Editor-Manish Mathur
जयपुर 07 दिसंबर 2020 – देश की सबसे बड़ी एकीकृत ऊर्जा कंपनियों में से एक एनटीपीसी लिमिटेड ने नर्मदा लैंडस्केप के पुनरुद्धार की परियोजना के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ फाॅरेस्ट मैनेजमेंट (आईआईएफएम), भोपाल के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह परियोजना एनटीपीसी लिमिटेड और युनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के बीच समान अनुपात में अनुदान के साथ साझेदारी में पूरी की जाएगी।
चार साल की यह परियोजना मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में ओंकारेश्वर और महेश्वर बांधों के बीच नर्मदा नदी की चयनित सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में लागू की जाएगी। कंेद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान आईआईएफएम, भोपाल एनटीपीसी लिमिटेड से प्राप्त अनुदान सहायता के साथ ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट (जीजीजीआई) के सहयोग से संयुक्त रूप से इस परियोजना को लागू करेगा। जीजीजीआई एक अंतर-सरकारी संगठन है जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सतत और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। यह संगठन अमेरिकी सरकार की अंतरराष्ट्रीय विकास शाखा यूएसएआईडी की सहायता के साथ इस परियोजना में शामिल होगा।
नर्मदा लैंडस्केप रेस्टरेशन प्रोजेक्ट (एनएलआरपी) का सहयोगी और भागीदारी दृष्टिकोण अपस्ट्रीम संसाधनों पर निरंतर रूप से प्रबंधित वन और कृषि प्रथाओं और जल संसाधनों की एक दूसरे पर निर्भरता को प्रदर्शित करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य एक ऐसा प्रोत्साहन तंत्र स्थापित करना है जो नर्मदा बेसिन के सहायक वन और कृषि समुदायों को सपोर्ट करेगा, ताकि वे स्थायी लैंडस्केप प्रेक्टिसेज को बनाए रख सकें। इससे नर्मदा की सहायक नदियों में पानी की गुणवत्ता और मात्रा में सकारात्मक प्रभाव नजर आने की उम्मीद है।
एनटीपीसी लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (एसएसईए) और सीएसओ श्री एस.एम. चैधरी ने कहा, ‘‘एनटीपीसी लिमिटेड अपने व्यवसाय और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र के सतत विकास, समाज के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही हमारा मकसद समाज में स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देना भी है।‘‘
उन्होंने आगे कहा, ‘‘एनएलआरपी के माध्यम से, एनटीपीसी लिमिटेड प्रकृति-आधारित समाधानों को सपोर्ट कर रहा है, ताकि ईकोसिस्टम से संबंधित सेवाओं- खास तौर पर जल संसाधनों से संबंधित सेवाओं को बढ़ावा दिया जा सके। एनएलआरपी की थीम भी एनटीपीसी के भूमि, जल और वायु से संबंधित स्वच्छ और स्थायी वातावरण में योगदान देने के निरंतर दृष्टिकोण के साथ जुड़ी हुई है। हम इस परियोजना में आईआईएफएम, जीजीजीआई और यूएसएआईडी के साथ भागीदारी करके बहुत गर्व का अनुभव कर रहे हैं और इस साझेदारी को लेकर हम बहुत उत्साहित भी हैं। निश्चित तौर पर यह साझेदारी मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में किसानों और वन समुदायों और साथ ही महिलाओं को भी लाभान्वित करेगी।‘‘
आईआईएफएम, भोपाल के डायरेक्टर डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘एनटीपीसी- आईआईएफएम- जीजीजीआई- यूएसएआईडी के सहयोग से बना यह कंसोर्टियम प्रोजेक्ट नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा जिससे शहरी जलापूर्ति के शुद्धिकरण के बेहतर तरीके को प्रस्तुत करते हुए स्मार्ट शहरों में पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हमारे वाटरशेड का प्रबंधन संभव होगा।‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘प्राकृतिक वनों के ईकोसिस्टम की सेवाओं के रखरखाव के लिए ग्रामीण समुदायों को प्रोत्साहन और पानी की प्राकृतिक शुद्धि के लिए मानव निर्मित जलाशयों का निर्माण इंदौर के जल उपभोक्ताओं के साथ-साथ स्रोत जल क्षेत्र में गांवों के निवासियों के लिए भी निश्चित तौर पर एक अनुकूल और फायदेमंद स्थिति होगी।‘‘
आगे बढ़कर देखें तो प्रोत्साहन तंत्र और पानी की गुणवत्ता और मात्रा में प्रभावी सुधार से इंदौर शहर को बहुत लाभ होने की उम्मीद है, जो अपनी पानी की आपूर्ति का 60 प्रतिशत से अधिक भाग नर्मदा नदी से हासिल करता है।