Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 16 मार्च 2021 महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान परिषद की अठारहवीं बैठक मंगलवार को अनुसंधान निदेशालय में विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के पूर्व कुलपति डाॅ. एस. एस. चहल व कृषि विश्वविद्यालय, धारवाड़ के कुलपति डाॅ. एम. बी. चेट्टी विशेषज्ञ थे।
इस अवसर पर वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय कृषि अनुसंधान में अग्रणी है। हमारे संस्थान ने नई किस्मों, गुणवत्ता शोध पत्रों, पेटेन्ट्स एवं पुरस्कार व अवार्ड प्राप्त कर अपनी रैकिंग में अभूतपूर्व सुधार करते हुए प्रदेश में प्रथम व राष्ट्रभर में 26वाँ स्थान प्राप्त किया है। माननीय कुलपति ने वैज्ञानिकों से आहवान किया कि वे अपने अनुसंधान कार्य में समय की मांग अनुसार विकास व समृद्ध करे। साथ ही उन्होंने वैज्ञानिकों से प्रति विभाग विषयानुसार दो मोबाईल ऐप्स विकसित करने को भी कहा जिससे समाज के हर तबके जैसे कि उत्पादक, विपणनकर्ता एवं उपभोक्ताओं को डिजिटल सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सके। डॉ. राठौड़ ने अनुसंधान मे नवाचार की स्पीड बढ़ाने पर बल दिया ।
डाॅ. एस. एस. चहल, पूर्व कुलपति, मप्रकृप्रौविवि ने वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को अपने उत्कृष्ट क्षेत्रों को चिन्हित कर उस अनुरूप अपनी कार्य योजना बनानी चाहिए। उन्होंने सुदृढ़, सशक्त व परिवर्तनशील बीज नीति की रचना को प्राथमिकता दी और कहा कि कृषकों में विश्वविद्यालय द्वारा उपजित बीज के प्रति अधिक विश्वास होता है। अतः अधिकतम फसलों व उनकी प्रचलित किस्मों के बीजों का उत्पादन विश्वविद्यालय को सम्मिलित रूप से करना चाहिए।
बैठक में विशेष आमंत्रित कृषि विश्वविद्यालय, धारवाड़ के कुलपति डाॅ. एम. बी. चेट्टी ने कहा कि विश्वविद्यालय को अपनी अनुसंधान नीति में नये अनुसंधान एवं गुणवत्ता शोधपत्र पर जोर देना चाहिए जो कि समाज व अनुसंधान क्षेत्र में एक संस्थान द्वारा दिया गया सर्वश्रेष्ठ योगदान होता है साथ ही पुराने अच्छे शोधपत्र लेखन करने वाले वैज्ञानिकों को पुरुस्कृत करने का प्रावधान भी रखना चाहिए।
बैठक के प्रारम्भ में अनुसंधान निदेशक डाॅ. शान्ति कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं 21 अक्टूबर, 2019 की विगत बैठक में लिये गये निर्णयों की अनुपालना रिपोर्ट एवं विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कृषि अनुसंधान केन्द्र, उदयपुर के क्षैत्रीय निदेशक डाॅ. रेखा व्यास, कृषि अनुसंधान केन्द्र, बाँसवाड़ा से आचार्य, डाॅ. डी. पी. सैनी ने अपने क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान कार्यांे एवं परिणामों पर प्रस्तुतिकरण दिया।
अनुसंधान निदेशक डाॅ. शान्ति कुमार शर्मा ने गत वर्ष लिए गए निर्णयों पर कार्यवाही प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किस्मों के प्रचार के लिए ‘‘वेराइटल प्रमोशन सेल’’, विश्वविद्यालय में उत्पादित विभिन्न उत्पादों के विक्रय के लिए ‘‘बिजनेस इनक्यूबेशन यूनिट’’ विश्वविद्यालय में विभिन्न अनुसंधानों एवं इकाईयों की ‘‘चेयर’’ स्थापित करने के प्रयास एवं बहुआयामी अनुसंधान के प्रोत्साहन हेतु ‘‘उत्कृष्ट अनुसंधान पुरस्कार’’ एवं ‘‘ उत्कृष्ट नवाचार पुरस्कार’’ की घोषणा करने का निर्णय लिया गया।
इस वर्ष बैठक में ‘‘विश्वविद्यालय बीज नीति निर्माण’’, विश्वविद्यालय के सभी अनुसंधान केन्द्रों महाविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों पर एक हैक्टेयर फार्म को पूर्ण जैविक फार्म के रूप में विकसित करने, नान-प्लान अनुसंधान के लिए वित्तीय प्रावधान, अनुसंधान मे श्रम प्रबंधन तथा सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान पत्रो के लिए प्रोत्साहन राशि जैसे बिन्दुओं पर निर्णय लिया गया।
बैठक में विश्वविद्यालय के सभी निदेशक, सभी संघटक महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, क्षैत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्रों के निदेशक व कृषि विज्ञान केन्द्र, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक व राजस्थान सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अन्त में क्षैत्रीय निदेशक अनुसंधान डाॅ. रेखा व्यास ने धन्यवाद प्रेषित किया।