Editor-Manish Mathur
जयपुर 01 दिसंबर 2020 – दुनिया और भारत के संस्थान महामारी के बाद सामने आईं हलचलों का सामना कर रहे हैं। भारत के 77% व्यवसायों का मानना है कि बाजार की चुनौतियों और अवसरों का त्वरित जवाब देने और कारोबारी लोचशीलता सुनिश्चित करने के लिये अब नवाचार जरूरी है। ऐसा माइक्रोसॉफ्ट और आईडीसी की एक हालिया रिपोर्ट का कहना है। ‘नवाचार की संस्कृति: एशिया पेसिफिक में कारोबारी लोचशीलता और आर्थिक बहाली की बुनियाद के अध्ययन पर आज जारी भारत से संबंधित परिणाम बताते हैं कि अधिकांश बिजनेस डिसीजन मेकर्स मानते हैं कि संकट के प्रति लचीला रहने के लिये नवाचार एक ज़रूरत है। यह परिणाम माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर राजीव सोढी और आईडीसी में इंडिया और साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वसंत राव ने Paisabazaar.com के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर मुकेश शर्मा और Paisabazaar.com के डायरेक्टर एवं हेड – अनसिक्योर्ड लोन्स गौरव अग्रवाल की उपस्थिति में जारी किये।
इस अध्ययन ने पाया कि छह महीने के बेहद कम समय में भारत के संस्थानों ने अपनी नवाचार की संस्कृति को परिपक्व बनाकर अपनी नवाचार की योग्यता 4% बढ़ाई है। इस अध्ययन ने यह भी दर्शाया कि भारत के लगभग 78% संस्थान नई वास्तविकता के अनुकूल बनने के लिये कई तरीकों से डिजिटलीकरण को तेजी दे रहे हैं। इसमें डिजिटल उत्पादों को लॉन्च करने और डिजिटल पेमेंट्स प्रस्तुत करने से लेकर ईकॉमर्स और ऑटोमेशन को अपनाना तक शामिल है। परिणामस्वरूप, भारत की कंपनियाँ अगले तीन वर्षों में डिजिटल उत्पादों और सेवाओं से अपना राजस्व 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखती हैं, जो अभी 36% है। सर्वे के अनुसार, जवाब देने वाले 64% लोगों ने माना कि कोविड-19 के बाद नई खोजें आसान हुई है। महामारी से पहले, केवल 32.5% भारतीय व्यवसायों ने अपने उत्पादों और सेवाओं में नवाचार को सरल माना था।
इस अध्ययन ने नवाचार की रूपरेखा की संस्कृति प्रस्तुत की, जिसमें लोगों, प्रक्रिया, डाटा और टेक्नोलॉजी के आयाम हैं, ताकि नवाचार के लिये ऑर्गेनाइजेशंस के रुख का मूल्यांकन किया जा सके। इसके अंतर्गत छह माह की अवधि में भारत के 439 बिजनेस डिसीजन मेकर्स और 438 कर्मचारी का सर्वे किया गया, कोविड-19 के पहले और बाद से। भारत का अध्ययन एक व्यापक सर्वे का हिस्सा था, जिसमें एशिया पैसिफिक क्षेत्र के 15 बाजारों के 3312 बिजनेस डिसिजन मेकर्स और 3495 कर्मचारी शामिल थे। शोध के माध्यम से संस्थानों की परिपक्वता मापी गई और परिणाम में उन्हें चार अवस्थाओं में समूह बनाकर बांटा गया- परंपरावादी (अवस्था 1), शुरूआती (अवस्था 2), अनुकूलक (अवस्था 3) और अग्रणी (अवस्था 4)। अग्रणी वे संस्थान हैं, जो नवाचार की संस्कृति निर्मित करने में सबसे ज्यादा परिपक्व हैं।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के सीओओ राजीव सोढी ने कहा, ‘‘नवाचार अब एक विकल्प नहीं रहा, बल्कि ज़रूरत बन गया है। हमने देखा है कि हालिया संकट ने कैसे बदलाव की जरूरत को बढ़ाया है; खासकर संस्थानों को मजबूत बनकर उभरने के लिये अनुकूलता और नवाचार अपनाने में यह सबसे ज्यादा देखा गया है। हमने यह शोध नवाचार की संस्कृति और ऑर्गेनाइजेशन की वृद्धि के बीच सम्बंध को बेहतर समझने के लिये शुरू किया था। लेकिन अब वृद्धि हासिल करने से ज़्यादा, नवाचार की परिपक्व संस्कृति लचीलापन और मज़बूती देती है, ताकि आर्थिक संकट में बहाली देखी जा सके।’’
आईडीसी में इंडिया और साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर वसंत राव ने कहा, ‘‘हम लीडर्स में वृद्धि और विकास की स्थायी भूख देखते हैं। कोविड-19 के दौरान भारत की 31% कंपनियों ने कहा कि उन्हें लगता है कि उनका बिजनेस मॉडल 5 साल में प्रतिस्पर्द्धिता खो देगा। बदलाव के लिये दृढ़ता और अनुकूलता के माध्यम से लगातार सुधार की यह इच्छा और जरूरत न्यू नॉर्मल में व्यवसायों की सफलता निर्धारित करेगी।’’