Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 04 दिसंबर 2020 : नैटवेस्ट ग्रुप इंडिया (पूर्व नाम आरबीएस इंडिया), नैटवेस्ट ग्रुप का वैश्विक क्षमता केंद्र और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (CII) इंडिया बिज़नेस एंड डिसेबिलिटी नेटवर्क (IBDN) ने दिव्यांगों और उनकी देखभाल कर रहे लोगों के लिए संभव – “एनेबलिंग पॉसिबिलिटीज” नाम से एक सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म शुरू किया है।
दिव्यांगों की क्षमताओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया यह सोशल नेटवर्किंग प्लैटफॉर्म अपनी तरह की पहली प्रौद्योगिकी है जिसमें दिव्यांगों के माता-पिता और उनकी देखभाल करने वाले लोगों को दिव्यांगता विशेषज्ञों और इस क्षेत्र में काम कर रहे स्वयंसेवकों के साथ जोड़ा जाएगा। यह पहल उन्हें लोगों के साथ जुड़ने और अनुभव आधारित शिक्षा और संसाधनों के बारे में जानकारी पाने को बढ़ावा देगी जिससे सभी को लाभ मिलेंगे। इस मंच पर सूचीबद्ध विशेषज्ञ समुदाय के सदस्यों द्वारा पोस्ट किए गए विशिष्ट प्रश्नों के जवाब भी देंगे।
“संभव” सीआईआई की पहल इंडिया बिज़नेस एंड डिसेबिलिटी नेटवर्क (India Business and Disability Network) का हिस्सा होगा।
मौजूदा दिव्यांगता मंचों और वेबसाइटों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करके, उनकी विशेषताओं और काम के तरीकों को समझने के बाद विकसित किए “संभव” की खास बात यह है कि इस मंच पर विशेष रूप से भारत में दिव्यांगता क्षेत्र में कार्यरत लोगों की जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
सीआईआई – इंडियन बिज़नेस एंड डिसेबिलिटी नेटवर्क और नेशनल कमिटी ऑन एम्पॉवरमेंट ऑफ़ डिसएबिलिटीज के चेयरमैन और रसना प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री. पिरोज़ खम्बाटा ने बताया, “भारत में दिव्यांगों की संख्या काफी ज़्यादा है। इसके बावजूद दिव्यांगों और उनकी देखभाल करने वालों को उनके लिए आसानी से उपलब्ध हो सकें और सबसे अच्छी संभव सहायता दे सकें, ऐसी प्रणाली ढूंढना अक्सर चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए, सीआईआई इंडिया बिज़नेस एंड डिसेबिलिटी नेटवर्क और नैटवेस्ट ग्रुप ने साथ मिलकर “संभव” की शुरूआत की है, जो अपनी तरह का पहला पोर्टल है। यह वेबसाइट दिव्यांगों और उनके देखभाल करने वालों के लिए अनुभवों को सांझा करने और विशेषज्ञों और संसाधनों को खोजने के लिए एक बहुत ही उपयुक्त मंच के रूप में काम करेगा। यह पोर्टल उन्हें सामाजिक सहभागिता के लिए सक्षम करेगा और भावनिक समर्थन भी देगा। हमारा लक्ष्य है कि यह एक ऐसा मंच बनें जहां अलग-अलग हितधारक एक दूसरे के साथ जुड़ें और दिव्यांगों और उनकी देखभाल करने वालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मंच बनें – ऐसा मंच जो लोगों के लिए, लोगों का और लोगों के द्वारा बनाया हुआ है।“
नैटवेस्ट ग्रुप के भारत प्रमुख श्री. पुनीत सूद ने बताया, “उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ने वाले संगठन के रूप में नैटवेस्ट ग्रुप भारत एक समावेशी संस्कृति के निर्माण में विश्वास रखता है – ऐसी संस्कृति जो सभी को अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बढ़ावा दे। यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि, समुदायों के समर्थन के अवसर ढूंढकर उनकी क्षमताओं को प्रोत्साहित करने के लिए हमारा समूह काम कर रहा है । सीआईआई के साथ साझेदारी पर हमें गर्व है क्योंकि इसके ज़रिये हम भारत भर के दिव्यांगों का भरोसा हासिल कर पाएंगे।”
मौजूदा प्लैटफॉर्म्स, संसाधनों की मांग और इस काम के लिए योगदान देने के लिए लोगों की इच्छा को समझने के लिए नैटवेस्ट ग्रुप इंडिया ने दिव्यांग कर्मचारी, दिव्यांगों के माता-पिता/देखभाल करने वालों और दिव्यांगता क्षेत्र में कार्यरत लोगों का सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण से पता चला है कि:
- सर्वेक्षण में सहभागियों में से 50 प्रतिशत को लगता है कि इसी तरह के अनुभवों से गुज़र रहे लोगों से जुड़ना आवश्यक है।
- दिव्यांगता के बारे में जानने के शुरूआती दिनों में 64 प्रतिशत माता-पिता या देखभाल करने वालों के लिए कोई भी सहायता समूह नहीं था। जिन्हें सहायता उपलब्ध थी, उनमें से भी 75 प्रतिशत ने कहा कि सहायता समूहों को ढूंढना आसान नहीं था।
- 65 प्रतिशत सहभागियों ने कहा कि ब्लॉग्स और समर्पित प्लैटफॉर्म्स के अलावा अन्य लोगों के व्यक्तिगत अनुभव, उस दौर में उनकी मदद कर सकते थे।
- 79 प्रतिशत दिव्यांग या उनकी देखभाल करने वालों के अनुसार ऑनलाइन विशेषज्ञों को ढूंढने में मुश्किलें आयी। उनमें से अधिकतर लोग दोस्तों से मिले संदर्भों पर निर्भर थे। इसलिए, इस तरह की जानकारी के लिए एक विश्वसनीय स्रोत की काफी आवश्यकता है, भले ही वो ऑनलाइन हो।
- 79 प्रतिशत उत्तरदाता अपनी कहानियों या जीवन के अनुभवों को दूसरों के साथ सांझा करने में सहज थे।
- उत्तरदाताओं का मानना था कि उनके अनुभवों को सांझा करने से उन्हें अपने काम में मदद मिलेगी और उनका जीवन अधिक सार्थक होगा।
रीति दुबे, जो नैटवेस्ट ग्रुप भारत के डी एंड आई का नेतृत्व करती है, ने कहा, “दिव्यांग और उनकी देखभाल करने वाले लोगों को अपने जीवन में प्रभावी ढंग से काम कर पाने और आगे बढ़ पाने के लिए अक्सर संघर्ष करना पड़ता है। हमने शुरूआत ऐसे कर्मचारी से की जिनका बच्चा दिव्यांग है। अपनी बेटी के लिए सही समर्थन प्रणाली खोजने के उनके संघर्ष ने हमें इस पोर्टल को बनाने के लिए प्रेरित किया। “संभव” समुदायों को साथ लाने में मदद करेगा, दिव्यांगों के माता-पिता और देखभाल करने वालों को एक-दूसरे का समर्थन करने और मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञों के साथ जुड़ने में सक्षम करेगा। सीआईआई के साथ यह साझेदारी हमें आगे बढ़ाए जाने योग्य प्रभाव बनाने और ज़्यादा से ज़्यादा माता-पिता, देखभाल करने वालों तक पहुंचने में सहायक होगी। सीआईआई के साथ मिलकर हम उन संगठनों तक भी पहुंच पाएंगे जहां समावेश यह संस्कृति का एक अभिन्न अंग है।”