Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 22 मार्च 2021 : इंटिग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोजेक्ट (IWMP); जो महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) का पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप है, को वर्ष 2015 में हट्टा हटा-दामोह शुरू हुआ। इस प्रोजेक्ट के चलते क्षेत्र में हर वर्ष 10 मिलियन लीटर से अधिक धरातलीय जल की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। वाटरशेड मैनेजमेंट में अनुकरणीय एवं पुरस्कृत, आईडब्ल्यूएमपी की परिकल्पना वंचित एवं उपेक्षित कृषक समुदाय के उत्थान और जल संकट की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से की गयी थी।
आईडब्ल्यूएमपी प्रोग्राम ‘रिज टू वैली’ वाटरशेड ट्रीटमेंट मॉडल का अनुसरण करता है जो गाँव के भूगोल की गहन जांच पर आधारित है। स्थलाकृति, मौजूदा जलसंधि संरचना, वर्षा जल निकासी मार्ग, मौजूदा भंडारण टैंक और सिंचाई चैनल जैसे कारकों के बारे में स्थितिगत विश्लेषण विचार किया जाता है। प्रत्येक गाँव को मिश्रित वाटरशेड संरचनाओं का लाभ मिलता है जो अंतिम समग्र उत्पादन को प्राप्त करने में सहायता करती हैं। इसके अतिरिक्त, यह परियोजना, बीज प्रतिस्थापन, गरीब एवं उपेक्षित किसानों को पद्धति एवं क्षमता विकास के जरिए कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है।
कार्यक्रम के तहत, अधिक एसएचजी (स्व-सहायता समूह) के योजनाबद्ध निर्माण ने कई परिवारों विशेष रूप से महिला सदस्यों को, ऋण स्रोत उपलब्ध कराकर और सूक्ष्म उद्यमों को परवर्ती बाजार संपर्क प्रदान करके काफी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के चीफ ह्युमैन रिसॉर्स ऑफिसर, राजेश्वर त्रिपाठी ने पहल की सफलता पर टिप्पणी करते हुए कहा, “महिंद्रा को पिछले 5 वर्षों में आईडब्ल्यूएमपी के प्रयासों के इस तरह के सकारात्मक प्रभाव पर गर्व है। इससे क्षेत्र में सकारात्मक प्रगति हुई है और यह सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की सफल भागीदारी का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह प्रोग्राम एक स्थायी और अनुकरणीय मॉडल भी साबित हुआ है जिससे देश के राष्ट्रीय उद्देश्यों को हासिल करने में सहायता मिल सकती है।”
महिंद्रा ने इस प्रोग्राम के जरिए सिंचाई के कुशल तरीके लाये हैं और उन्हें बढ़ावा दिया है तथा एक टिकाऊ कृषि मॉडल के लिए एक संरचना का प्रदर्शन किया है। इससे प्रोग्राम के लाभार्थियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली बाढ़ सिंचाई की विधियों में 60% गिरावट आई और क्षेत्र का ग्राउंड वाटर लेवल काफी बढ़ा है। साथ ही कुल 65% कृषि भूमि को जल निकासी प्रणाली के जरिए मिट्टी की नमी को बनाये रखते हुए सुरक्षित किया गया जिससे बहते पानी का प्रवाह बना रह सके। इस प्रोग्राम के तहत 87 फार्म पॉन्ड्स तैयार किये गये हैं जिनसे रेन वाटर हार्वेस्टिंग में सहायता मिल रही है। इस जल का उपयोग सिंचाई के लिए किया जा रहा है और 6000 से अधिक किसानों को इसका लाभ मिला है और परिणामस्वरूप, फसल पैदावार के जरिए घरेलू आय में बेसलाइन के सापेक्ष 50 प्रतिशत से अधिक की औसत वृद्धि हुई है।
इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत किये गये अन्य महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- बीज प्रतिस्थापन
- फार्म पाउंड्स का निर्माण
- फार्म बाउंडिंग
- शौचालय निर्माण
- स्वास्थ्य शिविर
- पेय जल टैंक और एलईडी लाइट्स
महिंद्रा के विषय में
महिन्द्रा ग्रुप 19.4 बिलियन USD वाला कंपनियों का संघ है, जो नये-नये मोबिलिटी समाधानों के जरिए और ग्रामीण समृद्धि, शहरी रहन-सहन को बढ़ाते हुए, नये व्यवसायों को प्रोत्साहन देकर और समुदायों की सहायता के जरिए लोगों को राइज अर्थात़ उत्थान करने में सक्षम बनाता है। इसका उपयोगिता वाहन, सूचना प्रौद्योगिकी और वैकेशन ओनरशिप में अग्रणी स्थान है और यह वॉल्युम की दृष्टि से दुनिया की सबसे बड़ी ट्रैक्टर कंपनी है। कृषि-व्यवसाय, एयरोस्पेस, कल-पुर्जे, परामर्श सेवाओं, प्रतिरक्षा, ऊर्जा, औद्योगिक सेवाओं, लॉजिस्टिक्स, जमीन-जायदाद, खुदरा, इस्पात और दोपहिये उद्योगों में महिन्द्रा की महत्वपूर्ण मौजूदगी है। महिन्द्रा का मुख्यालय भारत में है और ये 100 से अधिक देशों में है और इसमें 2,56,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
www.mahindra.com / ट्विटर और फेसबुक: @MahindraRise पर महिंद्रा के बारे में अधिक जानें