Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 04 मार्च 2021 – सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, भूगोल विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जामिइ) ने 02-03 मार्च, 2021 के दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली और क्षेत्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (उत्तर), नई दिल्ली के सहयोग से “चैलेंजेज ऑफ़ डिजास्टर्स: वल्नरेबिलिटी, एडप्टेशन एंड रेसिलिएंस” पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ऑनलाइन) का आयोजन किया।
प्रो. एम. इश्तियाक, कार्यवाहक कुलपति, जामिइ ने 2 मार्च को सम्मेलन का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली आपदाओं से होने वाली तबाही पर ध्यान केंद्रित किया और आपदा जोखिम प्रबंधन, सरकार एवं नागरिकों के बीच सहयोग और आर्थिक नीति के माध्यम से आपदाओं के घटाव और अनुकूलन पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रो. तरुणा बंसल ने उद्घाटन सत्र का संचालन किया और प्रो.एम.ए. सिद्दीकी, समन्वयक, आपदा प्रबंधन केंद्र द्वारा स्वागत भाषण दिया गया, जिन्होंने आपदा प्रबंधन केंद्र के कामकाज, उपलब्धियों, प्लेसमेंट और छात्रों के इंटर्नशिप के बारे में जानकारी दी।
आयोजन सचिव प्रो. हारून सज्जाद ने सम्मेलन की थीम का परिचय दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ईरान, बांग्लादेश, श्रीलंका आदि देशों और पूरे भारत से कुल 167 शोध-सार प्राप्त हुए।
विशिष्ट अतिथि, मेजर जनरल एम.के. बिंदल, कार्यकारी निदेशक, एनआईडीएम ने आपदाओं से उत्पन्न वल्नरेबिलिटी पर एक ज्ञानवर्धक संबोधन दिया और स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन पर ध्यान देने के लिए SENDAI फ्रेमवर्क और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 10 सूत्रीय एजेंडे का उल्लेख किया।
प्रो. आभा लक्ष्मी सिंह, एएमयू, अतिरिक्त विशिष्ट अतिथि ने पहाड़ों से जुड़ी आपदाओं पर बात रखी, जिसे उन्होंने “कॉल ऑफ़ द माउंटेंस” कहा। उन्होंने उत्तराखंड में 2013 की हिमालयी सुनामी और फरवरी, 2021 में आई तबाही और आपदाओं के बारे में बात की और कहा कि आपदाएं चेन रिएक्शन इवेंट हैं।
प्रो. डेविड अलेक्जेंडर, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, यूके से मुख्य अतिथि थे जिन्होंने “डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड द इंपैक्ट ऑफ कोविड-19” पर मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कोविड-19 द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और खतरों पर चर्चा की और इसे सभी कैस्केडिंग घटनाओं/आपदाओं की “माँ” कहा। कोविड-19 से संबद्ध विभिन्न उप-विषयों पर बीमारी के संचरण से लेकर टीकाकरण की रणनीतियों तक पर चर्चा की गई।
प्रो. मेरी ताहिर, संयोजक ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और सम्मेलन की सफलता के लिए सभी के बहुमूल्य समय और प्रयासों के सराहना की। आयोजकों ने वर्चुअल रूप से उपस्थित प्रो. नजमा अख्तर, कुलपति, जामिइ को इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन का अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में तकनीकी सत्रों में से एक के रूप में विशेष व्याख्यान आयोजित किए गए। सम्मेलन के आयोजन सचिव प्रो हारून सज्जाद द्वारा सत्र की कार्यवाही का संचालन किया गया।
सत्र की अध्यक्षता डॉ. एस.डी. अत्री, अतिरिक्त महानिदेशक, आईएमडी ने की| प्रो. सूर्य प्रकाश, एनआईडीएम ने “कम्युनिटी बेस्ड डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एंड रेसिलिएंस” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि आपदाओं के प्रबंधन में समुदाय कैसे सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
दूसरा व्याख्यान डॉ. नज़रुल इस्लाम, जहाँगीर विश्वविद्यालय, ढाका, बांग्लादेश द्वारा “मॉडलिंग ऑन टॉक्सिक एल्गे ब्लूम मैकेनिज्म इन एक्वेटिक इकोसिस्टम एंड साइलेंट डिजास्टर्स ऑफ़ वाटर क्राइसिस इन एशियन कन्ट्रीज” पर दिया गया।
डॉ. अलेक्जेंडर फोल्मन, कोलोन विश्वविद्यालय, जर्मनी ने “चैलेंजेज एंड रिस्क्स ऑफ़ अर्बन रिवर फ्रंट्स–द केस ऑफ़ यमुना इन दिल्ली” पर व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवजनित गतिविधियों के कारण विशेष रूप से यमुना बाढ़ का सामना करना पड़ा।
आयोजन सचिव प्रो. हारून सज्जाद ने अध्यक्ष और वक्ताओं का हार्दिक धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हुए सत्र का समापन किया।
अहमद अज़ीम
पीआरओ-मीडिया समन्वयक