Editor-Rashmi Sharma
जयपुर 23 मार्च 2021 – अखिल भारतीय जैविक खेती नेटवर्क परियोजना के तहत विश्व जल दिवस पर एक दिवसीय जागरूकता तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम जैविक खेती एवं जल सरंक्षण का आयोजन जैविक खेती इकाईए अनुसन्धान निदेशालयए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकीए उदयपुर में आज दिनाक 22 मार्चए 2021 को किया गया। उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ नरेन्द्र सिंह राठौडए कुलपतिए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकीए उदयपुर ने बताया की भारत की 130 करोड़ जनसंख्या में से लगभग 16.3 करोड़ लोगों को साफ पानी की उपलब्धता घर के आस पास नहीं है। भारत मेें कुल पानी की खपत का 87 प्रतिशत पानी कृषि क्षेत्र में तथा 13 प्रतिषत घरेलु एवं उद्योग क्षेत्र में उपयोग हो रहा है। साथ ही डाॅ. राठौड़ ने बताया की राजस्थान के कुल 33 जिलों में से 6 जिलों का जल बजट पाॅजिटिव है एवं 27 जिलों में पानी की मांग एवं आपूर्ति में मध्यम से ज्यादा अंतराल नेगेटिव है। किसानों से अपील करते हुए डाॅ. राठौड़ ने कहा की पानी की घरेलु बचत, जल संरक्षण, सिंचाई दक्षता बढ़ाकर एवं पानी का पुनर्चक्रण कर पानी की बढ़ती मांग की 50 प्रतिषत मांग को पूरा किया जा सकता है। जैविक खेती के सिद्धान्त मिट्टी के कटाव को रोकते हैं तथा कार्बन की मात्रा को बढ़ाते हैं, जिससे जल संरक्षर को बढ़ावा मिलता है।
डाॅ. एस. के. शर्मा, निदेशक अनुसंधान ने पानी की महत्ता के बारे में जागरूक करते हुए कहा कि जल संरक्षण को लेकर आज पूरा विश्व चिंतित है तथा इसके संरक्षण के भिन्न भिन्न उपाय खोजे जा रहे हैं। डाॅ. शर्मा ने बताया कि तरल जैविक खाद, एक्टिवेटेड कार्बन, हाइड्रोजेल आदी के उपयोग से पानी के अवषोषण करने की क्षमता बढ़ती है। मिट्टी में एक प्रतिषत कार्बन बढ़ाने से उपलब्ध जल क्षमता में कणिय दोमट मिट्टी में 1.13 प्रतिषत तथा चिकनी दोमट मिट्टी में 0.82 प्रतिषत की वृद्धि होती हे।
डाॅ. एस.एल. मून्दड़ा, निदेषक प्रसार षिक्षा ने बताया की किसान सिचाई हेतु धोरो से पानी पिलाने पर रोक लगाकर पानी की बचत कर सकते हैं। डाॅ. दिलीप सिंह, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय ने किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि किस तरह जमीनी स्तर पर जल सरंक्षण कर फसलों के लिए उपयुक्त बनाना चाहिए।क्योंकि देश में सबसे अधिक जल की खपत कृषि क्षेत्र में होती है तथा बारिश के पानी के भण्डारण को सुनिश्चित करने के लिए जलवायु परिशितियों और उप .समतल क्षेत्रो के लिए उपयुक्त बारिश का पानी सरंक्षित करना है ताकि आने वाली पीड़ियों के लिए पीने योग्य पानी को बचाया जा सके। डाॅ. रेखा व्यास, क्षेत्रिय निदेशक अनुसंधान ने किसानों को जल सरंक्षण और पीने के पानी की क्वालिटी के बारे में जागरूक किया।
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, अधिकारी, विद्यार्थियों सहित मदार गाँव के 40 किसानो ने भाग लिया इस कार्यक्रम में किसानो के लिए एक क्विज प्रतियोगिता रखी गयी जिसमें अग्रणी किसानों को प्रषस्ति पत्र प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया। जैविक खेती और जल संरक्षण पर दो स्टेण्डी का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. रोशन चौधरी , सहायक आचार्य एवं डाॅ. गजानन्द जाट ने धन्यवाद ज्ञापित किया।