Editor-Manish Mathur
जयपुर 22 मार्च 2021 – हमारे देश की अर्थव्यवस्था कोविड -19 महामारी से लगे झटके से उबरने की लगातार कोशिश कर रही है और दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से कहीं अधिक लचीलेपन और अनुकूलन के स्तर को प्रदर्शित कर रही है। उद्यमों ने नए बाजारों को बनाने और पुराने लोगों को समेकित करने के लिए अधिक लचीलेपन का सहारा लिया है, ताकि उन्हें अधिक कुशल बनाया जा सके। साथ ही, विभिन्न उद्यम एक ही समय में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहे हैं। महामारी से निपटने के लिए हमारे देश ने जो आवश्यक कदम उठाए, वे अब दुनिया के सामने एक मिसाल कायम कर चुके हैं और लोग इसे एक केस स्टडी के तौर पर ले रहे हैं कि एक राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य संकट – चाहे वह राजनीतिक, भू-राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक हो, उसे कैसे हैंडल किया जा सकता है। इन्हीं कारणों से आज दुनियाभर में हमारे देश को निवेश के लिहाज से एक मजबूत और संभावनाओं से भरपूर देश माना जाने लगा है।
इसी पृष्ठभूमि में यूटीआई म्यूचुअल फंड ने महामारी के बाद की दुनिया में निवेश के लिए एक आकर्षक विकल्प के रूप में भारत को सुर्खियों में लाने के लिए एक वर्चुअल समिट का आयोजन किया, जिसकी थीम रखी गई – ‘द कोलॉक्विम – इन्वेस्टिंग इन द पोस्ट पेन्डेमिक वल्र्ड’।
इस सम्मेलन के लिए प्रमुख वक्ता थे श्री एम. दामोदरन, चेयरपर्सन, एक्सीलैंस इनेबलर्स प्राइवेट लिमिटेड, पूर्व चेयरमैन, सेबी, यूटीआई, आईडीबीआई। इनके अलावा, पैनल डिस्कशन में उद्योग की दिग्गज हस्तियों ने सहभागिता की। इनमें श्री महेश व्यास, अर्थशास्त्री, श्री मार्क फेबर, संपादक और प्रकाशक, द ग्लूम, बूम एंड डूम, श्री मार्क मोबियस, फाउंडर, मोबियस कैपिटल जैसे विशेषज्ञ शामिल थे।
दिग्गजों ने महामारी के बाद के हालात में निवेश रणनीति पर अपने विचार साझा किए।
यूटीआई म्यूचुअल फंड के सीईओ श्री इम्तियाजुर रहमान ने कहा-
‘‘कोविड -19 के बाद भारत के दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। एसेट मैनेजमेंट ने भी स्थिर तरीके से देश और पूंजी बाजार की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महामारी के बाद शेयर बाजार ने नई ऊंचाइयां हासिल की हैं और म्यूचुअल फंड उद्योग ने इक्विटी और एसआईपी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी, साथ ही फिक्स्ड इनकम स्कीमों पर मजबूत प्रभाव के साथ, म्यूचुअल फंड उद्योग ने फरवरी-2016 से फरवरी-2021 के बीच 156 प्रतिशत की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की है। कोविड -19 के जवाब में उद्योग ने निवेशकों के लिए हर समय उत्पादों और सेवाओं तक पहुंचने के लिए नए प्रयोग किए और नवाचार की इस रफ्तार को और तेज किया। निश्चित तौर पर इससे निवेशकों को आसानी हुई और उनका रुझान बढ़ा।’’
श्री एम. दामोदरन, चेयरपर्सन, एक्सीलैंस इनेबलर्स प्राइवेट लिमिटेड, पूर्व चेयरमैन, सेबी, यूटीआई, आईडीबीआई ने कहा-
‘‘महामारी के बाद की दुनिया में निवेश करने से संबंधित मूल बातें आज भी ज्यों की त्यों हैं। निवेशक अभी भी लिक्विडिटी, रिटर्न और सुरक्षा को देखते हैं लेकिन कोविड ने निवेशकों के व्यवहार को अलग अंदाज में प्रेरित किया है जो निवेश दर्शन को प्रभावित करेगा। पुराने तौर-तरीके अब बाहर हो गए हैं, क्योंकि युवा पीढ़ी इस दिशा में सुरक्षित खेलना पसंद करती है। आज लोग निवेश सलाहकार से चर्चा करना पसंद करते हैं, क्योंकि वे सोच-समझकर बेहतर निर्णय लेना पसंद करते हैं। सलाहकार भी निवेशक की आकांक्षाओं और उनके अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य के आधार पर निवेश विकल्प सुझाते हैं और फिर होल्डिंग को कस्टमाइज करते हैं, जो कि महामारी के बाद की दुनिया में निवेश में प्रभाव डालने वाला है।’’
श्री महेश व्यास, अर्थशास्त्री ने कहा-
‘‘आर्थिक बहाली बहुत प्रभावशाली रही है, लेकिन अभी भी यह प्रक्रिया अधूरी ही है, क्योंकि अर्थव्यवस्था कोविड -19 से पहले की तुलना में अभी भी 10-15 प्रतिशत निचले स्तर पर है। लेकिन दिसंबर 2021 तक, अर्थव्यवस्था बड़ी कंपनियों के साथ फिर से अच्छा प्रदर्शन करेगी। हालांकि, पूर्व-कोविड आर्थिक दर पर वापस जाना मुश्किल लग रहा है। ”
डॉ वी अनंतनागेश्वरम, सदस्य, ईएसी-पीएम ने कहा-
‘‘इस सहस्राब्दी के पहले दो दशकों को विभाजित करते हुए देखें, तो पहला दशक विकसित और विकासशील देशों के बीच सकल घरेलू उत्पाद में रूपांतरण के बारे में था। दूसरा दशक जीडीपी के डाइवर्जन्स से संबंधित था, और यह स्थिति भारत के लिए अजीब भी नहीं थी।’’
श्री अनंत नारायण, प्रोफेसर इंटरनेशनल बैंकिंग और एसपीजेजेएमआर में फाइनेंशियल मार्केट्स एक्सपर्ट ने कहा-
आरबीआई बॉण्ड यील्ड और मौद्रिक नीति के नजरिए से हमें स्थिति को समझना होगा। जब बॉण्ड यील्ड की बात आती है, तो आरबीआई ने इस साल 30 लाख करोड़ के कर्ज के साथ केंद्र सरकार और पीएसयू के उधार को लेकर अच्छा काम किया है। दूसरी तरफ, हम मौद्रिक नीति में अनेक जवाबों की तलाश कर रहे हैं, जबकि ये सभी उत्तर देश की आर्थिक स्थिति में निहित हैं, जो अत्यधिक असमान रही है, जिसका असर आरबीआई पर नहीं पड़ता है।’’
श्री मार्क मोबियस, फाउंडर, मोबियस कैपिटल पार्टनर्स ने कहा-
‘‘बाजार में बेहतर माहौल नजर आ रहा है, क्योंकि हम एक अच्छी आर्थिक वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। बाजार आगे बढ़ चुका है और इसकी उम्मीद भी थी। पिछले साल की शुरुआत में यानी मार्च के महीने में बाजार में मंदड़िए हावी थे, इसलिए बहुत बड़ा करेक्शन नजर आया। यहीं से तेजड़िए बाजार पर हावी होने लगे और बाजार फिर तेजी से दौड़ने लगा। कमोडिटी कीमतों में भी बहुत अच्छा सुधार नजर आ रहा है और ये भी बहाली की तरफ हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए सुधारों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और मेरा मानना है कि इससे अधिक निवेश आकर्षित होगा। हम कह सकते हैं कि देश में, प्रौद्योगिकी और उपभोक्तावाद से संबंधित कुछ भी बहुत अच्छा परफाॅर्मेंस करेगा।’’
श्री मार्क फेबर, मैनेजिंग डायरेक्टर, मार्क फेबर लिमिटेड ने कहा-
‘‘एशिया में एक बहुत ही उज्ज्वल भविष्य नजर आ रहा है अगर यह फ्यूचर और इकोनाॅमिक डेवलपमेंट में अन्य देशों के हस्तक्षेप को रोक पाता है। अर्थव्यवस्था अब कुछ हद तक ठीक हो रही है लेकिन मुझे संदेह है कि कुछ अपवादों के साथ यह 2018-2019 में हासिल समृद्धि के स्तर पर वापस पहुंचने में कामयाब होगी।’’
श्री करण भगत, एमडी और सीईओ, आईआईएफएल वेल्थ एंड एसेट मैनेजमेंट ने कहा-
‘‘दुनिया भर की सरकारें कोविड-19 से तेज और मजबूत रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए आसान मौद्रिक नीति का पालन कर रही हैं, हम इस दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे या कम से कम अगले 20-24 महीनों के लिए ब्याज दर थोड़ी अधिक होगी। हमने वह स्थिति नहीं देखी है, जहां मुद्रास्फीति नियंत्रण से बाहर हो जाती है। मुझे लगता है कि हम एक ऐसी दौर में पहुंच जाएंगे, जहां हमें अधिक अस्थिरता दिखाई देगी, लेकिन लिक्विडिटी अनुकूल बनी रहेगी।’’
श्री अमनदीप सिंह चोपड़ा, ग्रुप पे्रसीडेंट एंड हैड, फिक्स्ड इनकम, यूटीआई म्यूचुअल फंड ने कहा,
‘‘ऋण बाजार समायोजन की अवधि में आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि ऋण बाजारों को केंद्रीय बैंक से कम नीतिगत समर्थन मिल रहा है। ऋण बाजारों का भविष्य फेडरल रिजर्व द्वारा लिए गए निर्णय से प्रभावित होगा और दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए यही रास्ता निर्धारित करेगा। मुझे लगता है कि 2020 में दरों के निचले स्तर पर होने और बाॅण्ड खरीद से रणनीतियों की समन्वित कार्रवाई देखी गई। भारत में, बाजार की अस्थिरता को कम रखने के लिए नीतियों, आश्वासन और मार्गदर्शन के संदर्भ में निरंतरता की एक उचित मात्रा रही है, जो कि अच्छा संकेत है।’’
श्री अमित बिवलकर, एमडी और सीईओ, सैपिएंट वेल्थ एडवाइजर्स एंड ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड ने कहा-
‘‘सरकार ने बजट में राजकोषीय घाटे को बनाए रखने के बजाय, इसे बजट मदों के रूप में पहचाना और इसके मुताबिक ही रणनीति बनाई है। जब ऐसा होता है, तो उच्च राजकोषीय घाटा भविष्य के खर्च के बजाय पिछले खर्च का प्रतिबिंब होता है। सालाना आधार पर खर्च के फ्लैट होने के कारण, विकास के लिए राजकोषीय असर विशेष रूप से राजस्व आवंटन के बजाय स्पष्ट व्यय की ओर झुकाव वाले बजट आवंटन के साथ मार्जिन पर है। देखा जाए तो इससे क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की चिंताएं कम हो रही हैं।’’
श्री वेट्री सुब्रमण्यम, ग्रुप प्रेसीडेंट एंड हैड – इक्विटी, यूटीआई म्यूचुअल फंड ने कहा-
वर्ष 2008-09 और इस वर्ष के संकट से संबंधित प्रतिक्रियाओं के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। अर्थव्यवस्था के लिए अमेरिकी वित्तीय सहायता जीडीपी का 24 प्रतिशत से 25 प्रतिशत है जबकि भारत में जीडीपी का पूर्वानुमान केवल 1 प्रतिशत या 2 प्रतिशत होगा। लेकिन निफ्टी 50 जैसे मुनाफे का पूर्वानुमान, यह लगभग 40 प्रतिशत अधिक होगा। हमारे यहां कॉरपोरेट साइड में अब तक की सबसे कम टैक्स दरें हैं, फिर भी हमें कम ब्याज दर मिली हैं, चाहे यह कॉरपोरेट्स या व्यक्तियों के लिए दरों की बात हो। और हाल के दिनों में सरकार ने आपूर्ति संबंधी सुधारों का एक सिलसिला शुरू किया है और इस तरह विकास के अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास किया गया है। 2012- 2013 की तुलना में इस बार हमारी वृहद आर्थिक स्थिरता बहुत बेहतर है। हमें सिर्फ बढ़ते लाभ पर फोकस नहीं करना चाहिए, बल्कि यह देखना होगा कि संपूर्ण रूप में अर्थव्यवस्था कितनी अच्छी तरह से परफाॅर्म कर रही है।
निलेश शाह, फाउंडर और सीईओ, एनविजन कैपिटल, ने कहा-
पिछला एक वर्ष सबसे दिलचस्प दौर में से एक रहा है और लिक्विडिटी के लिहाज से देखें, तो रिकवरी शानदार रही है, केंद्रीय बैंक ने अनरीजनेबली सिंक्रनाइज तरीके से काम किया, मूल रूप से बाजारों को जीवन रेखा प्रदान की। स्पष्ट रूप से प्राथमिकता पहले बाजारों को और फिर अर्थव्यवस्था को दी है। कोविड ने सरकार को श्रम सुधारों, कृषि सुधारों और केंद्रीय बजट और राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों के निजीकरण जैसे कुछ कठिन सुधारों के लिए प्रोत्साहित किया है। व्यवसाय से मानवीय संवेदनाएं गायब थीं और इन्हें निजी उद्यमियों और कंपनियों के साथ शामिल करने के बाद भारत में निवेश चक्र पुनर्जीवित होगा और अधिक गति से आगे बढ़ सकेगा। एक अन्य बड़ा परिवर्तन निवेशकों और व्यवसायों की जोखिम लेने की क्षमता है और इस प्रक्रिया में बिजनेस लाॅ और अधिक पूंजी कुशल बन रहा है, जो न केवल विकास को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है, बल्कि व्यवसायों को अधिक पूंजी कुशल भी बनाता है।
श्री भरत शाह, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एएसके ग्रुप ने कहा-
देश, सरकार, व्यवसायों, उद्यमों और लोगों ने इस आकस्मिक चुनौती का शानदार तरीके से सामना किया है। कुछ अर्थों में हमें बहुत से महत्वपूर्ण परिवर्तनों के लिए आभारी होना चाहिए, जो सरकार और व्यवसायों में नजर आने लगे हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर, निजीकरण, वैल्यू आॅफ द वैल्थ जैसे मुद्दांे पर केंद्रीय बजट के लिए सरकार का एजेंडा बहुत स्पष्ट था। साफ भविष्यवाणी की जा सकती है कि अगले 15 – 20 वर्षों में सबसे अच्छी कहानियां रची जाएंगी। ये कहानियां न केवल अर्थव्यवस्था के विकास की दर के संदर्भ में होंगी, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात, स्थिरता, पूर्वानुमान और विकास की गुणवत्ता जैसे तत्वों के संदर्भ में होगी। इन्हें एक साथ रखने से अर्थव्यवस्था की वृद्धि स्पष्ट झलकेगी, साथ ही क्वालिटी बिजनेस के प्रदर्शन मंे भी फर्क नजर आएगा। बदले में कारोबारों के नकदी प्रवाह और मुनाफे, उनके शेयर की कीमत और बाजार के सेंसेक्स में भी परिवर्तन नजर आएगा। इसलिए हम सही मायने में एक ऐसे समय में हैं, जहां हम अपने से कुछ दशक आगे के स्वर्णिम दशकों की कल्पना कर रहे हैं।