Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 01 दिसंबर 2020 – यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी के सीनियर वाइस पे्रसीडेंट और हैड आॅफ रिसर्च सचिन त्रिवेदी कहते हैं कि कोविड-19 की वैक्सीन और मजबूत कॉर्पोरेट आय से जुड़ी खबरों के कारण हाल के हफ्तों में बाजार का मूड ऊंचा रहा, जबकि इस दौरान बाॅण्ड से मिलने वाला रिटर्न काफी नीचे रहा।
बाजार में आम तौर पर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति होती है, जब तक कि निकट भविष्य में कोई सरप्राइज इवेंट न हो। इसलिए मार्च 2020 में गहरा गोता लगाने के बाद बाजार ने आर्थिक सुधार और बहाली के पथ पर अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू किया, जिसे सरकार के प्रोत्साहन पैकेजों से और बल मिला। इसके अलावा, निकट भविष्य में कोविड-19 वैक्सीन की संभावना, घरेलू और वैश्विक बॉण्ड के कम प्रतिफल और कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा अपेक्षा से भी बेहतर लाभ प्रदर्शन के कारण आर्थिक बहाली की प्रक्रिया को सपोर्ट मिला। कमाई के नजरिए से देखें तो व्यापक बाजार सूचकांक महंगे नजर आते हैं, लेकिन महामारी के कारण आमदनी का प्रभाव कम नजर आ रहा है। बुक मैट्रिक्स की कीमत पर, बाजार उचित मूल्य सीमा में हैं।
श्री त्रिवेदी ने आगे कहा कि अमेरिका में जो बाइडेन के नेतृत्व वाले डेमोक्रेट के चुनाव जीतने के भी कुछ असर ऐसे होंगे, जिनका सामना भारतीय बाजारों को करना पड़ सकता है। नए प्रशासन के तहत, यह उम्मीद की जाती है कि कोई बड़ा आर्थिक नीति परिवर्तन नहीं होगा, क्योंकि ऐसा करने पर कांग्रेस विभाजित हो जाएगी। इसलिए, आव्रजन और व्यापार जैसे क्षेत्रों में कोई मौलिक परिवर्तन नहीं होगा, हालाँकि सप्लाई चेन से जुड़ी गैर-वैश्वीकरण और विविधीकरण की प्रमुख ताकतें बरकरार रहेंगी और घरेलू विनिर्माण में भारत को अवसर प्रदान करेंगी।
श्री त्रिवेदी का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही के लिए कॉर्पोरेट कंपनियों की आय का प्रदर्शन आम तौर पर उम्मीदों से आगे रहा है। अनेक क्षेत्रों ने इस सकारात्मक आश्चर्य को संभव बनाया है। यह प्रदर्शन बेहतर बिक्री और वॉल्यूम प्रदर्शन और कंपनियों द्वारा लागत पर सख्ती से नियंत्रण के कारण हो पाया है। लागत युक्तिकरण के कुछ उपाय संरचनात्मक हो सकते हैं, जिससे निवेशक उच्च मूल्य की उम्मीद लगा सकते हैं। महामारी के बाद असंगठित (छोटी कंपनियों) से संगठित (सूचीबद्ध/बड़ी कंपनियों) की ओर कारोबार के शिफ्ट होने की गति तेज हो सकती है। हम इस प्रवृत्ति से लाभान्वित होने वाली कंपनियों को पसंद करते हैं। इसके अलावा, हम वित्तीय क्षेत्र में ऐसी निजी कंपनियों को लेकर रचनात्मक नजरिया रखते हैं, जिनके पास पर्याप्त रूप से पूंजी है और कम लागत पर जमा का लाभ उठाते हैं। आईटी सेवाओं, ऑटोमोबाइल और फार्मा क्षेत्र की कंपनियों को लेकर भी हमारा नजरिया सकारात्मक बना हुआ है।
अभी यह निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी भरा कदम होगा कि इक्विटी म्यूचुअल फंड में तेजी का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। कठिनाइयों भरे आर्थिक माहौल में, निवेशकों के लिए अस्थायी रूप से कैशफ्लो आवंटन में परिवर्तन करना स्वाभाविक है। हालांकि वर्तमान समय में भी, एसआईपी का प्रवाह काफी हद तक स्थिर रहा है, जिससे साफ है कि निवेशकों के मन में भय की भावना नहीं है। लंबी अवधि के आंकड़ों से स्पष्ट है कि एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी ने न सिर्फ हमेशा मुद्रास्फीति को मात दी है, बल्कि अन्य परिसंपत्ति वर्गों को बेहतर बना दिया है। आम तौर पर निवेशकों के लिए प्रत्यक्ष निवेश में जुटना मुश्किल होता है, क्योंकि इसमें अधिक समय लगता है, साथ ही म्यूचुअल फंड की तुलना में परिणाम भी अधिक जोखिम भरे हो सकते हैं। फंड्स (सक्रिय/ निष्क्रिय) के चयन के लिए, निवेशक एक सलाहकार से परामर्श कर सकते हैं या अधिक शोध कर सकते हैं, और अपनी निवेश क्षमता और लक्ष्य के आधार पर वे धन आवंटित कर सकते हैं।