Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 8 मार्च 2021 – देश के सबसे बड़े शाखा रहित बैंकिंग नेटवर्क पेनियरबाई के मुताबिक देशभर में आज भी ज्यादातर महिलाएं नकदी में लेनदेन करना पसंद करती हैं। 65 प्रतिशत से अधिक महिला महिला ग्राहकों ने इसे अपना सबसे पसंदीदा भुगतान तरीका माना है, इसके बाद आधार पे का नंबर आता है। हाल ही पेनियरबाई ने महिलाओं के वित्तीय लेनदेन के बारे में एक विस्तृत विश्लेषण किया है। ‘वूमैन्स डिजिटल इंडिपेंडेंस इन्डेक्स’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में देशभर में रिटेल आउटलेट्स पर महिलाओं के वित्तीय लेनदेन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
कंपनी ने देश में 3,500 से अधिक रिटेल स्टोर के बीच किए गए सर्वेक्षण के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें रिटेल आउटलेट में महिला उपभोक्ताओं के वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 75 प्रतिशत से अधिक खुदरा विक्रेताओं ने उल्लेख किया कि 31 से 40 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाएं डिजिटल रूप से सबसे अधिक निपुण थीं। इस आयु वर्ग की महिलाओं ने उनके स्टोर्स पर 58 प्रतिशत से अधिक वित्तीय लेनदेन डिजिटल रूप से किया। इसके तुरंत बाद 20-30 वर्ष के आयु वर्ग का नंबर आता है। विशेष रूप से शहरी और मेट्रो केंद्रों में लगभग 25 प्रतिशत महिला उपभोक्ता 20-30 वर्ष के आयु वर्ग की थीं।
हालांकि वित्तीय लेनदेन के लिए नकदी आज भी सबसे पसंदीदा तरीका है, फिर भी विभिन्न आयु वर्ग की 5-15 प्रतिशत महिलाएं आधार पे, यूपीआई और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर रही हैं। रिटेल टच पाॅइंट्स पर ज्यादातर महिला उपभोक्ताओं द्वारा नकद निकासी, मोबाइल रिचार्ज और बिल भुगतान- इन तीन शीर्ष सेवाओं का इस्तेमाल किया जात है। शहरी और मेट्रो केंद्रों पर धन प्रेषण संबंधी सेवाओं का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। लेनदेन मुख्य रूप से 31-40 वर्ष (45 प्रतिशत) और 20-30 वर्ष (25 प्रतिशत) वाले उम्र वर्ग की युवा कामकाजी महिलाओं द्वारा किया जाता था।
टीयर थ्री और ग्रामीण क्षेत्रों द्वारा बड़े पैमाने पर संचालित विदड्राॅल बाजार में ज्यादातर लेनदेन 31-40 वर्ष (65 प्रतिशत) के आयु वर्ग की महिलाओं द्वारा किए गए। टियर थ्री और ग्रामीण बाजारों में लगभग 78 प्राितशत महिलाओं ने नकद निकासी का लाभ उठाया। कुल मिलाकर 1000-2500 रुपए के बीच की रकम देश भर में महिलाओं के लिए निकासी की सबसे पसंदीदा रेंज थी।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 76 फीसदी से अधिक महिलाओं ने अपना बैंक खाता स्वयं संचालित किया है, लेकिन वे मुख्य रूप से नकद निकासी और नकद जमा के उद्देश्य से ही ऐसा करती हैं। हालांकि अधिक विकसित सेवाओं जैसे कि बीमा (5 फीसदी से कम) और बचत खाता (12 फीसदी से कम) की पैठ तुलनात्मक रूप से बहुत कम थी। दिलचस्प बात यह है कि 20 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनके बैंक खाते को उनकी बजाय उनके पति संचालित करते हैं।
रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए पेनियरबाई के फाउंडर, एमडी और सीईओ आनंदकुमार बजाज ने कहा, ‘‘हमारा देश डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है। यह खुशी की बात है कि देश में खुदरा स्टोरों में वित्तीय सेवाओं के डिजिटल लेनदेन में 20-40 वर्ष की आयु वर्ग की युवा महिलाओं के योगदान को देखा जा सकता है। असिस्टेड से सेल्फ-सर्विस मोड की इस यात्रा में ईको-सिस्टम में दृढ़ता की आवश्यकता होती है। आधार पे और यूपीआई क्यूआर की सेवाओं के साथ देश की महिलाओं द्वारा डिजिटल लेनदेन को अपनाते हुए देखना और एक व्यापक बदलाव को संभव बनाने में मदद करना बहुत अच्छा अनुभव है। जब युवा पीढ़ी डिजिटल वित्तीय लेनदेन शुरू करती है, यह उनके जीवन को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है और यह कदम विकास के लिए एक ठोस आधार तैयार करने में उनकी मदद करेगा।’’
‘‘अध्ययन से पता चलता है कि कोविड से उपजे हालात के बाद महिला ग्राहकों के बीच बचत को लेकर जागरूकता काफी हद तक बढ़ गई है। 32 प्रतिशत से अधिक महिला ग्राहकों का कहना है कि भविष्य के लिए बचत करना उनकी पहली प्राथमिकता है। हालांकि घर पर अनौपचारिक रूप से बचत करने का अभी भी ट्रेंड बना हुआ है, 12 प्रतिशत से कम महिला ग्राहक एक औपचारिक बचत उत्पाद को लेकर जागरूकता दिखाती हैं। हर घर में औपचारिक बचत की आदत को बदलने और विकसित करने के लिए, हमें सभी हितधारकों से समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होती है, और पेनियरबाई पर हमारी प्रतिबद्धता इसी तरह जारी रहती है।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘महिलाओं को भुगतान के डिजिटल तौर-तरीकों से परिचित कराने से खाते संबंधी स्वामित्व को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। उपयोग से संबंधित वस्तुओं की खरीद के लिए डिजिटल सहायता जैसे कि खर्चों का भुगतान या डिजिटल कॉमर्स और इन्फोटेनमेंट का उपयोग महिलाओं के समय और संसाधनों को बचा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है। हमारा मकसद देश में सभी किराना स्टोरों पर डिजिटल भुगतान विकल्पों का उपयोग करने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना है, ताकि हमारी जनता, विशेष रूप से हमारी महिलाएं देश में मौजूद डिजिटल अंतराल को जल्द ही दूर कर सकें।’’
‘‘सही अर्थों में वित्तीय समावेशन वह है, जिससे महिलाओं को सुविधा मिल सके और इस तरह उनकी कमाई और बचत पर अधिक नियंत्रण रहेगा। पेनियरबाई पर हम हमेशा महिलाओं के लिए वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, चाहे हमारे ‘डिजिटल नारी’ कार्यक्रम के माध्यम से हो या उनके लिए आसानी से संचालित लक्ष्य आधारित बचत समाधान बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया हो। हमारा मानना है कि आर्थिक सशक्तीकरण लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने में भी मदद करेगा।’’
रिपोर्ट में बताया गया है कि किराना और खुदरा दुकानों पर वित्तीय लेनदेन के लिए लगभग 32 प्रतिशत महिलाओं ने स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया और व्हाट्सएप का भी लाभ उठाया। शहरों में 50-60 प्रतिशत महिलाआंे ने इन तरीकों का उपयोग किया। ग्रामीण भारत ने भी वित्तीय लेनदेन के लिए डिजिटल तरीकों को अपनाया, देशभर में हर जगह यह संख्या दोहरे अंकों में रही। यह वित्तीय लेनदेन के लिए किराना स्टोर पर जाने वाली महिला उपभोक्ताओं के बीच डिजिटल सेवाओं को अपनाने की प्रवृत्ति के बढ़ने का संकेत देता है।
भविष्य के निवेश के संबंध में उनके टाॅप तीन बचत लक्ष्यों के बारे में पूछे जाने पर बच्चों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, जबकि इसके बाद संपत्ति में निवेश, सोने की खरीद और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की खरीद का नंबर आता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोविड -19 महामारी के बाद आपात स्थिति के लिए बचत को महिलाओं ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। 51 प्रतिशत महिलाओं ने 500-750 रुपए महीने की माइक्रो सेविंग के संकेत दिए।
सिर्फ 5 प्रतिशत महिला ग्राहकों को सेवा के रूप में बीमा की जानकारी है, रिपोर्ट ने आसन्न आवश्यकता ेके रूप में इसे उजागर करते हुए इसके लिए विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी बाजारों में समान जागरूकता पैदा करने की जरूरत बताई गई है। हालांकि ज्यादातर उत्तरदाताओं ने स्वास्थ्य के बाद जीवन बीमा को अपना पसंदीदा विकल्प बताया।