Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 23 मार्च 2021 – मुम्बई में 27 प्रतिशत लोगों ने अपना खुद का व्यापार शुरू करने के लिए व्यक्तिगत ऋण लेना पसंद किया है। वहीं 17 प्रतिशत ऋण आवेदन दोपहिया या चैपहिया वाहन खरीदने के लिए थे, 15 प्रतिशत ने लैपटाॅप, टेबलेट जैसे इलेक्ट्रोनिक उपकरण खरीदने के लिए ऋण मांगा, क्योंकि अब घर या कहीं दूर से काम करने की संस्कृति बढ़ रही है।
यह कुछ प्रमुख निष्कर्ष हैं जो “बाॅरोअर पल्स रिपोर्ट बाए इंडियालैंड्स“ में सामने आए हैं। यह एक आधुनिक डिजिटल लैंडिंग प्लेटफार्म है जो एक वर्ष पहले देश के लाॅकडाउन होने के समय से ऋणियों के व्यवहार को देख रहा है। यह राष्ट्रव्यापी अध्ययन प्रथम और द्वितीय श्रेणी के शहरों में 25 मार्च 2020 से 20 मार्च 2021 के बीच किया गया और यह 21 से 55 वर्ष के डेढ लाख ऋणियों से संकलित किए गए डाटा पर आधारित है।
इस राष्ट्रव्यापी डाटा के अनुसार 25 प्रतिशत लोगों ने अपना खुद का व्यापार शुरू करने के लिए व्यक्तिगत ऋण लिया, वहीं 18 प्रतिशत ने अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने और 17 प्रतिशत ने दोपहिया या चैपहिया वाहन खरीदने के लिए ऋण लिया और इनमें से ज्यादातर ऋण कोविड-19 महामारी के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों की कारण लिए गए।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सबसे ज्यादा ऋण आवेदन आए, वहीं द्वितीय श्रेणी के शहरों से आने वाले ऋण आवेदनों में 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। विलासिता पर होने वाले खर्चो मंे कमी के कारण प्रथम श्रेणी के शहरों से ऋण आवेदन कम हो गए।
रिपोर्ट के कुछ अन्य प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं-
– दिल्ली में 31 प्रतिशत ऋण आवेदन वाॅशिंग मशीन और डिशवाॅशर जैसी घरेलू उपयोग की चीजें खरीदने के लिए आए, वहीं 25 प्रतिशत ऋण आवेदन महामारी के कारण सामने आए स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए आए।
– बंगलुरू में 28 प्रतिशत ऋण आवेदन इलेक्ट्रोनिक उपकरण खरीदने के लिए आए, वहीं 12 प्रतिशत ऋण आवेदन खुद की दक्षता बढ़ाने वाले कोर्स करने के लिए आए। इसका अर्थ यह है कि काफी लोगों ने खाली समय का उपयोग खुद की दक्षता बढ़ाने के लिए किया।
– चेन्नई में 19 प्रतिशत ऋण आवेदन दोपहिया या चैपहिया वाहन खरीदने के लिए आए, वहीं 17 प्रतिशत लोगों ने स्मार्ट टीवी, लैपटाॅप जैसे इलेक्ट्रोनिक उपकरण खरीदने के लिए ऋण मांगा।
– हैदराबाद में 20 प्रतिशत ने अपने चिकित्सा खर्चो को पूरा करने के लिए ऋण मांगा, वहीं 15 प्रतिशत ने अपनी दक्षता बढ़ाने वाले कोर्स करने के लिए ऋण मांगा।
इंडियालैंड्स के फाउंडर और सीईओ गौरव चैपड़ा ने कहा, “कोविड-19 और इस वैश्विक महामारी के कारण बने आर्थिक संकट के हालात ने पिछले 12 महीनों को हमारे जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय बना दिया। आर्थिक मंदी, और नौकरियां जाने की वजह से पूरे देश में कई लोगों के लिए यह बडा झटका था। हालांकि इंडियालैंड्स बाॅरोअर प्लस रिपोर्ट बताती है कि नई पीढ़ी के लोगों ने अपने वित्तीय भविष्य को पूरी तरह से नियंत्रित करने की दिशा में बहुत मजबूती दिखाई। वैश्विक महामारी के दौरान इतनी बड़ी संख्या में अपना व्यापार शुरू करने की हिम्मत दिखाने से लोगों की उद्यमिता भी सामने आई और यह बहुत सकारात्मक स्थिति है। यह देखना भी सुखद रहा कि ज्यादातर ऋण आवेदन द्वितीय श्रेणी के शहरों से आए। इससे साफ पता चलता है कि अभी तक अछूते रहे इन बाजारों में काफी मांग है। हमारा अध्ययन मुझे इस बात का भरोसा दिला रहा है कि वैश्विक महामारी के बाद आर्थिक स्थिति मे तेजी से बदलाव आएगा।“
रोचक तथ्य यह है कि प्रथम श्रेणी के शहरों से जहां 46 प्रतिशत ऋण आवेदन आए हैं, वहीं द्वितीय श्रेणी के शहरों से 54 प्रतिशत ऋण आवेदन प्राप्त हुए हैं। द्वितीय श्रेणी के शहरों में सबसे ज्यादा ऋण आवेदन कोयम्बटूर, चंडीगढ़, लखनऊ, इंदौर और कोच्चि से आए हैं।
सर्वे के अन्य प्रमुख निष्कर्षो में यह भी सामने आया कि विवाह और यात्रा के खर्च में कमी आई है। इससे यह पता चलता है कि नई पीढ़ी अब कम खर्च वाली शादी और बजट में आने वाला घूमना-फिरना पसंद कर रहे हैं।
अध्ययन में शामिल लगभग 52 प्रतिशत ऋणी 25 से 35 वर्ष की आयुवर्ग के थे, इस तरह यह रिपोर्ट नई पीढ़ी पर केन्द्रित रिपोर्ट थी। रिपोर्ट में उन पुरूष और महिला ऋणियों को शामिल किया गया है जो 10 हजार से 50 लाख रुपए तक का ऋण मांग रहे थे।
इंडियालैंड्स के बारे में
इंडियालैंड्स क्रेडिट उत्पादों, बीमा और मुफ्त क्रेडिट रिपोर्ट की पेशकश करने वाला एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है। इंडियालैन्ड्स ने हाल ही में डिजिटल लेंडिंग 2.0 लॉन्च किया है – यह स्पर्श रहित, और बिना संपर्क वाले उत्पादों की एक श्रृंखला है जिसमें ऋण, बीमा और लाइन आॅफ क्रेडिट शामिल है। वेब और मोबाइल दोनों पर उपलब्ध, इंडियालैंड्स अपने ग्राहकों को तत्काल ऋण देता है जिसमें अधिकांश उत्पाद पूरी तरह से डिजिटल होते हैं। इंडियालैंड्स तकनीक, डाटा और क्रेडिट एनेलेटिक्स साॅल्युशन्स भी उपलब्ध कराता है और यह वित्तीय संस्थाओं के लिए लोन मैनेजमेंट प्लेटफार्म का भी काम करता है। 8 मिलियन के कस्टमर बेस वाले इंडियालैंड्स को क्रेडिट रिस्क प्रोफेशनल्स और डाटा साइंटिस्ट की ऐसी टीम चलाती है जिसके पास उपभोक्ता क्रेडिट का लम्बा अनुभव है। अधिक जानकारी