Editor-Manish Mathur
जयपुर 27 फरवरी 2021 – कृषि विज्ञान केन्द्र, भीलवाडा द्वारा आयोजित और सुपारी एवं मसाला विकास निदेशालय, कालीकट केरल द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय “बीजीय मसालों की उन्नत प्रौद्योगिकी” कृषक प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र, भीलवाडा में आयोजित किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डाॅ सी. एम. यादव ने कृषकों को राजस्थान में मसाला फसलों की महत्ता बताते हुए उनकी खेती करके अधिक आर्थिक लाभ कमाने के लिये प्रेरित किया। कृषि महाविद्यालय, भीलवाड़ा के अधिष्ठाता डाॅ. किशन लाल जीनगर ने मसाला फसलों में होने वाले प्रमुख कीट एवं रोग की जानकारी देते हुए उनके समन्वित प्रबन्धन पर प्रकाश डाला।
डाॅ. अभय दशोरा, सहायक आचार्य एवं परियोजना प्रभारी, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने परियोजना के उद्देश्य को बताते हुए बीजीय मसाला फसलों की विभिन्न किस्मों की चर्चा की एवं अग्रिम प्रदर्शन धनिया, सौंफ, अजवाइन, मैथी, जीरा की कार्य योजना पर प्रकाश डाला। डाॅ. रविकान्त शर्मा सहायक-आचार्य, मृदा विज्ञान, कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा ने बीजीय मसाला फसलों में समन्वित पोषक तत्त्वों के प्रबन्धन पर जानकारी दी।
शस्य वैज्ञानिक डाॅ. रामावतार खण्डेलवाल ने कृषकों को बीजीय मसाला फसलों की उन्नत प्रौद्योगिकी के बारे में विस्तृत चर्चा की। सह-परियोजना प्रभारी डाॅ. बी.जी. छीपा ने बीजीय मसालों में प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर चर्चा की। डाॅ. छीपा ने प्रशिक्षण के दौरान कृषकों के लिये प्रश्नोत्तारी कार्यक्रम आयोजित करवाया जिसमें विजेताओं को पारितोषिक दिया गया। प्रशिक्षण में कुल 40 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण के अन्त में केन्द्र के तकनीकी सहायक महेन्द्र सिंह चुण्ड़ावत ने धन्यवाद ज्ञापित किया।