Editor-Manish Mathur
जयपुर 11 फरवरी 2021 – हदय शरीर के सबसे अनमोल अंगों में से एक है, जो जीवन की कुंजी हैं। इसका ठीक तरह से काम करना हमारे समग्र स्वास्थ को सुनिश्चित करता है। हालांकि, कभी-कभी कुछ विसंगतियां पैदा हो जाती हैं, जो कई विकारों का कारण बन जाती हैं। इन्हीं विकारों में से एक है एओर्टिक स्टेनोसिस, जो तब होता है जब हृदय का एओर्टिक वॉल्व संकरा हो जाता है। यह संकुचन वॉल्व को पूरी तरह से खुलने से रोकता है, जो रक्त के प्रवाह को हृदय से मुख्य धमनी (एओरटा या महाधमनी) में और शरीर के बाकी हिस्सों में जाने को कम करता है या पूरी तरह अवरूद्ध कर देता है।
एक अध्ययन के अनुसार, सिम्पटोमैटिक एओर्टिक स्टेनोसिस के मरीजों की मृत्युदर 50 प्रतिशत है। जिन मरीजों में गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस के लक्षण विकसित होते हैं, वे औसतन दो साल के भीतर मर सकते हैं, अगर उनके एओर्टिक वॉल्व को प्रतिस्थापित नहीं किया जाए। हालांकि, एओर्टिक स्टेनोसिस आमतौर पर जन्मजात दोष के कारण किसी के जीवन के छठे या सातवें दशक में होता है, लेकिन यह पहले भी हो सकता है। ऐसी ही एक आसामान्य स्थिति तब सामने आई जब एक अट्ठाईस वर्षीय महिला स्वाति (नाम परिवर्तित) डॉ. रविंदर सिंह राव के पास पहुंची, जांच करने पर पता चला की वह जन्मजात बाय-कप्सिड एओर्टिक वॉल्व (महाधमनी के वॉल्व में दो कप्सिड बनना) की विकृति से पीड़ित है, यह गंभीर स्टेनोसिस था और उस महिला में इसके लक्षण भी दिखाई दे रहे थे।
स्थिति का विश्लेषण करने पर डॉ. रविंदर सिंह राव, एमडी, डीएम, एफएसीसी, हेड कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लॉस्टी और टीएवीआई प्रोग्राम के चीफ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, जयपुर ने कहा, “सामान्य स्थिति में, उसे सर्जिकल वॉल्व रिप्लेसमेंट (एसएवीआर) की सलाह दी जाती। हालांकि, उसके हृदय की कमजोर स्थिति को देखते हुए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि वह अपनी गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में थी, सर्जरी कोई विकल्प नहीं था।”
अपनी बात जारी रखते हुए डॉ. राव ने बताया, “इसके अलावा, स्वाति ने लगातार तीन असफल गर्भावस्था के बाद यह चौथी बार गर्भधारण किया था। इसलिए, उसके हृदय की स्थिति का उपचार करने के लिए कोई सर्जिकल विकल्प नहीं था, जो हर गुजरते दिन के साथ बिगड़ रही थी। मैंने ट्रांसकैथेटर एओर्टिक हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) का विकल्प चुना।”
ट्रांसकैथेटर एओर्टिक हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) का विकल्प चुनने का उनका निर्णय कितना सही था इसपर बोलते हुए, डॉ. राव ने कहा,” कैथ लैब के अंदर पांच से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ 3 अक्टुबर 2020 को ढाई घंटे तक चली संवेदनशील प्रक्रिया में वॉल्व को सफलतापूर्वक बदल दिया गया, इस दौरान मरीज पूरी तरह से सचेत रहा। यह सफलता वास्तव में पूरी सर्जिकल टीम के लिए खुशी/प्रसन्नता की बात थी। “
असली ‘चमत्कार” तब हुआ जब मरीज (स्वाति) ने 6 नवंबर 2020 को एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। ऐसे में ट्रांसकैथेटरएओर्टिक हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट की सफलता डॉ राव और उनकी टीम के लिए और मरीज व उसके परिवार के लिए कई गुना बढ़ गई।