Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 22 मार्च 2021 – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्रसंस्करण अभियांत्रिकी विभाग में 22 मार्च, 2021 से 31 मार्च, 2021 तक चलने वाले जिला स्तरीय प्रशिक्षको के “पीएम एफएमई – प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’’ प्रशिक्षण कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में माननीय कुलपति डॉ. एन. एस. राठौड,़ महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन उद्योगों में अनेक अवसर मोजूद हैं। उन्होने प्रतिभागियो को फलों तथा सब्जियों मे प्रसंस्करण के अवसरो व चुनौतियों के बारे मे अवगत कराया गया। साथ ही यह भी बताया गया कि खाद्य प्रसंस्करण के द्वारा इन का मूल्य संवर्धन कैसे किया जा सकता है। प्रतिभागियों में उद्यमिता कौशल को विकसित करने पर भी जोर दिया गया।
डॉ. एन. एस. राठौड़ ने बताया कि “पीएम एफएमई – प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’ केंन्द्र प्रायोजित योजना हैं जो सूक्ष्म उद्यमों के सामने आ रहीं चुनोतियों का समाधान करने और इन उद्यमो के उन्नयन में सहायता देने के लिए समूहों तथा सहकारिताओं की क्षमता का उपयोग करने के लिए तैयार की गई हैं। इस योजना में अगले पाच वर्षो में 10 हजार करोंड की परिकल्पना कि गई हैं । इस योजना द्वारा प्रसंस्करण उद्योगों के असंगठित खंड में मौजूदा उद्योगों तथा किसान उत्पादक संगठनों स्व सहायता समूहों को सहायता देना हैं।
उन्होने बताया कि शहरी बाजारों में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मांग में वृद्धि से पता चलता है कि इन के उपयोग करने एवं खाने के रूप में इनकी स्वीकार्यता में वृद्धि हो रही हैं । फलों तथा सब्जियों का प्रसंस्करण अभी भी पारंपरिक तरीकों से किया जा रहा है जिसमें अधिक श्रम लगता है तथा प्रसंस्करण नुकसान के कारण कम गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त होते हैं। रेडी-टू-यूज और रेडी-टू-कुक उत्पादों की जानकारी से उपभोक्ताओं के बीच इन की खपत बढ़ाने में मदद मिलेगी और इस तरह पोषण सुरक्षा होगी। इसलिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों को प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर जानकारी देने में सहायक सिध्द होगी। डॉ. राठौड़ ने खाद्य प्रौद्योगिकी में उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ- साथ शारीरिक प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के सुझाव दिये। डॉ. राठौड़ ने कृषि क्षेत्र में हुई अनेक नई तकनीकों की जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में फलों तथा सब्जियों के मूल्यवर्धन में कई प्रगति हुई हैं, जो इस क्षेत्र के लिए एक अच्छा अवसर लेकर आया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास मे ंतेजी आएगी, हालाँकि, इस क्षेत्र में विभिन्न अवसरों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि अत्याधुनिक तकनीकों के साथ मूल्यवर्धन के स्तर को बढ़ाया जा सके और घरेलू और निर्यात के लिए मूल्य वर्धित खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। इस हेतु कच्चे माल की आपूर्ति को व्यवस्थित करना एक चुनौती है। उन्होंने बताया कि भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने हाल के वर्षों में प्रसिद्धी प्राप्त की है। तत्काल भोजन, पैक्ड भोजन, रेडी-टू-ईट भोजन की मांग में काफी वृद्धि हुई है। यह भारतीय खाद्य उद्योग के विकास को इंगित करता है। खाद्य उद्योग को कई चरणों का पालन करना पड़ता है जैसे कि धुलाई, सुखाने, हटाने, हीटिंग, काटना, मिश्रण, भरने और पैकिंग, जो आमतौर पर स्वचालन द्वारा किये जाते हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (डवथ्च्प्) व्यवसाय में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियान और “पीएम एफएमई – प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’’के तहत, भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को सस्ता ऋण प्रदान करने के लिए कई प्रयास किये है।
प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. अजय कुमार शर्मा ने जिला स्तरीय प्रशिक्षको के “पीएम एफएमई – प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना’’ प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी दी । उन्होने जानकारी दी कि फलों तथा सब्जियों के मूल्यवर्धित उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। प्रसंस्कृत गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों की मांग निश्चित रूप से बढ़ेगी और यदि वे सुरक्षित, सुविधाजनक रूप में उपलब्ध हैं या उपयोग करने और खाने के लिए तैयार हैं तो प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी। उचित प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन प्रीमियम मूल्य प्राप्त करने में मदद कर सकता है ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एन. के. जैन, एवं डॉ. संजय कुमार जैन, ने सभी वक्ताओं व प्रतिभागियों का आभार ज्ञापित किय।