Edit-Dinesh Bhardwaj
जयपुर 02 दिसंबर 2020 पिछले आठ महीनों से चले आ रहा स्कूल फीस विवाद पर अभिभावक जयपुर के गवर्मेंट हॉस्टल पर स्थित शहीद स्मारक पर लगातार दूसरे दिन भी डटे रहे, हालांकि संयुक्त अभिभावक संघ ने 12 दिन पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री के नाम दिए ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने अभिभावकों की मांगों को नही सुना गया तो अभिभावकों को धरना देने पर मजबूर होना पड़ेगा। सोमवार से शुरू हुए धरने में भी अभिभावकों में भाग लिया और मंगलवार को भी कई स्कूलों के अभिभावकों ने भाग लिया। मंगलवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि धरना अनिश्चित कालीन समय तक निर्धारित है जब तक राज्य सरकार अभिभावकों की मांगों को पूरा नही करती ” जब तक न्याय नही होगा, अभिभावक घरों में नही जाएंगे। “
प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू और उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले आठ महीनों से अभिभावक हर स्तर पर टूट चुका है और जिल्लत की जिंदगी जीने पर मजबूर हो रहा है। आज की स्थिति इतनी विकट है अभिभावकों के पास परिवार के पालन-पोषण तक करने के लिए पैसे नही है स्कूल वालो को फीस कहा से देंवे। एक तरफ निजी स्कूल संचालक अपनी हठधर्मिता दिखा रहे है वही दूसरी तरफ राज्य सरकार भी निजी स्कूल संचालकों को बंद कमरों में बैठकर वार्ता कर संरक्षण देने जैसा कार्य कर रहे है। आज सेशन के आठ महीने खत्म हो चुके है जिसमे से राज्य सरकार ने 40 फीसदी और सीबीएई बोर्ड ने 30 फीसदी स्लेबर्स कांटा जो हकीकत से कोषों दूर है। जबकि सीबीएसई बोर्ड ने साढ़े तीन महीने पहले 70 फीसदी सिलेबस डिक्लियर किया था जिसके बाद से सीबीएसई बोर्ड ने अब तक सिलेबस अब तक कोई ध्यान नही दिया बल्कि इसकी आड़ बनाकर निजी स्कूल संचालकों को लूटने का लाइसेंस और उनके हाथ मे थमा दिया। यही हाल राजस्थान बोर्ड का जो तरीख पर तरीख की योजना को अमल करते हुए निजी स्कूल संचालकों को संरक्षण दे रही है। पहले 70 फीसदी, फिर 60 फीसदी अब 50 फीसदी और साथ एक नई संजीवनी योजना कम से कम 26 फीसदी अंक लाने वाले बच्चों को भी इस सेशन में पास करने का झुनझुना पकड़ा रही है जिससे स्कूल वाले अभिभावकों को डरा-धमका कर उनसे फीस वसूल सके।
महामंत्री संजय गोयल ने बताया की अभिभावकों के सब्र का बांध अब फुट चुका है, अब अभिभावक निजी स्कूल संचालकों से ही राहत मांग रहा था वहां स्कूलों ने राहत के नाम पर रियायत देने के बजाय ठोकरे दी, पुलिस प्रशासन को बुलाकर गिरफ्तार करवाया और यही निजी स्कूल झूठे स्वांग रचकर अभिभावकों से बैठकर वार्ता करने की बात कर रहे है, अभिभावकों पर कोर्ट और सरकार क्व निर्णय का दबाव बना रहे है। जब एकलपीठ ने 70 फीसदी ट्यूशन फीस का आदेश दिया तब स्कूलों ने फूल फीस में से 70 फीसदी वसूलनी शुरू कर दी, कुछ स्कूलों ने 10 से 30 फीसदी फीस बढ़ाकर 70 फीसदी फीस वसूलने के षड्यंत्र रचे। उसके बाद भी अभिभावकों की एकता को नह तोड़ पाए तो धरने और आमरण अनशन का ढोंग रचकर सरकार पर दबाव बनाया गया, बिना अभिभावकों बन्द कमरों में बैठकर सरकार और स्कूल संचालकों ने आपस में मिलकर अभिभावकों को लूटने की डील फाइनल की। किन्तु हम अभिभावक है कोई कठपुतली नही। यह धरना अनिश्चित कालीन है, प्रशासन कितना भी डरा लेंवे, धमका लेंवे किन्तु अभिभावक अब टश स्व मश नही होगा। अब तो ” जब तक न्याय नही, तब तक कोई घर नही ” का पालन करते हुए प्रत्येक अभिभावक ललकार भरते हुए इस संघर्ष को आर-पार लेकर जाएगा।
मंगलवार को दूसरे दिन संयुक्त अभिभावक संघ अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा, मंत्री युवराज हसीजा, मनोज जसवानी, संगठन मंत्री मनमोहन सिंह, चन्द्रमोहन गुप्ता, महिला प्रभारी अमृता सक्सेना, दौलत शर्मा, एडवोकेट रितेश शर्मा, राजेन्द्र भवसार, संजय शर्मा, अनुपम सोनी, विकास अग्रवाल, वीरेंद्र सिंह, ऋतु स्वामी, टीना शेखवात, बेनी प्रसाद कौशिक, पं त्रिलोक तिवाड़ी (समता आंदोलन), विनोद नागर, लक्ष्मी कुमारी, केदार गुप्ता, सतेंद्र सोनी, विजय गुप्ता, ईशान शर्मा, पुनीत शर्मा, जशवंत चौधरी, नीरज श्रीवास्तव सहित विभिन्न स्कूलों के अभिभावकों ने धरने में शामिल होकर अपना समर्थन प्रदान किया।