Editor-Manish Mathur
जयपुर 10 मार्च 2021 – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के अनुसंधान निदेशालय के तत्वाधान में पोल्ट्री हेचरी संचालन विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण का समापन किया गया। यह कार्यक्रम जैविक मुर्गी पालन पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित नीच एरिया ऑफ एक्सीलेंस के अंतर्गत आयोजित की गई । जिसमें उदयपुर जिले के 26 किसानों को प्रशिक्षित किया गया ।
कार्यक्रम का आयोजन अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर द्वारा किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. शांति कुमार शर्मा, निदेशक अनुसंधान डॉ. लोकेश गुप्ता विभागाध्यक्ष एवं परियोजना प्रभारी, डॉ. प्रफुल्ल चंद्र भटनागर, विषय वस्तु विशेषज्ञ, केवीके बड़गांव उपस्थित थे ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शांति कुमार शर्मा ने बताया कि वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं । जिसमें की जैविक खेती की संभावनाएं और बढ़ेगी भविष्य में लोगों को जैविक मुर्गी पालन की ओर रुख करना पड़ेगा क्योंकि मुर्गी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें ₹1 लगाने पर ₹4 तक आमदनी प्राप्त होती है। इसलिए जैविक मुर्गी पालन एक रोजगार का साधन है। पशु उत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लोकेश गुप्ता ने बताया कि जैविक मुर्गी पालन पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से परियोजना का संचालन बहुत ही अच्छे और प्रमाणिकता के साथ किया जा रहा है जो कि भविष्य में जैविक मुर्गी पालन का आधार तय करेगी इसके अतिरिक्त डॉ. गुप्ता ने सात दिवसीय प्रशिक्षण के कार्यक्रम की जानकारी दी। डॉ. प्रफुल्ल भटनागर ने बताया कि घर के पिछवाड़े में मुर्गी पालन करने से किसानों की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ बैलेंस डाइट से स्वास्थ्य में भी सुधार होगा घर के पिछवाड़े मुर्गी पालन करने से मुर्गी पालन पर अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ता है और आमदनी भी बढ़ जाती है कार्यक्रम का संचालन डॉ. निर्मल ने किया तथा धन्यवाद डॉ. मुकेश कुमार पंचाल ने किया।