Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 04 दिसंबर 2020 – पावर सेक्टर में सरकारी स्वामित्व वाली देश की प्रमुख एनबीएफसी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी) स्ट्रेस्ड एसेट्स के रिजॉल्यूशन के साथ अपने नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) को और नीचे लाने की कोशिश कर रही है। पीएफसी का एनपीए अब चार साल के निचले स्तर पर है, क्योंकि कंपनी पिछले साल 2,850 करोड़ रुपये वाली 2 परियोजनाओं को हल करने में सफल रही थी, जबकि इस साल कंपनी 1,350 करोड़ की कुल 2 और परियोजनाओं के लिए रिजॉल्यूशन तक पहुंचने में सक्षम रही है।
इसके अलावा, कंपनी 5,300 करोड़ रुपये की कुल दो और स्ट्रेस्ड एसेट्स को हल करने की प्रक्रिया में भी है। प्रवर्तक के साथ वन टाइम सेटलमेंट जैसी घटनाओं को तुरंत लोन बुक में दर्ज किया जाता है और इस तरह एनपीए में कमी लाई जाती है, जबकि आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार खराब ऋणों का पुनर्गठन करने मंे समय लगता है।
इसके अलावा, स्थगन अवधि के बाद भी पीएफसी के खाते संतोषजनक स्तर पर बने हुए हैं। इसकी लोन बुक में रिपेमेंट 84 प्रतिशत के स्तर पर हैं, जो मुख्य रूप से सरकारी क्षेत्र में हंै और यह स्थिर बने हुए हंै। पोर्टफोलियो के शेष 16 प्रतिशत हिस्से के लिए पीएफसी ने पहले ही पर्याप्त प्रावधान कर लिए हैं। निम्न ब्याज दर को देखते हुए, पीएफसी के काॅस्ट आॅफ फंड्स में 25 आधार अंकों की कमी आई है, जबकि ऋण पुस्तिका पर रिटर्न 10.6 फीसदी -10.7 फीसदी पर स्थिर है। परिणामस्वरूप, पीएफसी का प्रसार 25 से 30 आधार अंकों तक बढ़ गया है।
वित्त वर्ष 20-21 की दूसरी तिमाही के दौरान, पीएफसी ने एक साल पहले की तुलना में ऋण मंजूरी में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए इसे 50,119 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। इसी अवधि में संवितरण एक साल पहले के 18,366 करोड़ रुपए की तुलना में 28,826 करोड़ रुपए का रहा।
पिछले तीन वर्षों में पीएफसी ने अपना ध्यान पारंपरिक विद्युत उत्पादक कंपनियों के स्थान पर प्रसारण और वितरण व्यवसाय पर केंद्रित कर लिया है। पीएफसी ने भारत सरकार की एकीकृत विद्युत विकास योजना और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना जैसी योजनाओं के लिए भी समकक्ष फंडिंग को मंजूरी दी है।