कला की कोई सीमा नहीं है और कार्टिस्ट ने इसे साबित कर दिया है। कोविड-19 के इस चुनौतीपूर्ण समय में कार्टिस्ट ने बावजूद कलाकारों को कार्टिट फेस्टिवलका मंच प्रदान करते हुए अपनी विरासत को आगे बढ़ाया है। कार्टिस्ट के संस्थापक हिमांशु जांगिड़ ने बताया कि यह वर्ष एक कदम आगे बढ़ने का नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से अतीत में हमने जो हासिल किया है उसके साथ खड़े होने का है। कार्टिस्ट ने पांच वर्षों की अवधि में अब हमारे पास कलाकारों और ऑटोमोबाइल जगत के लोगों का परिवार है जो हमारा समर्थन करते हैं और हमारी ऑटोमोबाइल कला के माध्यम से योगदान करने के लिए हमसे आशा देखते हैं। इस बार यह फेस्टिवल भले ही वर्चुअल आयोजित किया जा रहा है, लेकिन वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन भी उतना ही थका देने वाला होता है। लेकिन हमनें देखा कि उर्जावान सहयोगियों के उत्साह की वजह से यह पूरी तरह सफल रहा और हमनें कभी हार नहीं मानी।
चार दिवसीय वर्चुअल ऑटोमोबाइल आर्ट फेस्टिवल ‘कार्टिस्ट फेस्टिवल 2020’ का समापन
Edit-Dinesh Bhardwaj
जयपुर 02 दिसंबर 2020 कला की कोई सीमा नहीं है और कार्टिस्ट ने इसे साबित कर दिया है। कोविड-19 के इस चुनौतीपूर्ण समय में कार्टिस्ट ने बावजूद कलाकारों को कार्टिट फेस्टिवलका मंच प्रदान करते हुए अपनी विरासत को आगे बढ़ाया है। कार्टिस्ट के संस्थापक हिमांशु जांगिड़ ने बताया कि यह वर्ष एक कदम आगे बढ़ने का नहीं है, लेकिन निश्चित रूप से अतीत में हमने जो हासिल किया है उसके साथ खड़े होने का है। कार्टिस्ट ने पांच वर्षों की अवधि में अब हमारे पास कलाकारों और ऑटोमोबाइल जगत के लोगों का परिवार है जो हमारा समर्थन करते हैं और हमारी ऑटोमोबाइल कला के माध्यम से योगदान करने के लिए हमसे आशा देखते हैं। इस बार यह फेस्टिवल भले ही वर्चुअल आयोजित किया जा रहा है, लेकिन वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन भी उतना ही थका देने वाला होता है। लेकिन हमनें देखा कि उर्जावान सहयोगियों के उत्साह की वजह से यह पूरी तरह सफल रहा और हमनें कभी हार नहीं मानी।
चार दिवसीय यह फेस्टिवल 27 नवंबर से सस्टेनेबिलिटी थीम पर आयोजित किया गया, जिसका आज समापन हुआ। इन चार दिनों के दौरान कला व ऑटोमोबाइल जगत की कई प्रमुख हस्तियों द्वारा सस्टेनेबल फ्यूचर के बारे में विचार व्यक्त किए।
हिमांशु जांगिड़ ने बताया कि वर्तमान महामारी की स्थिति को देखते हुए कार्टिस्ट द्वारा महसूस किया गया कि यह वर्तमान समय की आवश्यकता है जब लोगों को अपने घरों से बाहर निकाले बिना अपना कौशल विकसित कर सकते हैं, इसलिए कार्टिस्ट की ओर से वर्चुअल कार्यशालाओं की श्रृंखला तैयार की गई। इनमें कैलीग्राफी, पेपर आर्ट, ओरिगेमी, ट्राइबल आर्ट विद गोंड, वाटर कलर लैंडस्केप, कलर्ड पेंसिल, बियॉन्ड ग्रीन फॉर सस्टेनेबल आर्ट प्रैक्टिसेज, अपसाइकल द टॉय वर्ल्ड, रीपोज्ड प्लास्टिक बॉटल्स, नो योर पेपर, मधुबनी, डिजिटल क्ले स्कल्प्टिंग, स्ट्रीट टाइपोग्राफी, इंट्रोडक्शन टू ऑटोमोबाइल डिजाइन और फड़ पेंटिंग कुछ प्रमुख विषय थे।
एग्जीबिशन में विभिन्न कलाकारों का कलेक्शन डिस्प्ले किया गया, जिनमें रोहन खूंटले द्वारा ई-वेस्ट से बनाए गए कॉर्पाेरेट पार्क मिनिएचर का संग्रह शामिल था। आर्टिस्ट तीर्थ पटेल ने अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित की गई, जिनके जरिए उन्होंने बचपन में बसों के आसपास घूमने की यादों को साझा किया। इसी प्रकार रियलिस्टिक पेंटिंग्स व पारंपरिक जोगी आर्ट में विशेषज्ञता रखने वाले किशनगढ़ के आर्टिस्ट राम कुमार की कृतियां भी काफी सराही गई।
फेस्टिवल के दौरान कई विषयों पर टॉक सैशन भी आयोजित किए गए। इनमें वाय सस्टेनेबिलिटी: नीड ऑफ एन ऑर; इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) – ए न्यू वे टू ए क्लीनर इंडिया; आर्ट ऑफ सस्टेनेबिलिटी; अडॉप्टिंग सस्टेनेबल सॉल्यूशंस फॉर ए बैटर फ्यूचर; आर्ट ड्यूरिंग टाइम्स ऑफ कोविड; फोटोग्राफी ड्यूरिंग टाइम्स ऑफ कोविड 19; पेंडेमिक प्रूफ सस्टेनेबल इनोवेषंस; ए न्यू रोड टू 2021; रिलेशनशिप बिटविन आर्ट एंड टेक्नोलॉजी; एन्ट्विन्ड जर्नी ऑफ कार; आर्ट एंड डिजाइन; जर्नी ऑफ आर्टिस्ट; मोटिवेषनल स्टोरी: रेग विकर्स टू फेमस फोटोग्राफर एंड एन आर्टिस्ट; आर्ट एजुकेषन; आर्ट एजुकेषन; आर्ट हिस्ट्री; कॉन्ट्रिब्यूशन ऑफ डिजाइन स्टूडियो; इंडियन वुमन आर्टिस्ट: चैलेंजेज एंड एडवांटेज; स्किल इंडिया फॉर ऑटोमोबाइल; आर्ट कार एंड म्यूजियम; डाइंग आट्र्स फॉर्म्स ऑफ इंडिया; ट्राइबल आर्ट फॉर्म इंडिया; क्राफ्ट्स ऑफ इंडिया कुछ प्रमुख विषय थे। इन सत्रों में वक्ताओं ने सस्टेनेबिलिटी, आर्ट और ऑटोमोबाइल के महत्व पर प्रकाश डाला।
इन सत्रों में पश्चिम बंगाल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस देबाशीष सेन, ऑटोमोबाइल उद्योग के दिग्गज एवं महिंद्रा एंड महिंद्रा के टॉप 10 डीलर्स में से एक निकुंज सांघी, प्रमुख ऑटोमोटिव जर्नलिस्ट आदिल जल दारुखानवाला, ऑटोमोबाइल जगत के साथ करीब से काम करने का 22 साल का अनुभव रखने वाले अविक चट्टोपाध्याय व टीवी जर्नलिस्ट नंद कुमार नायर द्वारा अपने विषयों पर विचार रखे गए। कुछ सत्र कलाकारों द्वारा भी लिए गए, जिनमें पद्मश्री शाकिर अली, विनय शर्मा, वीर मुंशी, फोटोग्राफर विक्की रॉय, वाजित खान कुछ बड़े नाम थे। यही नहीं एक सत्र में नौ वर्षीय भारतीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट्स लिसिप्रिया ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया।
कलाकारों के समूह कार्टिस्ट द्वारा पुरानी कारों का फिर से उपयोग कर इन्हें अनूठी कलाकृतियों में परिवर्तित करके व रिसायकल करने के जरिए सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे ये पुरानी कारें पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक बनने से बच रही है। इसके अतिरिक्त भारत की कला व संस्कृति का समर्थन करने के प्रयास के तहत कार्टिस्ट के साथ देश के विभिन्न हिस्सों के कलाकारों भी उत्साहपूर्वक जुड़े हुए हैं।
इस फेस्टिवल में एक क्लासिक एंबेसडर का इंस्टॉलेशन प्रदर्शित किया गया, जिसे स्वर्णिम पत्तों के डिजाइनों से कवर किया गया। ‘ओल्ड इज गोल्ड’ नामक इस इंस्टॉलेशन के जरिए पुराने वाहनों को सावधानीपूर्वक तरीके से नष्ट किए जाने के महत्व को दर्शाया गया। इसके जरिए मजबूती के साथ यह संदेश दिया गया कि हमें हमारे व्यक्तिगत हितों के लिए धरती पर कचरे के ढेर नहीं लागने चाहिएए बल्कि समाज की भलाई के लिए सस्टेनेबल सॉल्यूशंस अपनाए जाने चाहिए।
इसके अतिरिक्त कार्टिस्ट द्वारा हजारों यूज्ड प्लास्टिक की बोतलों से भी एक अन्य आर्ट इंस्टॉलेशन भी प्रदर्शित किया गया। इसके जरिए प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने के बारे में जागरूकता उत्पन्न की गई, जो वर्तमान समय की गंभीर जरूरत भी है।
कोरोना के इस मुश्किल दौर में व्यक्तिगत हितों से आगे बढ़कर मानवता की सेवा कर रहे कोरोना योद्धाओं की कहानियों को अमर बनाने के लिए कार्टिस्ट द्वारा डॉक्टर्स को समर्पित एक कार की कलाकृति बनाई गई। यह कृति दुनिया को बचाने के लिए जी.जान से जुटकर रीयल लाइफ के हीरो बन चुके मेडिकल स्टाफ के प्रति सम्मान था।
फेस्टिवल के प्रत्येक दिन म्यूजिकल नाइट का आयोजन किया गया। इनमें अत्यधिक उर्जा वाले भारतीय आर्ट रॉक बैंड दाइरा द्वारा प्रस्तुति दी गई। इसके द्वारा वैकल्पिक रॉक का देसी सेंस ऑफ ह्यूमर के साथ संयोजन किया गया। भारत के प्रमुख इलेक्ट्रॅनिक एक्ट फज कल्चर, अलवर में मेवात क्षेत्र के लोक संगीत को डिजिटल रूप देने का उल्लेखनय कार्य कर रहे भपंग वादक यूसुफ खान और जयपुर के संगीतकार, गायक, गिटारवादक, विकल्प शर्मा ने भी प्रस्तुतियां दी गई।
कार्टिस्ट फेस्टिवल को समर्थन करने के लिएए लखनऊ, बीकानेर, दिल्ली, बैंगलोर, पुणे, इंदौर व सांगली जैसे शहरों के कलाकारों ने कोविड की स्थिति के मद्देनजर सभी सुरक्षा सावधानियों को अपनाते हुए फेस्टिवल के वर्चुअल मंच पर अपने घरों से कलाकृतियां बनाई। सांगली की प्रियंका झुग्गी क्षेत्रों की छोटी बालिकाओं के साथ मिलकर कलात्मक साइकिलें बनाई। जयपुर के एक कलाकार द्वारा एक पहिए के जरिए ऑटोमोबाइल स्कल्पचर बनाया गया, वहीं इंदौर की सोनम ने एक साधारण दिखने वाली खिलौना कार को एक अद्भुत कलाकृति में बदल दिया गया।
देशभर के करीब 100 कलाकारों द्वारा सस्टेनेबिलिटी थीम पर घर बैठे की कलाकृतियां बनाकर फेस्टिवल के मंच पर प्रदर्शित की गई। फेस्टिवल के दौरान कार्टिस्ट द्वारा विकास की उस अवधारणा को बढ़ावा दिया गया, जिसका उद्देश्य वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिए भी व्यवहारिक हो।
हिमांशु जांगिड़ ने बताया कि ‘इस वर्ष के कार्टिस्ट फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य हमें उज्जवल व बेहतर भविष्य की ओर जाने के लिए हमारे दिन—प्रतिदिन के जीवन से शुरू होने वाले सस्टेनेबल सॉल्यूशंस को लागू करना है। विशेष रूप से हमें कोविड—19 महामारी ने यह सिखाया है कि जलवायु परिवर्तन व अन्य कारक हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं और इनसे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं। इस विषय पर चर्चा करना ही कार्टिस्ट फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य है।’
चार दिवसीय यह फेस्टिवल 27 नवंबर से सस्टेनेबिलिटी थीम पर आयोजित किया गया, जिसका आज समापन हुआ। इन चार दिनों के दौरान कला व ऑटोमोबाइल जगत की कई प्रमुख हस्तियों द्वारा सस्टेनेबल फ्यूचर के बारे में विचार व्यक्त किए।
हिमांशु जांगिड़ ने बताया कि वर्तमान महामारी की स्थिति को देखते हुए कार्टिस्ट द्वारा महसूस किया गया कि यह वर्तमान समय की आवश्यकता है जब लोगों को अपने घरों से बाहर निकाले बिना अपना कौशल विकसित कर सकते हैं, इसलिए कार्टिस्ट की ओर से वर्चुअल कार्यशालाओं की श्रृंखला तैयार की गई। इनमें कैलीग्राफी, पेपर आर्ट, ओरिगेमी, ट्राइबल आर्ट विद गोंड, वाटर कलर लैंडस्केप, कलर्ड पेंसिल, बियॉन्ड ग्रीन फॉर सस्टेनेबल आर्ट प्रैक्टिसेज, अपसाइकल द टॉय वर्ल्ड, रीपोज्ड प्लास्टिक बॉटल्स, नो योर पेपर, मधुबनी, डिजिटल क्ले स्कल्प्टिंग, स्ट्रीट टाइपोग्राफी, इंट्रोडक्शन टू ऑटोमोबाइल डिजाइन और फड़ पेंटिंग कुछ प्रमुख विषय थे।
एग्जीबिशन में विभिन्न कलाकारों का कलेक्शन डिस्प्ले किया गया, जिनमें रोहन खूंटले द्वारा ई-वेस्ट से बनाए गए कॉर्पाेरेट पार्क मिनिएचर का संग्रह शामिल था। आर्टिस्ट तीर्थ पटेल ने अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित की गई, जिनके जरिए उन्होंने बचपन में बसों के आसपास घूमने की यादों को साझा किया। इसी प्रकार रियलिस्टिक पेंटिंग्स व पारंपरिक जोगी आर्ट में विशेषज्ञता रखने वाले किशनगढ़ के आर्टिस्ट राम कुमार की कृतियां भी काफी सराही गई।
फेस्टिवल के दौरान कई विषयों पर टॉक सैशन भी आयोजित किए गए। इनमें वाय सस्टेनेबिलिटी: नीड ऑफ एन ऑर; इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) – ए न्यू वे टू ए क्लीनर इंडिया; आर्ट ऑफ सस्टेनेबिलिटी; अडॉप्टिंग सस्टेनेबल सॉल्यूशंस फॉर ए बैटर फ्यूचर; आर्ट ड्यूरिंग टाइम्स ऑफ कोविड; फोटोग्राफी ड्यूरिंग टाइम्स ऑफ कोविड 19; पेंडेमिक प्रूफ सस्टेनेबल इनोवेषंस; ए न्यू रोड टू 2021; रिलेशनशिप बिटविन आर्ट एंड टेक्नोलॉजी; एन्ट्विन्ड जर्नी ऑफ कार; आर्ट एंड डिजाइन; जर्नी ऑफ आर्टिस्ट; मोटिवेषनल स्टोरी: रेग विकर्स टू फेमस फोटोग्राफर एंड एन आर्टिस्ट; आर्ट एजुकेषन; आर्ट एजुकेषन; आर्ट हिस्ट्री; कॉन्ट्रिब्यूशन ऑफ डिजाइन स्टूडियो; इंडियन वुमन आर्टिस्ट: चैलेंजेज एंड एडवांटेज; स्किल इंडिया फॉर ऑटोमोबाइल; आर्ट कार एंड म्यूजियम; डाइंग आट्र्स फॉर्म्स ऑफ इंडिया; ट्राइबल आर्ट फॉर्म इंडिया; क्राफ्ट्स ऑफ इंडिया कुछ प्रमुख विषय थे। इन सत्रों में वक्ताओं ने सस्टेनेबिलिटी, आर्ट और ऑटोमोबाइल के महत्व पर प्रकाश डाला।
इन सत्रों में पश्चिम बंगाल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस देबाशीष सेन, ऑटोमोबाइल उद्योग के दिग्गज एवं महिंद्रा एंड महिंद्रा के टॉप 10 डीलर्स में से एक निकुंज सांघी, प्रमुख ऑटोमोटिव जर्नलिस्ट आदिल जल दारुखानवाला, ऑटोमोबाइल जगत के साथ करीब से काम करने का 22 साल का अनुभव रखने वाले अविक चट्टोपाध्याय व टीवी जर्नलिस्ट नंद कुमार नायर द्वारा अपने विषयों पर विचार रखे गए। कुछ सत्र कलाकारों द्वारा भी लिए गए, जिनमें पद्मश्री शाकिर अली, विनय शर्मा, वीर मुंशी, फोटोग्राफर विक्की रॉय, वाजित खान कुछ बड़े नाम थे। यही नहीं एक सत्र में नौ वर्षीय भारतीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट्स लिसिप्रिया ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया।
कलाकारों के समूह कार्टिस्ट द्वारा पुरानी कारों का फिर से उपयोग कर इन्हें अनूठी कलाकृतियों में परिवर्तित करके व रिसायकल करने के जरिए सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे ये पुरानी कारें पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक बनने से बच रही है। इसके अतिरिक्त भारत की कला व संस्कृति का समर्थन करने के प्रयास के तहत कार्टिस्ट के साथ देश के विभिन्न हिस्सों के कलाकारों भी उत्साहपूर्वक जुड़े हुए हैं।
इस फेस्टिवल में एक क्लासिक एंबेसडर का इंस्टॉलेशन प्रदर्शित किया गया, जिसे स्वर्णिम पत्तों के डिजाइनों से कवर किया गया। ‘ओल्ड इज गोल्ड’ नामक इस इंस्टॉलेशन के जरिए पुराने वाहनों को सावधानीपूर्वक तरीके से नष्ट किए जाने के महत्व को दर्शाया गया। इसके जरिए मजबूती के साथ यह संदेश दिया गया कि हमें हमारे व्यक्तिगत हितों के लिए धरती पर कचरे के ढेर नहीं लागने चाहिएए बल्कि समाज की भलाई के लिए सस्टेनेबल सॉल्यूशंस अपनाए जाने चाहिए।
इसके अतिरिक्त कार्टिस्ट द्वारा हजारों यूज्ड प्लास्टिक की बोतलों से भी एक अन्य आर्ट इंस्टॉलेशन भी प्रदर्शित किया गया। इसके जरिए प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने के बारे में जागरूकता उत्पन्न की गई, जो वर्तमान समय की गंभीर जरूरत भी है।
कोरोना के इस मुश्किल दौर में व्यक्तिगत हितों से आगे बढ़कर मानवता की सेवा कर रहे कोरोना योद्धाओं की कहानियों को अमर बनाने के लिए कार्टिस्ट द्वारा डॉक्टर्स को समर्पित एक कार की कलाकृति बनाई गई। यह कृति दुनिया को बचाने के लिए जी.जान से जुटकर रीयल लाइफ के हीरो बन चुके मेडिकल स्टाफ के प्रति सम्मान था।
फेस्टिवल के प्रत्येक दिन म्यूजिकल नाइट का आयोजन किया गया। इनमें अत्यधिक उर्जा वाले भारतीय आर्ट रॉक बैंड दाइरा द्वारा प्रस्तुति दी गई। इसके द्वारा वैकल्पिक रॉक का देसी सेंस ऑफ ह्यूमर के साथ संयोजन किया गया। भारत के प्रमुख इलेक्ट्रॅनिक एक्ट फज कल्चर, अलवर में मेवात क्षेत्र के लोक संगीत को डिजिटल रूप देने का उल्लेखनय कार्य कर रहे भपंग वादक यूसुफ खान और जयपुर के संगीतकार, गायक, गिटारवादक, विकल्प शर्मा ने भी प्रस्तुतियां दी गई।
कार्टिस्ट फेस्टिवल को समर्थन करने के लिएए लखनऊ, बीकानेर, दिल्ली, बैंगलोर, पुणे, इंदौर व सांगली जैसे शहरों के कलाकारों ने कोविड की स्थिति के मद्देनजर सभी सुरक्षा सावधानियों को अपनाते हुए फेस्टिवल के वर्चुअल मंच पर अपने घरों से कलाकृतियां बनाई। सांगली की प्रियंका झुग्गी क्षेत्रों की छोटी बालिकाओं के साथ मिलकर कलात्मक साइकिलें बनाई। जयपुर के एक कलाकार द्वारा एक पहिए के जरिए ऑटोमोबाइल स्कल्पचर बनाया गया, वहीं इंदौर की सोनम ने एक साधारण दिखने वाली खिलौना कार को एक अद्भुत कलाकृति में बदल दिया गया।
देशभर के करीब 100 कलाकारों द्वारा सस्टेनेबिलिटी थीम पर घर बैठे की कलाकृतियां बनाकर फेस्टिवल के मंच पर प्रदर्शित की गई। फेस्टिवल के दौरान कार्टिस्ट द्वारा विकास की उस अवधारणा को बढ़ावा दिया गया, जिसका उद्देश्य वर्तमान के साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिए भी व्यवहारिक हो।
हिमांशु जांगिड़ ने बताया कि ‘इस वर्ष के कार्टिस्ट फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य हमें उज्जवल व बेहतर भविष्य की ओर जाने के लिए हमारे दिन—प्रतिदिन के जीवन से शुरू होने वाले सस्टेनेबल सॉल्यूशंस को लागू करना है। विशेष रूप से हमें कोविड—19 महामारी ने यह सिखाया है कि जलवायु परिवर्तन व अन्य कारक हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं और इनसे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं। इस विषय पर चर्चा करना ही कार्टिस्ट फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य है।’