Editor-Ravi Mudgal
जयपुर, 12 जनवरी 2021: जैसा कि कोविड-19 का विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव रहा है, इसने निश्चित रूप से महामारी के साथ होने वाले जोखिमों को कम करने की आवश्यकता उत्पन्न की है। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी की आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल हैल्थ एंड इनोवेषन कॉन्फ्रेंस ‘हैल्थ नेक्स्ट 2021‘ में विषेषज्ञों ने इस विषय से जुड़े विविध पहलुओं, चिंताओं, चुनौतियों व बदलावों पर चर्चा की गई। इस कॉन्फ्रेंस का मंगलवार, 12 जनवरी को समापन हुआ। दो दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में यूएसए, जर्मनी, भारत, ब्रिटेन, कनाड़ा सहित 8 देशों के करीब 40 वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। इन वक्ताओं ने नए समाधानों व रणनीतियों पर जोर दिया और नेटवर्किंग के जरिए व्यापारिक आदान-प्रदान भी किया गया।
एनएचएम के पूर्व प्रबंध निदेषक तथा राजस्थान सरकार के कौशल व उद्यमिता के पूर्व सचिव एवं खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के सचिव श्री नवीन जैन ने कॉन्फ्रेंस के मुख्य वक्ता के तौर पर उद्घाटन किया और कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसमें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, बायर, जर्मनी, फार्मेसी, अपोलो हॉस्पिटल्स, मेडकॉर्डर्स, दवा दोस्त, निष्ठा / झूपीगो, मेडिकवर हॉस्पिटल्स, एस्ट्राजेनेका, बायो फार्मास्युटिकल आर एंड डी, गेदर्सबर्ग, एमडी, यूएसए, डॉक्यूटी इंडिया, विवेवो हैल्थ, एआई हाईवे, माइरेस्क्विर लाइफ, टाई ग्लोबल, एमिटी सेंटर फॉर एंटरप्रिन्योरषिप डवलपमेंट, स्टार्टअप ओएसिस, हैल्थकेयर एट होम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, ई फॉर इम्पेक्ट फाउंडेषन, ईकोवेयर, बीओडी, आईक्योर, स्टेन प्लस, रेड एंबुलेंसेज और दया इंडिया जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के वक्ता शामिल हुए।
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट (कार्यवाहक) व डीन डॉ. पी आर सोडानी ने कहा कि हमें लगता है कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की चुनौतियां अब बदल गई हैं और कोविड-19 के बाद इन चुनौतियों व जोखिमों को कम करना अत्यंत आवष्यक हो गया है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हम समय से पहले हैल्थकेयर इंडस्ट्री को नया व बेहतर रखने के शानदार प्रयास देख रहे हैं। ग्लोबल हैल्थ एंड इनोवेशन कॉन्फ्रेंस ‘हैल्थ नेक्स्ट 2021‘ न सिर्फ नवीन एंटरप्रिन्योर्स के लिए, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बेहतरीन मंच है।
हेल्थकेयर एट होम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ईवीपी व सीओओ डॉ. गौरव ठुकराल ने कहा कि अफॉर्डेबिलिटी, अवेलेबिलिटी व असेसबिलिटी तीन ए हैं, जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हमेशा से चुनौती रहे हैं। आयुष्मान भारत के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं का शायद ही कोई प्रतिशत राज्य द्वारा वित्तपोषित किया जाता हो। हम देखते हैं कि बीमा की पहुंच अभी तक कम है, जब निजी बीमा या राज्य बीमा की बात आती है, तो भी बीमा का पेन्ट्रेषन 20 प्रतिषत से अधिक नहीं है।
ई फॉर इम्पेक्ट फाउंडेषन के सीईओ प्रो. मारियो मोल्तेनी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं निजी स्वास्थ्य में संतुलन को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्हांेने कहा कि मिलान में हम सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करके संतुलन बनाते हैं।
ईकोवेयर के सीईओ रेहा मजूमदार सिंघल ने कहा कि भारत में अत्यंत घनी आबादी है और हमारे पास वेस्ट मैनेजमेंट व वेस्ट ट्रीटमेंट का अभी भी कोई औपचारिक समाधान नहीं है। मैं मानता हूं कि जब हम भारत या किसी भी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में सस्टेनेबिलिटी की बात करते हैं तो हमें क्लोज्ड लूप सॉल्यूषंस की बात करनी होगी।
अपोलो हॉस्पिटल्स के सीओओ और यूनिट हेड संतोष मराठे ने कहा कि पर्सनलाइज्ड हैल्थकेयर वर्तमान समय की आवश्यकता है। उन्होंने आगे बताया कि पेषेंट का उपयुक्त डेटा प्राप्त करने के लिए तकनीक का उपयोग और बिग डेटा फायदेमंद हैं। बीओडी के संस्थापक व मैनेजिंग पार्टनर श्री सौरभ उबेजा ने कहा कि विषेष रूप से पेषंट्स का हाई क्वालिटी डेटा का संग्रह रोगियों के लिए उपचार का प्रोटोकॉल तैयार करने में मदद कर सकता है।
मेडकोर्ड्स के सह–संस्थापक श्रेयांष मेहता ने कहा कि राजस्थान में गत छह वर्षों में निजीकृत स्वास्थ्य सेवाओं ने एक बड़ा बदलाव देखा है। हमारा प्रयास है कि नेषनल डिजीटल हैल्थ मिषन से जुड़ा प्रत्येक परिवार प्रत्येक सदस्य का स्वास्थ्य रिकॉर्ड बने।
कॉन्फ्रेंस के अंत में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के डॉ. पी आर सोडानी द्वारा कॉन्फ्रेंस की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। समापन संबोधन में ब्रांड स्ट्रेटेजिस्ट श्री अंबी परमेष्वरन ने अपने अनुभव साझा किए। कॉन्फ्रेंस की संयोजक डॉ. शीनू जैन ने कहा कि यह डिजीटल हैल्थ व हैल्थकेयर के निवेष के विकास क्षेत्रों पर आधारित अत्यंत अहम कॉन्फ्रेंस थी। इसके विभिन्न सत्रों में कॉन्फ्रेंस के विषयों पर विषेषज्ञों द्वारा अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारियों साझा की गई। इस कॉन्फ्रेंस द्वारा हैल्थकेयर स्टार्टअप स्टूडेंट्स, एलुमनीज को एक मंख् प्रदान किया गया। यह कॉन्फ्रेंस मुख्य रूप से पोस्ट कोविड-19, हैल्थ ईकोसिस्टम में इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे विषयों पर आधारित रही।