विस्मा मे लेंटाना से फर्नीचर निर्माण कौशल पर कार्यशाला संचालित

Editor-Rashmi Sharma

जयपुर 07 मार्च 2021  – अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजना, गृह विज्ञान की प्रसार इकाई द्वारा राज्यपाल के चयनित गांव विस्मा, पंचायत समिति- गोगुंदा में 10 दिवसीय लेंटाना  निर्मित फर्नीचर निर्माण कौशल प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 3 मार्च 2021 से किया जा रहा है। प्रशिक्षण संयोजक डॉ विशाखा बंसल ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए 30 प्रतिभागियों का चयन किया गया है जिसमें युवा किसान, युवतियां, प्रौढ़ सभी वर्ग के प्रतिभागी भाग ले रहे है। यह  प्रशिक्षण अंतर जिला कौशल आदान-प्रदान का भी साक्षी बना है क्योंकि इस प्रशिक्षण के लिए झालावाड़ जिले के  कृषि विज्ञानं केंद्र के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ मधुसूदन  आचार्य ने 2 प्रशिक्षकों श्री मोहन एवं श्री रमेश को प्रशिक्षण के लिए महाराणा प्रताप कृषि एवम प्रोदौगिकी विवविद्यालय के लिये भिजवाया है।  यह कौशल कार्यशाला केंद्रीय  महिला कृषिरत संस्थान, भुवनेश्वर, द्वारा प्राप्त वित्तीय सहायता अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है।

आज, दिनांक 7 मार्च को डॉ एस के शर्मा ,निदेशक अनुसंधान, डॉ इंद्रजीत माथुर, चयनित गांव प्रभारी ,डॉ सुधा बाबेल, इकाई समन्वयक को विशाखा बंसल द्वारा प्रतिभागियों से ऑनलाइन जोड़कर सीधे संवाद स्थापित करवाया गया। संवाद में युवा प्रतिभागियों ने इस कौशल को भविष्य में भी अपना कर उद्यम स्थापित करने की इच्छा जताई जिसे डॉ एस. के. शर्मा ने सराहना करते हुए प्रतिभागियों को ऑनलाइन ही 10 स्टूल व 5 मुडिया बनाने का ऑर्डर प्रदान किया। ऑर्डर पाकर सभी प्रतिभागियों का उत्साह दुगुना हो गया। डॉ इंद्रजीत माथुर ने गांववासियों को ऑर्डर मिलने पर बधाई दी व इस कौशल को आगे बढ़ाने में हर संभव मदद प्रदान करने का आश्वासन दिया। डॉ सुधा बाबेल, अनुसंधान इकाई समन्वयक ने 8 मार्च के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की महत्वता को साझा करते हुए बधाई दी व इस कौशल को व्यवसाय का आकार देने का आव्हान किया। प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. विशाखा बंसल ने गांववासियों को कहा कि यदि वे लेंटाना से फर्नीचर का निर्माण करते हैं ,तो जंगलों में लेंटाना से होने वाले नुकसान से पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ आय सृजन का माध्यम बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि लेंटाना को  स्थानीय भाषा में वेव्ण, झिन झीनी, सत्यानाशी चिकोतरा कहा जाता है, यह पर्यावरण के साथ-साथ पशुओं को भी नुकसान पहुंचाता है। यदि इसके पत्ते  गाय व भैंस खाती है तो उनकी मृत्यु तक हो सकती है तथा इसके कांटे जंगली चीते व शेर को भी जख्मी कर देते हैं और उपजाऊ जमीन को बंजर कर देता है। ऐसे लेंटाना से फर्नीचर निर्माण पर्यावरण को सुरक्षित रखने और आय सृजन में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। प्रशिक्षण का समापन 12 मार्च को किया जाएगा।

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