Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 29 दिसंबर 2020 – प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा ऑनलाइन कम आॅफलाईन कृषि विज्ञान मेले का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। मेले में विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले 7 जिलों के करीब 1000 किसानों ने कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से मेले में भाग लिया। मेले का उद्घाटन महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह जी राठौड़ ने किया। इस मेले का मुख्य थीम ”समन्वित कृषि प्रणाली से आर्थिक सशक्तिकरण“ था। मेले में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि तकनीकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर के निदेशक डाॅ. एस.के.सिंह ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने आव्हान किया कि वैज्ञानिक एवं किसानों को 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के प्रधानमंत्री द्वारा दिये लक्ष्य को हासिल करने के लिए नवीनतम एवं आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा। परम्परागत खेती से हटकर नवीनतम कृषि प्रणाली, और विशेषकर समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाना चाहिये और साथ ही कृषि लागत को कम करने के लिए कृषि आदान दक्षता को भी बढ़ाना चाहिये। उन्होंने किसानों को कृषि यांत्रिकीकरण, फसल विविधिकरण, मूल्य संवर्धन, खाद्य प्रसंस्करण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तकनीकीयों को अंगीकार करने की अपील की।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि अटारी जोधपुर के निदेशक डाॅ. एस.के. सिंह ने तकनीकी निर्धारण एवं हस्तानान्तरण विषय पर अपने विचार रखे। डाॅ. एस.के. सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों को आव्हान किया कि वे अपने मेन्डेट का चिन्तन करें तथा साथ ही परिस्थितियों अनुसार तकनीकों का निर्धारण कर किसानों को प्रभावी हस्तानान्तरण करें। अपने उद्बोधन में डाॅ. सिंह ने छोटे एवं मंजले किसानों को लाभप्रद खेती करने हेतु विशेष बल दिया। निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. सम्पत लाल मून्दड़ा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी किसान भाईयों से अपील की उन्हें बदलते परिपेक्ष में कृषि के विभिन्न विषयों पर अधिक से अधिक तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर नवाचारों को अपनाना चाहिये ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके।
डाॅ. एस.के. शर्मा निदेशक अनुसंधान ने गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेज पर किसानों को विस्तृत जानकारी दी एवं महत्व व उपयोगिता पर प्रकाश डाला। मेले के दौरान विभिन्न वैज्ञानिकों ने भी कई विषयों पर अपने व्याख्यान दिये जिनमें उन्नत कृषि यंत्र, मत्स्यपालन तकनीक, महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, उन्नत पशुपालन एवं उद्यानिकी आदि विषय शामिल थे।
डाॅ. बी.के. शर्मा, अधिष्ठाता, मात्स्यिकी महाविद्यालय ने राज्य एवं देश में मछली उत्पादन के परिदृष्य पर विवेचना की तथा किसानों को मछली पालन द्वारा आमदनी बढ़ाने की जानकारी दी। डाॅ. मीनू श्रीवास्तव, अधिष्ठाता, सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय, उदयपुर ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर विस्तृत चर्चा की तथा कृषि में श्रम साध्य उपकरणों का प्रस्तुतीकरण किया। डाॅ. लोकेश गुप्ता विभागाध्यक्ष, पशुपालन ने उन्नत पशुपालन, जानवरों के रखरखाव प्रबन्धन, पोषण एवं कृत्रिम गर्भाधान आदि बातों की चर्चा की। डाॅ. एस.एस. लखावत विभागध्यक्ष उद्यानिकी ने फल, फूल, सब्जियों, कृषि वानिकी आदि की जानकारी देते हुए उद्यानिकी को समन्वित कृषि पद्धति में समावेश करने पर बल दिया। डाॅ. अरविन्द वर्मा, डाॅ. बी.एल. बाहेती, डाॅ. अमित त्रिवेदी एवं डाॅ. धरती सोलंकी ने किसानों की समस्याओं का समाधान किया।
आॅनलाईन कृषि विज्ञान मेले के दौरान माननीय कुलपति महोदय ने वर्ष 2021 के कृषि कैलेण्डर का विमोचन भी किया। यह एक कृषक मित्र कैलेण्डर है जिसमें किसानों के हित की जानकारियाँ हर माह के कैलेण्डर के साथ दी गई है। यह कैलेण्डर कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से कृषकों को वितरित किये जायेगें। इस कैलेण्डर का सम्पादन डाॅ. लतिका व्यास, डाॅ. रघुवीर सिंह राठौड़ एवं डाॅ. राजीव बैराठी ने किया। इस अवसर पर प्रगतिशील किसानों के अनुभवों को फिल्म के माध्यम से दिखाकर किसानों को प्रेरित भी किया गया। मेले की आयोजन सचिव डाॅ. लतिका व्यास ने बताया कि मेले में विभिन्न जिलों के लगभग 1000 कृषक, कृषक महिलाओं, युवाओं एवं विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य एवं कर्मचारियों ने भाग लिया। कोरोना महामारी के इस दौर में किसानों से जुडने का यह एक अनूठा एवं सफल प्रयोग रहा।