Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 15 जनवरी 2021 : भारतीय परिवारों ने डिजिटल भुगतान के तरीकों को अच्छी तरह से अपनाया है और इन तरीकों का उपयोग केवल अमीरों या पढ़े-लिखे लोगों तक ही सीमित नहीं है, नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और पीपुल रिसर्च ऑन इंडिया’ज कंज्यूमर इकॉनमी (प्राइस) द्वारा कराये गये एक अध्ययन में इसका पता चला है। 25 राज्यों के विभिन्न आय-समूहों के 5314 घरों पर किये गये, इस सर्वेक्षण का उद्देश्य डिजिटल भुगतान के संबंध में घरों में जागरूकता, उपयोग व्यवहार और इसके उपयोग के व्यवहार को समझना था।
अध्ययन से पता चला कि भारत के 20 प्रतिशत अमीर घरों में से दो में से एक घर में डिजिटल भुगतान का उपयोग होता है, जबकि 40 प्रतिशत सबसे गरीब भारतीय परिवारों में चार में से एक परिवार इसका उपयोग करता है। इसके अलावा, ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जो इसका उपयोग करने की इच्छा रखते हैं, लेकिन उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति के मार्गदर्शन की आवश्यकता है जो उन्हें बताये कि यह कैसे करें और साथ ही, एक लोगों का एक छोटा समूह ऐसा भी है जिन्होंने इसका उपयोग शुरू किया लेकिन बाद में बंद कर दिया। यदि यह ‘तैयार’ मांग को प्रभावी प्रशिक्षण और शिक्षा के माध्यम से सक्षम हो जाती है, तो निश्चित रूप से तक़रीबन आधे भारतीय घर (54 प्रतिशत या 151 मिलियन घर) डिजिटल भुगतान उपयोगकर्ता बन जाएंगे – इनमें से 55 मिलियन परिवार सबसे गरीब यानी 40 प्रतिशत भारतीय घरों से जुड़े होंगे, जबकि 61 मिलियन मध्यमवर्गीय भारतीय परिवार से आएंगे या 40 प्रतिशत मध्यम आय वर्ग और केवल 36 मिलियन परिवार यानी 20 प्रतिशत सबसे अमीर घरों से होंगे।
यह रिपोर्ट इस तथ्य की तरफ भी इशारा करती है कि 68 प्रतिशत उत्तरदाताओं के लिए डिजिटल भुगतान को अपनाने के लिए स्मार्टफोन को रखना अब कोई मुश्किल नहीं है (जो लोग घर के लिए बैंकिंग और भुगतान कार्य आदि करते रहते हैं, आम तौर पर वे जो वेतन भोगी हैं) क्योंकि उनके पास अपना खुद का स्मार्टफोन्स है। जैसा कि उम्मीद की गई थी कि भारत के सबसे अमीर 20 प्रतिशत परिवारों में अनुमानित स्मार्टफोन उपयोगकर्ता 90 प्रतिशत के लगभग है, लेकिन भारत के 57 प्रतिशत सबसे गरीब परिवारों के पास स्मार्टफोन है।
इस रिपोर्ट में यूपीआई और डिजिटल माध्यम से भुगतान ऐप के बारे में अत्यधिक जागरूकता का पता चला है और जो परिवार यूपीआई प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं, उनके पास इस प्लेटफ़ॉर्म की इंटरऑपरेबिलिटी की जानकारी नहीं भी हो सकती है। यहाँ पर आवश्यकता है जागरूकता पैदा करने की, ताकि किसी भी बैंक या भुगतान ऐप का उपयोग कोई भी यूपीआई उपयोगकर्ता यूपीआई भुगतान करने के लिए कर सके और इसके लिए उपयोगकर्ताओं को उनकी यूपीआई आईडी पता होनी चाहिए। न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि दूरदराज के पिन कोड यानी गाँव आदि में भी रूपे कार्ड की संख्याओं में काफी वृद्धि हुई है जो अब तक काफी कम थी।
अध्ययन से पता चला है कि आधार प्रणाली से जुड़ने और एसएमएस सुविधा के माध्यम से उत्तरदाताओं के लिए बैंकिंग प्रणाली भी काफी बेहतर तरह से जुड़ा हुआ है, यहां तक कि निचले क्षेत्रों के समूहों में भी। इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि उत्तरदाताओं में से 87 प्रतिशत को इस अधिनियम के बारे में पता है कि उन्हें बैंकों से एसएमएस प्राप्त होते हैं, जिससे उन्हें अपने पैसे को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने का पूरा विश्वास मिलता है। रिपोर्ट के अनुसार, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफ़र (डीबीटी) डिलीवरी सिस्टम ने उत्तरदाताओं के लिए काफी बेहतर तरह से काम किया है और लॉकडाउन के दौरान यह और भी ज्यादा बेहतर हो गया है क्योंकि तक़रीबन 85 प्रतिशत परिवारों को उनके बैंक खातों में डीबीटी प्राप्त हुए हैं।
प्राइस की सह-संस्थापक, सुश्री रामा बीजापुरकर ने कहा, “हमें खुशी है कि हमें इस अध्ययन को संचालित करने के लिए एनपीसीआई के साथ सहयोग करने और कंज्यूमर इंडिया का लेस कैश इकॉनमी बनने की दिशा में उठाये गये कदमों के आकलन का अवसर मिला। उपभोक्ताओं के बीच मौजूद डिजिटल खाई तेजी से पट रही है, जो कि एक सुखद संकेत भी है। उपभोक्ता वातावरण बहुत ही उर्वर है, सभी स्तरों के उपभोक्ता तैयार, इच्छुक और सक्षम हैं। सार्वभौमिक डिजिटल भुगतान के उपयोग को बढ़ावा देना आपूर्ति पक्ष की जिम्मेदारी है।”
सुश्री प्रवीणा राय, सीओओ, एनपीसीआई ने कहा, “हमें इस उत्पादक रिपोर्ट – डिजिटल पेमेंट एडॉप्शन इन इंडिया, 2020 ‘को प्राइस के साथ लॉन्च करने की खुशी है। डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के उन परिणामों को देखना बहुत खुशी की बात है जिसे एनपीसीआई ने सक्षम बनाया है और बढ़ावा दिया है। रिपोर्ट से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि भारत में आज डिजिटल भुगतान प्रारंभिक चरण से अच्छी तरह से आगे बढ़ गया है और निम्न आय समूहों सहित पूरे देश में महत्वपूर्ण रूप से इसका उपयोग होने लगा है। हम सभी आय स्तर के परिवारों को यूपीआई, एपीएस व डिजिटल भुगतान के अन्य रूपों के प्रति रुचि दिखाने हेतु प्रेरित कर रहे हैं। परंपरागत रूप से नकद लेनदेन के प्रबल पक्षधर भारतीय परिवारों द्वारा डिजिटल भुगतानों की मांग और इच्छा के साथ, हमें एक अरब भारतीयों को डिजिटल भुगतान उत्पादों के माध्यम से उनकी जरूरतों को पूरा करने के हमारे मिशन में सफल होने की उम्मीद है। रिपोर्ट से हमें पता चलता है कि हालांकि स्मार्टफोन का स्वामित्व अधिक है, फिर भी उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिनके पास अभी तक स्मार्टफोन नहीं हैं। हम उन्हें भी इसमें शामिल करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। हम एनपीसीआई में पहले से ही गैर-स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को एक स्थायी डिजिटल भुगतान समाधान की पेशकश करने की दिशा में काम कर रहे हैं और उन्हें आसान, सुरक्षित और त्वरित भुगतान अनुभव प्रदान करते हैं। हमें उपभोक्ताओं को यह जानने के लिए सक्षम बनाने के लिए अपने प्रयासों को फिर से चालू करना होगा कि कैसे डिजिटल भुगतानों का उपयोग आत्मविश्वास और सुरक्षित रूप से किया जा सके, और यूपीआई के अंतर के बारे में सार्वभौमिक जागरूकता पैदा की जा सके, जो उन स्तंभों में से एक है, जिस पर हम भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं”।