Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 17 फरवरी 2021 सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम गृहमंत्रालय भारत सरकार के साथ महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की साझेदारी में खाद्य आजीविका और मानव सुरक्षा हेतु आपदा जोखि़म न्यूनीकरण पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह के प्रारंभ में कार्यक्रम की संयोजक प्रो. मीनू श्रीवास्तव ने आपदा जोखिम के न्यूनीकरण हेतु आजीविका और मानव सुरक्षा में भोजन की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ अजय शर्मा डीन सीटीई ने कहा कि आपदा जोखिम प्रबंधन समय की आवश्यकता है। राजस्थान में मरुस्थलीय क्षेत्र अधिक है जहाँ वास्तविक अर्थ में ड्रिप और अकाल या प्रबंधन की आवश्यकता होती है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एन एस राठौड़ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
प्रो वी नेपालीया ने इस तथ्य पर बल दिया कि प्रत्येक व्यक्ति की भौतिक एवं किफायती रूप से पौष्टिक भोजन तक पहुंच होनी चाहिए। उन्होंने जलवायु संबंधित खतरों पर प्रकाश डालते हुए कहा की जलवायु परिवर्तन का मानव जाति पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।प्राकृतिक आपदा से गरीबी बढ़ती है जो बदले में खाद्य असुरक्षा का कारण बनती है। इसलिए इन आपदाओं को प्रबंधित करने की आवश्यकता है अन्यथा यह दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा बनते हैं। सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. अनिल कुमार गुप्ता विभागाध्यक्ष ईसीडीआरएम एन आई डी एम भारत सरकार थे। प्रो गुप्ता ने अपने उद्बोदन में बताया कि भारत में हालांकि हमने खाद्य सुरक्षा की स्थापना की है लेकिन फिर भी पोषण संबंधी असुरक्षा और खाद्य असुरक्षा जैसे मुद्दे अभी भी ज्वलंत हैं।
राजस्थान अब कृषि अनुसंधान और विस्तार में पारंगत है लेकिन आज भी कुछ इलाके चिरकालिक सूखे का सामना कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन हमारे अस्तित्व के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा कर रहे हैं। व्याख्यानों की श्रृंखला में आपदा प्रबंधन पर सत्र की अध्यक्षता एडीजी–आर आई पीए और विशेष प्रशिक्षण सचिव जयपुर की सुश्री शैली किसनानी ने की। सुश्री किशनानी ने अपने व्याख्यान में एक नई आपदा पर ध्यान केंद्रित किया जो प्रवासी आपदा है जिसका सामना हाल ही में कोविड-19 के रूप में हुआ। उनने चिह्नित किया कि पर्यावरणीय क्षति के लिए केवल प्रकृति ही नहीं बल्कि मानव भी जिम्मेदार है। अधिक जनसंख्या गरीबी और आपदा प्रवण आदि क्षेत्रों के कारण एशिया को सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ता है। सत्र के अंत में आयोजन सचिव डॉ हेमू राठौड़ एसोसिएट प्रोफेसर संसाधन प्रबंधन व उपभोक्ता विज्ञान विभाग सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ निकिता वधावन मे किया। आयोजन सचिव डॉ सुबोध शर्मा ने बताया कि गुरूवार 18 फरवरी को प्रो रिपुन्जय सिंह, ह.च.मा. लोक प्रशासन संस्थान एवं प्रभारी, आपदा प्रबंध केंद्र, नगरीय विकास प्रन्यास, जयपुर एवं श्रीमति अनुजा हीरानी, पोषण विज्ञानी एवं वैलनेस कोच, लण्डन अपना व्याख्यान देंगे। समप्वयक पियूष चौधरी ने बताया कि प्रशिक्षण के पहले दिन 670 प्रतिभागियों ने भाग लिया।