Editor-Manish Mathur
जयपुर 10 मार्च 2021 – नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) और नोकिया फोन्स बनाने वाली कंपनी एचएमडी ग्लोबल ने भारत में सुविधाओं से वंचित बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए साझेदारी की है। इस पहल के एक हिस्से के रूप में 1740 से ज़्यादा 1.65 करोड़ रुपयों से ज़्यादा कीमत के नए नोकिया स्मार्टफोन्स ग्रामीण इलाकों और शहरी झुग्गियों के बच्चों, बाल शोषण से बचे बच्चों के साथ-साथ जयपुर में बंजारा समुदाय के पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों को बांटे जाएंगे।
केएससीएफ के दो सबसे प्रमुख सामाजिक कार्यक्रम के लाभार्थी बच्चों को यह फोन्स दान किए गए:
- बाल मित्र ग्राम (बीएमजी)
- बाल मित्र मंडल (बीएमएम)
साथ ही यह फोन्स बाल आश्रम में रहने वाले बच्चों में भी बांटे जाएंगे। बाल आश्रम जयपुर के पास एक शेल्टर होम है जहां बाल शोषण से बचाए गए बच्चों को पुनर्वासित किया जाता है। केएससीएफ का सहयोगी संगठन बाल आश्रम ट्रस्ट इसे चलाता है। बाल आश्रम के पास रहने वाले बंजारा समुदाय के पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों को भी फोन्स दिए जाएंगे। इस समुदाय के बच्चें फ़िलहाल ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे 11 बंजारा एज्युकेशनल सेंटर्स में निरौपचारिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
इन सभी कार्यक्रमों में दिए जा रहे डोनेशन से दिल्ली, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और झारखंड के गरीब परिवारों के 6000 से ज़्यादा बच्चें लाभान्वित होंगे, जिनकी शिक्षा में महामारी के कारण विद्यालय बंद होने से बाधा आ गयी थी।
कोविड-19 और आर्थिक व्यवधानों के कारण ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवारों पर लॉकडाउन का प्रभाव, खास कर बच्चों की दृष्टी से: केएससीएफ द्वारा किया गया अध्ययन
लॉकडाउन के दौरान केएससीएफ ने एक अध्ययन किया जिसका विषय था – ‘कोविड-19 और आर्थिक व्यवधानों के कारण ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवारों पर लॉकडाउन का प्रभाव, खास कर बच्चों की दृष्टी से‘ इस अध्ययन में देश भर में बच्चों के विषयों में काम कर रहे 53 स्वयंसेवी संस्थानों के साथ एक प्राथमिक सर्वेक्षण किया गया और असम, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इन पांच राज्यों के ग्रामीण इलाकों में परिवारों का सर्वेक्षण किया गया।
सर्वेक्षण में शामिल सभी स्वयंसेवी संस्थाओं में से 85% और संबंधित विषयों (शिक्षा, गरीबी और रोज़गार) पर काम कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं में से 89% का मानना है कि लॉकडाउन के बाद शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ने की आशंका है। परिवारों के सर्वेक्षण में सहभागियों में से 6% ने बताया कि उनकी गरीबी के कारण उन्हें बच्चों को विद्यालय से निकालने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। इस सर्वेक्षण में 14% ने बताया कि वे ‘निश्चित नहीं थे‘ कि वे क्या करते हैं। इसलिए संभवतः 20% परिवारों के बच्चों को शिक्षा अधूरी छोड़ने का ख़तरा है।
इस पहल के बारे में केएससीएफ के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर श्री एस सी सिन्हा ने बताया, “लॉकडाउन के कारण विद्यालय बंद होने से गरीब परिवारों के बच्चों की शिक्षा पर सबसे अधिक विपरीत प्रभाव पड़ा है। स्मार्टफोन्स न होने की वजह से यह बच्चें ऑनलाइन शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं, उनकी शिक्षा पूरी तरह से रुक गयी है। इन बच्चों के पास करने के लिए कुछ भी साधन नहीं है, वे भटक सकते हैं, उनमें से कई बाल मजदुर बन सकते हैं और कुछ बच्चें तस्करी का शिकार भी हो सकते हैं। इस तरह, विद्यालय शुरू होने पर भी कई बच्चें अपनी शिक्षा वापिस शुरू नहीं कर पाएंगे। इन बच्चों के पास स्मार्टफोन आने पर वे ऑनलाइन शिक्षा पा सकेंगे और अपने विद्यालय से फिर एक बार जुड़ पाएंगे। यह फोन्स उनके लिए सशक्तिकरण का स्रोत बन सकते हैं। एक बार बच्चों को शिक्षा के लिए स्मार्टफोन्स का उपयोग किस तरह से करना है यह बात समझ में आ जाती है फिर वे विद्यालयों के खुलने के बाद भी और ज़्यादा, अतिरिक्त पढ़ाई के लिए भी स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल कर सकेंगे।”
एचएमडी ग्लोबल के वाईस प्रेसिडेंट श्री. सन्मीत कोचर ने बताया, “सकारात्मक सामाजिक प्रभाव लाने के लिए युवा पीढ़ी को शिक्षा और कौशल विकास के अवसर मुहैया करने पर भारत में हमारे सीएसआर प्रयासों का मुख्य ज़ोर होता है। समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने के संयुक्त राष्ट्रों के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल 4 (एसडीजी 4) से हमारे शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास प्रेरित हैं। हम मानते हैं कि कभी भी, कही पर भी शैक्षिक कंटेंट असीमित मात्रा में उपलब्ध कराते हुए स्मार्टफोन प्रौद्योगिकी एसडीजी 4 में योगदान देती है।
हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री. नरेंद्र मोदी जी ने हाल ही में कहा था कि ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के निर्माण के लिए भारतीय युवाओं को आत्मविश्वास की आवश्यकता है, जो उनकी शिक्षा और उनके कौशल से सीधे प्रभावित होता है। हम मानते हैं कि भारतीय युवाओं को स्वयं को शिक्षित करने के अवसर मिलते रहने चाहिए। इसे संभव बनाने के लिए प्रौद्योगिकी सबसे बड़ा फैसिलिटेटर है।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के साथ सहयोग के जरिए हम देश में सुविधाओं से वंचित बच्चों और युवाओं को असीमित, अखंडित शिक्षा पाकर अपने आत्मविश्वास को प्रबल बनाने में मदद करना चाहते हैं।”
बाल मित्र ग्राम (बीएमजी) और बाल मित्र मंडल (बीएमएम) के बारे में
बाल मित्र ग्राम जमीनी-स्तर पर परिवर्तन का समाधान है जो ग्रामीण इलाकों में बच्चों की सुरक्षा और खुशहाली को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाली जटिल और आपस में जुड़ी समस्याओं और मुद्दों को सुलझाने के लिए बनाया गया है। इस पहल में बाल केंद्रित समुदाय विकास के जरिए बच्चों के सर्वोत्तम हितों को बढ़ावा दिया जाता है। बाल पंचायत बनाकर अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए लोकतांत्रिक कदम उठाने के लिए यह बच्चों को सक्षम बनाता है और अभिभावकों और अन्य हितधारकों को बच्चों के अधिकारों के समर्थन के लिए खड़े होने और हिफ़ाज़ती समुदाय बनाने के लिए बढ़ावा देता है। यह स्कूलों में सभी बच्चों के नामांकन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करता है। इस तरह से एक बाल मित्र ग्राम बच्चों को सभी प्रकार के दुर्व्यवहार और शोषण से बचाने के लिए एक सुरक्षा जाल बनाता है।
बाल मित्र मंडल कार्यक्रम शहरी स्लम समुदायों में बाल मित्र ग्राम के सिद्धांतों के आधार पर काम करता है।
बाल आश्रम ट्रस्ट के बारे में
बाल श्रम, तस्करी और अन्य प्रकार के शोषण से बचाए गए बच्चों को बाल आश्रम पुनर्वास सुविधाएं प्रदान करता है। इनमें से कई बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कराया गया है और वे वहां औपचारिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बाल आश्रम ट्रस्ट राजस्थान के अलवर और जयपुर जिले में 11 बंजारा शैक्षिक केंद्र भी चलाता है, जहां 400 से अधिक बच्चे निरौपचारिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वहां उन्हें ताज़ा पका हुआ पौष्टिक मध्याह्न भोजन भी दिया जाता है। ये बच्चे घुमंतू बंजारा समुदाय के हैं और अपने समुदाय की पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी हैं। बंजारा शिक्षा केंद्र बंजारा समुदायों के बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जुड़ने के लिए तैयार करते हैं।
बीएमजी, बीएमएम और बाल आश्रम में शिक्षा के लिए नोकिया स्मार्टफोन्स
जहां पर बीएमजी और बीएमएम प्रोग्राम्स चलाए जा रहे हैं ऐसे गावों में बाल पंचायत के सदस्यों को और शहरी झुग्गियों में केएससीएफ द्वारा नोकिया स्मार्टफोन्स बांटे जाएंगे। बांटने से पहले इन स्मार्टफोन्स में सभी प्रासंगिक शैक्षिक ऐप्स लोड जाएंगे। फोन्स केवल माता-पिता की सहमति से ही बच्चों को दिए जाएंगे और बाल पंचायत सदस्य यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके समुदाय के सभी बच्चें इन फोन्स से शैक्षिक लाभ प्राप्त करें।
केएससीएफ बच्चों को ऑनलाइन शैक्षणिक सामग्री का सुरक्षित रूप से और जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग भी देगी।
इसके आलावा, बाल आश्रम पुनर्वास केंद्र में रहने वाले बच्चों और बंजारा शिक्षा केंद्रों में अध्ययन के बाद औपचारिक शिक्षा के लिए आगे बढ़ चुके बच्चों को भी केएससीएफ नोकिया स्मार्टफोन्स देगा।