Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 19 दिसंबर, 2020- 10 वर्षीय राजेंद्र (बदला हुआ नाम) का न तो वजन बढ़ रहा था और न ही हमउम्र बच्चों जैसा शारीरिक विकास हो रहा था। वजह थी 4 गंभीर हृदय विकृतियाँ, जिसे टी.ओ.एफ. (टेट्रोलॉजी ऑफ फैलेट) कहा जाता है। हालांकि जन्मजात हृदय विकृतियाँ बहुत देखी सुनी जाती हैं लेकिन राजेंद्र के साथ एक अतिरिक्त समस्या भी थी, जिससे उसका इलाज न केवल और जटिल हो गया था बल्कि बहुत चुनौतीपूर्ण भी हो गया था। दरअसल वह जटिल स्थिति थी डेक्स्ट्रोकार्डिया- एक ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति के छाती व पेट के अंदरूनी अंग सामान्य से विपरीत पोजीशन में होते हैं। यानी राजेंद्र का हृदय बाईं तरफ के बजाय दांई तरफ था और लिवर दांईं तरफ की बजाय बाईं तरफ था। हृदय विकृतियों की सर्जरी की दृष्टि से इन अंगों का उल्टी पोजीशन में होना किसी चुनौती से कम नहीं था। इसके अलावा जिस स्थिति में राजेंद्र पहुँच चुका था यदि उसकी सर्जरी जल्द न होती तो उसकी जान निश्चित रूप से जोखिम में पड़ जाती। इस चुनौती को नारायणा मल्टीस्पेशियिलटी हॉस्पिटल, जयपुर की कार्डियक साइंसेज टीम ने स्वीकार किया और एक सफल सर्जरी के जरिये राजेंद्र को नया जीवन दिया। राजेंद्र की सर्जरी नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के कार्डियक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सीपी श्रीवास्तव द्वारा की गई।
हृदय का मूल काम ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर में पहुंचाने का होता है लेकिन इन हृदय विकृतियों के कारण राजेंद्र के शरीर में अशुद्ध रक्त का संचार हो रहा था। राजेंद्र की दिन पर दिन बिगड़ती हालत भी इस बात का नतीजा थी। रोज़मर्रा के छोटे मोटे काम करने पर भी उसकी सांस फूल जाती थी और वह बहुत कमजोर भी होता जा रहा था। ऐसे में राजेंद्र के माता-पिता ने एक स्थानीय अस्पताल में जांच करवायी जिससे पता चला कि राजेंद्र एक नहीं बल्कि चार हृदय विकृतियों से जूझ रहा है और उसके साथ डेक्स्ट्रोकार्डिया नामक दुर्लभ स्थिति भी है। डायग्नोसिस के कुछ समय बाद उसको बेहतर इलाज के लिए नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर लाया गया जहां उसके जीवन को नई उम्मीद मिली।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के कार्डियक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सीपी श्रीवास्तव ने बताया कि मान लीजिये आप सीधे हाथ से लिखते व काम करते हैं लेकिन अचानक आपसे कहा जाए कि उल्टे हाथ से लिखिए। ज़ाहिर है कि आपके लिए यह काम मुश्किल होगा और गलतियों की संभावना अधिक होगी। इससे मिलती जुलती चुनौती ही इस केस में भी थी। क्योंकि हृदय विपरित पोजीशन में था तो हमें भी उल्टी तरफ खड़े होना था और एक साथ 4 हृदय विकृतियों को ठीक करना था। निश्चित रूप से इसके लिए बहुत अनुभव की आवश्यकता होती है क्योंकि एक मामूली सी चूक भी मरीज़ को कम्पलीट हार्ट ब्लॉकेज में ले जा सकती थी। मैं अपनी टीम को सर्जरी और रिकवरी के दौरान उनके सहयोग के लिए तहे दिल से धन्यवाद देता हूँ।
सर्जरी के दौरान कोरोना महामारी और संक्रमण से बचाव के सभी नियमों को ध्यान में रखा गया। राजेंद्र को सर्जरी के 10 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब मरीज की स्थिति में तेज़ी से सुधार देखने को मिल रहा है और पहले की तुलना में उसका वजन भी ढाई किलोग्राम बढ़ गया है।