 2016-20 या राज्य की योजनाओं के तहत मौजूदा प्रशिक्षण प्रदाताओं और परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम को क्रियान्वित कर रहा है। लघु अवधि प्रशिक्षण (एसटीटी) कार्यक्रम के तहत 1.5 लाख प्रवासी श्रमिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, और अन्य 1.5 लाख प्रवासी श्रमिकों को रिकगनाइजेशन ऑफ़ प्रायर लर्निग (आरपीएल) योजना के तहत प्रमाणित किया जा रहा है। इन जिलों में स्थानीय नौकरियों के साथ-साथ प्रशिक्षण के उद्देश्य से वापसी आने वाले श्रमिकों को एकत्रित करने का कार्य जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। कौशल मंत्रालय स्थानीय उद्योगों की मांग के अनुसार विभिन्न नौकरी भूमिकाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण आयोजित करने के अपने प्रयासों को बढ़ा रहा है, जैसा कि जिला प्रशासन द्वारा अनुशंसित है।
ग्रामीण विकास के लिए कौशल और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए माननीय केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा, “कौशल सशक्तिकरण के माध्यम से ग्रामीण विकास किया जाएगा जोस्किल इंडिया मिशन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। इसमें कुल कर्मचारियों का 70% ग्रामीण भारत से आता है। उद्योगों की बदलती जरूरतों के अनुसार ग्रामीण कार्यबल को कुशल बनाने की अति आवश्यकता है ताकि स्किलिंग इकोसिस्टम में विभिन्न भागीदारों के बीच सहजता से तालमेल बनाया जा सके। हमें प्रवासी श्रमिकों पर पड़ने वाले दवाबों को कम करना है और क्षेत्रीय स्तरों पर उद्योग-प्रासंगिक नौकरियों का पुनर्निर्माण करने की अधिक आवश्यकता है ताकि हम खुद को फिर से संगठित करके एक दूसरे के पूरक बन सके। हम प्रवासी श्रमिकों के लिए बेहतर और स्थायी आजीविका के अवसर पैदा करने और स्थानीय मांग-संचालितकौशल विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। श्रमिकों की सामूहिक ताकत हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।”
इन चिन्हित जिलों में कौशल प्रशिक्षण और ओरीएन्टेशन कार्यक्रम के लिए स्किल इंडिया पोर्टल पर प्रशिक्षण प्रदाताओं की मान्यता और संबद्धता को प्रकाशित करने और उसके बाद सिस्टम-आधारित लक्ष्यों को स्वीकृति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन 6 राज्यों में असिस्टेंट इलेक्ट्रीशियन, सेल्फ इम्प्लॉयड टेलर, रिटेल सेल्स एसोसिएट, कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव (कॉल सेंटर), सिलाई मशीन ऑपरेटर और जेनरल ड्यूटी असिस्टेंट और अन्य नौकरी की भूमिकाओं की अधिम मांग हैं। जैसा कि गरीब कल्याण रोजगार अभियान, शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग (एसटीटी) का एक हिस्सा है, एसटीटी-सीएससीएम-पीएमकेवीवाई 2016-20 के अनुसार पात्र उम्मीदवारों के लिए सभी लाभ लागू हैं। दिशा-निर्देश के अनुसार, पात्र अभ्यर्थियों को कन्वेक्शन सपोर्ट, बोर्डिंग और लॉजिंग, पोस्ट प्लेसमेंट सपोर्ट, सहायक सहायता और अन्य सहायता के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) मिल रहा है।
स्किल इंडिया की प्रमुख पीएमकेवीवाई योजना के तहत शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग (एसटीटी) का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों और नौकरी की भूमिकाओं के लिए स्कूल / कॉलेज ड्रॉप आउट या बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अवधि नौकरी की भूमिकाओं के अनुसार भिन्न होती है, यह 150 और 300 घंटे के बीच होती है। रिकगनाइजेशन ऑफ़ प्रायर लर्निग (आरपीएल) कार्यक्रम औपचारिक परिस्थितियों के बाहर सीखने की योग्यता को मान्यता प्रदान करती है और एक व्यक्ति के कौशल के लिए एक सरकारी प्रमाणपत्र प्रदान करती है। उम्मीदवारों की डिजिटल और वित्तीय साक्षरता की अवधारणा तक पहुंच बढ़ रही है और उन्हें आकस्मिक बीमा कवरेज तीन साल तक मुफ्त मिलती है। आरपीएल कार्यक्रम में भाग लेने वाले उम्मीदवारों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है और प्रत्येक सफलतापूर्वक प्रमाणित उम्मीदवार को 500 रुपय दिए जाते हैं।
कौशल मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 2016-2020 के तहत अब तक 92 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।