भारत, 30 जून, 2021 – ट्रांसयूनियन (एनवाईएसईः टीआरयू) के नए शोध में पाया गया है कि जहां उपभोक्ताओं में बैंकिंग और अन्य वित्तीय लेनदेन के लिए ऑनलाइन रुझान बढ़ रहा है, वहीं वित्तीय सेवा उद्योग भी तेजी से डिजिटल फ्राड के शिकार हो रहे हैं। 2020 के अंतिम चार महीनों (1 सितंबर – 31 दिसंबर) और 2021 के पहले चार महीनों (1 जनवरी – 1 मई) की तुलना करने पर, कंपनी ने पाया कि वित्तीय सेवा व्यवसायों के खिलाफ भारत में होने वाले संदिग्ध डिजिटल धोखाधड़ी के प्रयासों में 89 फीसदी की वृद्धि हुई। वैश्विक स्तर पर, वित्तीय सेवा धोखाधड़ी के प्रयासों में 149 फीसदी की वृद्धि हुई। 2020 के आखिरी चार महीनों के साथ 2021 के पहले चार महीनों की तुलना करने पर पता चलता है कि उद्योगों में वैश्विक स्तर पर संदिग्ध डिजिटल धोखाधड़ी के प्रयासों की दर 24 फीसदी बढ़ी। इसी अवधि के दौरान व्यवसायों के खिलाफ भारत से होने वाले धोखाधड़ी के प्रयासों का कुल प्रतिशत 25 फीसदी बढ़ गया।
ट्रांसयूनियन ने अरबों लेन-देन और 40,000 से अधिक वैश्विक वेबसाइटों और ऐप्स में पहचान प्रूफिंग, जोखिम-आधारित प्रमाणीकरण और धोखाधड़ी विश्लेषण समाधान सूट – ज्तंदेन्दपवद ज्तनटंसपकंजमन्न्ण् से मिले डेटा व खुफिया जानकारी के आधार पर व्यवसायों के खिलाफ डिजिटल फ्राड पर अपने निष्कर्ष पेश किए हैं। इन वेबसाइट और ऐप पर भारत सहित दुनिया भर के देशों का डेटा शामिल है।
ट्रांसयूनियन में एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और भारत में फ्रॉड सॉल्यूशंस के हेड श्री शालीन श्रीवास्तव ने कहा, ‘डिजिटल धोखाधड़ी के प्रयासों की दर वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है, विशेष रूप से वित्तीय सेवा उद्योग में इसकी मार अधिक है क्योंकि धोखेबाज समझते हैं कि यह वह जगह है जहां पैसों का सबसे अधिक लेनदेन हो रहा है। हमने अपने निष्कर्षों में पाया है कि अधिक से अधिक वित्तीय सेवा संगठन धोखाधड़ी रोकथाम समाधान लागू कर रहे हैं लेकिन यह आराम करने का समय नहीं है। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था सुधर और खुल रही है, व्यवसायों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे उपभोक्ताओं को ऐसा सुरक्षित बाजार प्रदान करें जहां धोखाधड़ी की आशंका न हो। यह व्यवसायों से लेकर उपभोक्ताओं के हित में है।
लिए ट्रांसयूनियन के निष्कर्षों में असली पहचान की चोरी को वित्तीय सेवाओं में वैश्विक स्तर पर शीर्ष प्रकार की डिजिटल धोखाधड़ी पाया गया है क्योंकि उपभोक्ता पीड़ित के धोखाधड़ी करने के लिए चोरी की पहचान का उपयोग कर खुद को वास्तविक व्यक्ति साबित करता है। वित्तीय सेवाओं के ग्राहकों को वैश्विक स्तर पर डिजिटल धोखाधड़ी का दूसरे और तीसरे सबसे अधिक जिन प्रचलित प्रकारों का सामना करना पड़ता है, वह क्रमशः एप्स धोखाधड़ी और खाता अधिग्रहण है। प्रथम-पक्ष एप्लिकेशन धोखाधड़ी तब होती है जब कोई उपभोक्ता वैध रूप से किए गए ऋणों को चुकाने से इनकार करता है और ऋण से बचने के लिए पहचान धोखाधड़ी का शिकार होने का झूठा दावा करता है। खाता अधिग्रहण तब होता है जब किसी खाते के स्वामी के अलावा कोई अन्य व्यक्ति बिना अनुमति के खाते का उपयोग करता है, यह दर्शाता है कि खाते से दुर्भावनापूर्ण रूप से छेड़छाड़ की गई है।
श्री शालीन ने कहा, ‘दूसरे उद्योगों की तुलना में वित्तीय सेवाओं वाले उद्योग कहीं अधिक संदिग्ध धोखाधड़ी के प्रयासों का सामना कर रहे हैं। भारत में, वित्तीय सेवाओं में एक महत्वपूर्ण उछाल देखा गया। जालसाजों ने विशेष रूप से इस उद्योग में डिजिटल तेजी आने को पहचाना है और इसे भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। व्यवसायों के लिए मुख्य बात यह है कि धोखेबाज हर उद्योग के साथ समान व्यवहार नहीं करते हैं। वे अक्सर वर्ष के समय के आधार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक उद्योग चुनते हैं और देखते हैं कि कौन से व्यवसाय अधिक लेनदेन गतिविधि देख रहे हैं। कभी-कभी, धोखाधड़ी के प्रयास केवल रेंडम रूप से यह निर्धारित करने के लिए किए जाते हैं कि क्या व्यवसाय उनकी धोखाधड़ी वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।’