Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 01 जनवरी 2021 -‘हम उन सभी कोविड वॉरियर्स और सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को लेकर उनके प्रति आभारी हैं जिन्होंने पिछले नौ महीने में हमें सुरक्षित रखा है। उपयुक्त रूप से, हम अब भारत को आत्मनिर्भर बनाने के पथ पर अग्रसर हैं। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के अनुरूप वर्ष 2020 में अनेक महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार हुए हैं। भारत जैसे युवा राष्ट्र में रोजगार सृजन को सर्वोपरि प्राथमिकता प्राप्त है, जहां हर वर्ष लाखों युवा कार्यबल में शामिल होने हेतु तैयार हैं।
प्राकृतिक संसाधन क्षेत्र में, आयात पर निर्भरता कम करना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इससे हमें तेल एवं गैस क्षेत्र में आयात पर होने वाले खर्च को काफी हद तक करने में मदद भी मिलेगी, और इससे देश को ऊर्जा व संसाधन की सुरक्षा प्राप्त हो सकेगी। खनन एवं धातु (मेटल्स) क्षेत्र में, पर्यावरण की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, 500 खदानों को खोलने का बहुत व्यापक प्रभाव पड़ेगा, चूंकि खनन का बहुगुणक असर सर्वविदित है। आज, भारत में खनन देश की जीडीपी का 2 प्रतिशत से भी कम है, लेकिन व्यावसायिक रूप से टिकाऊ खनन को आसान बनाने पर जोर देने वाली प्रगतिशील नीतियों से, इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 6-8 प्रतिशत तक जा सकती है। उक्त नीतियों के अंतर्गत परिचालन करते हुए, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के प्रभावी उपयोग से कार्बन फुटप्रिंट घटेगा। भारत के पास दुनिया का सबसे जिम्मेदारीपूर्ण खनन एवं निर्माण वाहक बनने के लिए अपार अवसर उपलब्ध है, जिससे हमारे लोगों के लिए आजीविका के नये-नये अवसर पैदा होंगे।
आने वाले वर्षों में, दुनिया भर के देशों को साथ मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक टिकाऊ बनाने हेतु कार्य करना होगा, ताकि समुदाय अधिक समृद्ध बन सकें। वेदांता, हमारे प्रसिद्ध नंदघर प्रोग्राम के जरिए जरुरतमंद लोगों के उत्थान के लिए लगातार कार्य करता रहेगा और यह प्रोग्राम, कोविड-काल में डिजिटल तकनीक जरिए महिलाओं व बच्चों की सहायता करने में अग्रणी रहा है।”