Editor-Manish Mathur
जयपुर 01 फरवरी 2021 – भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित अखिल भारतीय समन्वित सूत्रकृमि विज्ञान परियोजना, उदयपुर केन्द्र के तहत रविवार को कृषि विज्ञान केन्द्र, फलोज, डूंगरपुर पर जनजाति किसानों हेतु पादप सूत्रकृमियों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें डूंगरपुर के आस-पास के कई किसान पुरुष व महिलाओं ने भाग लिया। डाॅ. बसन्ती लाल बाहेती, आचार्य व विभागाध्यक्ष, सूत्रकृमि विज्ञान विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने बताया कि पादप सूत्रकृमि पौधों के अदृश्य शत्रु हैं। पादप सूत्रकृमि सूक्ष्मदर्शी एक जादुई जीव है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी कई वर्षों तक बिना खाये-पीये सुप्तावस्था में रह सकते हैं व अनुकूल परिस्थिति मिलने पर फिर से सक्रिय होकर पौधों पर आक्रमण करते हैं। उन्होंने जीवंत नमूनों के माध्यम से जड़ गांठ व पुट्टी सूत्रकृमि के विभिन्न फसलों पर लक्षणों को प्रभावी रूप से दिखाया। डाॅ. बाहेती ने पर्यावरण अनुकूल तकनीकियों के माध्यम से उनके प्रबंधन के बारे में भी विस्तार से किसानों को जानकारी दी। वरिष्ठ वैज्ञानिक व कृषि विज्ञान केन्द्र प्रभारी डाॅ. सी.एम. बलाई ने केन्द्र पर चल रही विभिन्न किसानों उपयोगी गतिविधियों की जानकारी दी। साथ ही फलों व सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने हेतु सूत्रकृमि प्रबंधन बहुत जरूरी बताया। साथ ही उन्होंने किसानों की आय दुगुना करने के लिये खेतीबाड़ी के साथ-साथ मुर्गीपालन, मछली पालन करना भी काफी अच्छा बताया। कृषि विभाग के सेवानिवृत अधिकारी सुखराम वर्मा ने पर्यावरण अनुकूल व गौ आधारित कृषि को प्राथमिकता देने की बात कही। साथ ही उन्होंने फसल बुआई से पहले मृदा जांच बहुत ही आवश्यक बताया। सूत्रकृमि वैज्ञानिक डाॅ. एच.के. शर्मा ने मृदा व पौध नमूने लेने के तरीकों की जानकारी दी ताकि पादप सूत्रकृमियों की वस्तुस्थिति सही रूप से पता चल सके।
डाॅ. बी.एल. रोत ने फसलों पर लगने वाली विभिन्न व्याधियों के लक्षण व प्रबन्धन के बारे में किसानों को जानकारी दी। वरिष्ठ शोधवेता असीम श्रीवास्तव ने आये हुए किसानों व कृषि विज्ञान केन्द्र के सभी सदस्यों का प्रशिक्षण में प्राप्त सहयोग व सहभागिता के लिये हार्दिक आभार व्यक्त किया।