Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 18 फरवरी 2021 – दिल में जन्मजात छेद होना तो सामान्य बात है, मगर हार्ट अटैक के बाद अगर दिल में छेद बन जाता है तब यह स्थिति बेहद जटिल एवं घातक होती है। ऐसे दिल के छेद को ठीक करने के लिए विस्तृत प्लानिंग, अनुभव एवं दक्षता की जरूरत होती है। ऐसा ही एक मामला नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर में आया जब 61 वर्षीय महेश (बदला हुआ नाम) को घर बैठे-बैठे तेज हार्ट अटैक आया और वह अचेत सा हो गया। तेज हार्ट अटैक के कारण हृदय की माँसपेशियां इतनी बुरी तरह से प्रभावित हो गई कि हृदय के दो वेंट्रीकल के बीच जो पर्दा होता है (इंटरवेंट्रीकुलर सेप्टम) उसमें लगभग 2.5 सेंटीमीटर बड़ा छेद बन गया जिससे शुद्ध व अशुद्ध रक्त एक दूसरे में मिलने लगा। अगर मरीज की जल्द सर्जरी नहीं की जाती तो मृत्यु निश्चित थी। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की कार्डियक साइंसेज टीम ने यह चुनौति स्वीकारी और एक ही सिटींग में ब्लॉकेज को ठीक करने के लिए बाईपास सर्जरी व छेद बंद करने की सर्जरी कर मरीज की जान बचायी। डॉ. सी.पी. श्रीवास्तव, डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष-कार्डियक सर्जरी के नेतृत्व में यह जटिल सर्जरी की गई और अब महेश बिलकुल ठीक हैं।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर के कार्डियक सर्जरी के डायरेक्टर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सी.पी. श्रीवास्तव ने बताया कि, छोटा से छोटा हार्ट अटैक भी दिल की माँसपेशियों को कमजोर कर देता है, तो फिर इस मामले में तो हार्ट अटैक इतना तीव्र था कि माँसपेशियां बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी जिसके कारण उसमें छेद बन गया था। इतनी कमजोर माँसपेशियों में छेद को बंद करने के लिए टाँके लगाना बहुत जटिल है क्योंकि टाँकों के बार-बार खुलने का डर रहता है। यह केस इसलिए भी और जटिल हो गया था क्योंकि छेद काफी बड़ा था और सामने की तरफ ना होकर पीछे की तरफ था, जिसके कारण बहुत बारीकी और कुशलता से इस सर्जरी को करने की जरूरत थी। इस तरह का जटिल ऑपरेशन जयपुर में कम ही किया जाता है और अक्सर ऐसे मरीजों को दिल्ली भेज दिया जाता हैं। हम ऐसे सर्जरी रेग्युलरली नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर में करते है जिससे मरीज दूसरे राज्य जाने की परेशानी से बच सकें।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, जयपुर की जोनल क्लिनिकल डायरेक्ट डॉ. माला ऐरन ने बताया कि, हार्ट अटैक पश्चात् दिल में छेद की सर्जरी काफी जटिल होती है और हाई रिस्क ऑपरेशन की श्रेणी में आती है। हाई रिस्क कार्डियक सर्जरी का अनुभव रखने वाला हॉस्पिटल एवं कार्डियक टीम ही ऐसी सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकती है।