Editor-Manish Mathur
जयपुर 03 दिसंबर 2020- एनटीपीसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडरी एनवीवीएन (एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम) ने आज ग्रीन चारकोल हैकेथाॅन को लाॅन्च किया। इस अवसर पर माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा) एवं राज्य मंत्री (कौशल विकास और उद्यमिता) श्री आर. के. सिंह ने देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और तकनीकी उपायों को प्रोत्साहित करने के लिए उचित वातावरण बनाने का आग्रह किया।
माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा) एवं राज्य मंत्री (कौशल विकास और उद्यमिता) श्री आर. के. सिंह ने इस अवसर पर अपने संबोधन में आगे कहा, ‘‘हैकेथाॅन दरअसल नवाचार की उस भावना को प्रदर्शित करता है, जो एनटीपीसी में गहराई तक समाई हुई है। किसी भी संगठन के पास विकसित होने और संपन्न होने के लिए नवाचार की भावना का होना आवश्यक है, अन्यथा वह अपना अस्तित्व कायम नहीं रख पाएगा। मुझे यकीन है कि एनटीपीसी प्रबंधन ने सभी युवा इंजीनियरों को यकीन दिलाया है कि नवाचार और नए विचारों को प्रोत्साहित किया जाएगा।‘‘
उन्होंने कहा, ‘‘हैकेथॉन हमारे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की खोज में भी एक नया प्रयोग है। इस दृष्टिकोण से हैकेथॉन में शामिल सभी प्रतियोगियों को ध्यान में रखना चाहिए कि कृषि अवशेष को चारकोल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में उत्सर्जन नहीं होना चाहिए। एक और मुख्य बात इसके काॅमर्शियल मॉडल की है, जो मशीन और चारकोल उत्पादन दोनों की लागत पर निर्भर करेगा। मुझे यकीन है कि हम एक ऐसी मशीन लेकर आएंगे, जो किफायती हो। कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की दिशा में एनटीपीसी के प्रयासों को देखकर मैं वाकई खुश हूं।‘‘
तकनीकी विकास को गति देने के लिए एनवीवीएन ने ईईएसएल के साथ मिल कर ग्रीन चारकोल हैकेथाॅन नाम से टेक्नोलाॅजी चैलेंज का आयोजन किया है। इस आयोजन का उद्देश्य नवाचारी भारतीय मस्तिष्क का उपयोग कर तकनीकी खाई को खत्म करना है। इसके प्रमुख उद्देश्य खेतों की पराली को खत्म कर हवा को साफ करना, खेती के बचे हुए चारे से नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना, स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देना और किसानों की आय बढ़ाना है।
ऊर्जा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री आशीष उपाध्याय ने कहा, ‘‘एनटीपीसी समूह को कार्बन-न्यूट्रल इकोनाॅमी के प्रबंधन के लिए एकीकृत और स्मार्ट समाधानों पर ध्यान देना चाहिए। मुझे विश्वास है कि एनटीपीसी टैक्नोलाॅजी को सफलतापूर्वक लागू करने और उसका व्यवसायीकरण करने में सक्षम होगा जो समाज को लाभान्वित करने के साथ-साथ किसानों और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा।‘‘
एनटीपीसी लिमिटेड के सीएमडी श्री गुरदीप सिंह ने इस अवसर पर कहा, ‘‘ऊर्जा संयंत्र कोयले के सबसे बडे़ उपभोक्ता होते हैं। 1000 मेगावाॅट के प्लांट में प्रतिवर्ष 5 मिलियन टन कोयले की खपत होती है। भारत की कुल कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2 लाख मेगावाॅट की है जिसमें सैद्धांतिक तौर पर करीब 1000 मिलियन टन कोयले की प्रतिवर्ष खपत होती है। इसमें से 10 प्रतिशत भी अगर टेरिफाइड चारकोल से आ जाए तो इस ईंधन का 100 मिलियन टन होगा। इसके लिए करीब 160 मिलियन टन खेती का अपशिष्ट चाहिए होगा (यह मान कर चलते हैं कि 60 प्रतिशत उत्पादन है)। यह इतनी मात्रा है जो देश में होने वाले पूरे कृषि कचरे को साफ कर देगी और पराली जलाने की जरूरत नहीं पडे़गी और इससे प्रतिवर्ष 20,000 मेगावाॅट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादित होगी और 50,000 करोड़ रुपए का राजस्व उत्पन्न होगा।‘‘
हैकेथाॅन का उद्घाटन माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा) एवं राज्य मंत्री (कौशल विकास और उद्यमिता), भारत सरकार श्री आर. के. सिंह ने किया। इस मौके पर ऊर्जा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव श्री आशीष उपाध्याय, एनटीपीसी लिमिटेड के सीएमडी श्री गुरदीप सिंह और ऊर्जा मंत्रालय, एनटीपीसी लिमिटेड तथा ईईएसएएल लिमिटेड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
स्थानीय किसानों द्वारा कृषि कचरे को जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में एनवीवीएन ऐसी तकनीकें तलाश रहा है, जो कृषि कचरे को इस रूप में बदल सके जो पावर प्लांट्स में काम आ सके। यह तकनीकें ग्रीन चारकोल हैकेथाॅन के जरिए तलाशी जा रही हैं। इसका एक विकल्प टोरेफेक्शन है जो कृषि कचरे को ग्रीन चारकोल में बदल देता है।
कृषि कचरे के बायोमास से टोरिफाइड ईंधन बनाने की तकनीक छोटे उद्यमियों के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है, क्योंकि निर्माणकर्ता कम है और आयातित मशीनों की लागत बहुत ज्यादा है। कृषि कचरे के बायोमास से टोरिफाइड ईंधन बनाने की तकनीक भारत में एक बार विकसित हो गई तो इसे छोटे उद्यमियों को भी उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए तीन श्रेणियों में 24 लाख रुपए तक के नकद पुरस्कार भी रखे गए थे। ये तीन श्रेणियां इस प्रकार हैं-
श्रेणी 1- 100 किलोग्राम टोरिफाइड बायोमास पेलेट्स प्रतिदिन उत्पादित करने की तकनीक
श्रेणी 2- 1000 किलोग्राम टोरिफाइड बायोमास पेलेट्स प्रतिदिन उत्पादित करने की तकनीक
श्रेणी 3- 10 टन टोरिफाइड बायोमास पेलेट्स प्रतिदिन उत्पादित करने की तकनीक