ट्रांसयूनियन सिबिल की इनसाइट रिपोर्ट का खुलासा, भारत के रिटेल क्रेडिट कंज्यूमर बेस में महिला उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी 28 फीसदी

Editor-Rashmi Sharma

जयपुर 9 मार्च 2021 – ट्रांसयूनियन सिबिल की नवीनतम इनसाइट रिपोर्ट के अनुसार भारत के खुदरा ऋण बाजार में महिला उधारकर्ताओं की भागीदारी में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिसमें अब 47 मिलियन से अधिक सक्रिय महिला उधारकर्ता शामिल हैं। पिछले छह वर्षों में, सितंबर-2014 के 14 फीसदी की तुलना में सितंबर, 2020 में महिला उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी 28 फीसदी तक बढ़ी जो कि भारत के क्रेडिट बाजार में महिलाओं के बढ़ते समावेश का संकेत है। यह 21 फीसदी सीएजीआर का प्रतिनिधित्व करता है। समान अवधि के दौरान पुरुष उधारकर्ताओं में 16 फीसदी सीएजीआर वृद्धि हुई है। स्वीकृत ऋण राशि के संदर्भ में, महिला उधारकर्ताओं के पास खुदरा ऋणों का 15.1 लाख करोड़ रुपए हिस्सा है, जो पिछले छह वर्षों में 12 फीसदी सीएजीआर से बढ़ा है।

आर्थिक अवसरों में सुधार ने महिलाओं के वित्तीय समावेशन को उत्प्रेरित किया

रिपोर्ट के निष्कर्षों पर बोलते हुए, ट्रांसयूनियन सिबिल की चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर सुश्री हर्षला चंदोरकर ने कह, ‘श्रम बल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों में सुधार के लिए प्रगतिशील सरकार की पहल और नीतियों ने मिलकर भारत के खुदरा ऋण बाजार में महिला उधारकर्ताओं में विकास को प्रेरित किया है। घरेलू खरीददारों पर महिला उपभोक्ताओं के लिए कम स्टांप ड्यूटी, उधार देने के बेहतर नियमों-शर्तों, महिला उधारकर्ताओं के लिए ब्याज की कम दर जैसे कारकों ने इस वृद्धि को और अधिक उत्प्रेरित किया है। यह भी एक तथ्य है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का औसत सिबिल स्कोर कहीं अधिक है। यह इंगित करता हैं कि महिलाओं का क्रेडिट इतिहास बेहतर है और इसलिए डिफॉल्ट की कम संभावना है जो उन्हें बैंकों और क्रेडिट संस्थानों के लिए बेहतर ग्राहक बनाता है। आर्थिक अवसरों में सुधार और आसान पहुंच ने भारत में महिलाओं के वित्तीय समावेशन को उत्प्रेरित किया है।’

महिला उपभोक्ताओं द्वारा लिए गए क्रेडिट पर दी गई जानकारी से पता चलता है कि अक्टूबर-19 से सितंबर-20 तक की 12 महीने की अवधि में महिलाओं की ओर से करीब 4.5 करोड़ नए ऋण खाते खुलवाए गए हैं। जो कि पिछले छह सालों (अक्टूबर-13 से सितंबर-14 में दिए गए ऋण की तुलना में) में 17 फीसदी सीएजीआर की वृद्धि है। इसी अवधि के दौरान पुरुष उधारकर्ताओं द्वारा खोले गए नए ऋण खातों की संख्या में 16 फीसदी सीएजीआर की वृद्धि हुई है। 2020 की तीसरी तिमाही के अंत में, 4.7 करोड़ से अधिक सक्रिय महिला उधारकर्ता थीं (कम से कम 1 लाइव लोन और /या क्रेडिट कार्ड खाते के साथ) )। (संदर्भ टेबल 1.1)

 

1.1 – Shareof women borrowers in India’s retail credit market*
 

Year*

No. of women borrowers (in millions) Share of women borrowers (%)

 

2014 14.9 23%
2015 19.8 25%
2016 24.0 25%
2017 29.8 26%
2018 36.2 27%
2019 42.8 27%
2020 47.5 28%

*Based on a12-month period of data at the end ofCY Q3 of each year

 

महिलाओं की बड़ी प्राथमिकता में व्यक्तिगत ऋण और कंज्यूमर-ड्यूरेबल लोन

क्रेडिट डिमांड पर अंतर्दृष्टि से पता चलता है कि कैलेंडर वर्ष 2020 (जनवरी -20 से दिसंबर -20) में कर्ज लेने के लिए 2.9 करोड़ से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया था, जो पिछले छह वर्षों में महिला उधारकर्ताओं द्वारा ऋण की मांग में करीब 26 फीसदी सीएजीआर की वृद्धि का संकेत है। उत्पाद प्रकार के आधार पर महिला उधारकर्ताओं द्वारा व्यक्तिगत ऋण और उपभोक्ता-टिकाऊ ऋणों के लिए सबसे अधिक मांग है, कैलेंडर वर्ष 2020 में इन दो ऋण उत्पादों के लिए महिलाओं की पूछताछ 38 फीसदी थी। ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पहले के वर्षों (2014, 2015 और 2016) के आंकड़े बताते हैं कि होम लोन महिला उपभोक्ताओं की मांग में सबसे अधिक थे। (देखें, टेबल 1.2)

1.2 –Product-wise demand for credit by women borrowers in India

Enquiries for loan types by women consumers (%)

Loan Type 2014 2015 2016 2017 2018 2019 2020
Personal Loan 12% 14% 13% 14% 17% 23% 19%
Consumer Durable Loan 8% 10% 12% 17% 19% 19% 19%
Home Loan 19% 18% 16% 15% 13% 9% 11%
Credit Card 11% 11% 12% 13% 12% 13% 12%
Others 49% 47% 46% 42% 40% 35% 39%

*Based on 12 month period of data for CY(Jan-Dec) of each year  

हर्षला ने बताया, ‘महिलाओं की ओर से ऋण लेने के प्रकार में यह उल्लेखनीय बदलाव भारत के क्रेडिट बाजार में विकास को दर्शाता है जो अब सुरक्षित और असुरक्षित दोनों उत्पादों में कई प्रकार के क्रेडिट अवसरों के लिए त्वरित और आसान पहुंच प्रदान करता है। उधार देने की प्रक्रियाओं के लिए डेटा-चालित उधार और क्रेडिट सूचना समाधान सहायता ने उधार देने वाले संस्थानों को उपभोक्ता के क्रेडिट इतिहास और जोखिम क्षमता का आकलन करने में सक्षम बनाया है ताकि कर्ज दिए जाने को लेकर बेहतर निर्णय लिया जा सके। इस क्षमता ने ऋण वृद्धि में तेजी ला दी है, क्योंकि क्रेडिट संस्थान अब अपने पोर्टफोलियो जोखिम को नियंत्रित करते हुए अच्छे उपभोक्ताओं को खोजने और उन्हें फंड देने में सक्षम हैं।’

 

महिला उधारकर्ताओं के बीच बढ़ती ऋण चेतना – वित्तीय साक्षरता का सूचक

भारत के क्रेडिट बाजार में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि के साथ-साथ, 2018 और 2020 के बीच सेल्फ-माॅनिटरिंग’’ से जुड़ी जागरूकता और ऋण-चेतना के सुधार के साथ महिला उपभोक्ताओं में 71 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसी अवधि में, सेल्फ-माॅनिटरिंग करने वाले पुरुष उपभोक्ताओं की तुलना में यह विकास दर छह गुना से अधिक है।

ट्रांसयूनियन सिबिल में डीटीसी इंटरएक्टिव की वाइस प्रेसिडेंट व हेड सुजाता अहलावत कहती हैं, ‘हमारे देश में महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के स्तर में सुधार के साथ, उनकी क्रेडिट चेतना भी बढ़ी है। इस तथ्य से इसकी पुष्टि होती है कि हमने महिला उधारकर्ताओं की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है जो अपने स्वयं के सिबिल स्कोर और रिपोर्ट की निगरानी करती हैं। यह महिलाओं में बढ़ती जागरूकता और वित्तीय साक्षरता का एक आशाजनक संकेत है। यह बढ़ी हुई क्रेडिट चेतना इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि स्व-निगरानी उपभोक्ताओं में महिलाओं का हिस्सा अब 12 फीसदी है। यह 2018 के 10 फीसदी से अधिक है। राज्य स्तर के डेटा विश्लेषण से संकेत मिलता है कि स्व-निगरानी करने वाली महिला उपभोक्ताओं की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र से है (18 फीसदी) इसके बाद तमिलनाडु (11 फीसदी) और कर्नाटक (10 फीसदी) हैं। (देखंे, टेबल 1.3)

 

1.3 – Top 5 states for self-monitoring women credit consumers, as of 31 December 2020

 

State Self-monitoring women credit consumers (%) –
Maharashtra 18%
Tamil Nadu 11%
Karnataka 10%
Telangana 7%
Uttar Pradesh 7%
Delhi 7%

 

ऋण-चेतना, क्रेडिट अनुशासन को बढ़ावा देती है और आर्थिक अवसरों में सुधार करती है

कैलेंडर वर्ष 2020 की इनसाइट्स रिपोर्ट बताती है कि अपने सिबिल स्कोर और रिपोर्ट की जांच के तीन महीने के भीतर, 22 फीसदी सेल्फ-मॉनिटरिंग करने वाली महिला उपभोक्ताओं ने कम से कम एक लोन अकाउंट या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया। महिला उपभोक्ता पुरुषों की तुलना में बेहतर क्रेडिट इतिहास भी दिखाती हैं, एक भारतीय महिला उपभोक्ता का औसत सिबिल स्कोर 719 है जो कि एक औसत पुरुष उपभोक्ता के 709 की तुलना में अधिक है। इसके अलावा, ट्रांसयूनियन सिबिल के कंज्यूमर क्रेडिट ब्यूरो में 61 फीसदी महिला उपभोक्ता का सिबिल स्कोर 720 से अधिक है, जबकि केवल 56 फीसदी पुरुष उपभोक्ताओं का सिबिल स्कोर 720 से अधिक या उसके बराबर है।

सुजाता ने निष्कर्ष दिया, ‘क्रेडिट चेतना बढ़ने से सकारात्मक क्रेडिट व्यवहार होता है क्योंकि उपभोक्ता अपने क्रेडिट गतिविधि के प्रभाव को अपने सिबिल स्कोर और वित्त तक पहुंच के रूप में समझते हैं। कई क्रेडिट संस्थानों के साथ अब बेहतर नियम और शर्तें और उधारकर्ताओं के लिए ब्याज की कम दर की पेशकश, बेहतर सिबिल स्कोर वालों को दी जाती है। उपभोक्ताओं के लिए एक स्वस्थ क्रेडिट प्रोफाइल की निगरानी करना और उसे बनाए रखना फायदेमंद है। ट्रांसयूनियन सिबिल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक उपभोक्ता मजबूती से और सुरक्षित रूप से बाजार में अपना प्रतिनिधित्व करें ताकि वे आर्थिक अवसरों तक आसानी से पहुंच सकें।

सिबिल स्कोर के बारे में अधिक जानकारी के लिए विजिट करें-   www.cibil.com

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