उत्तार भारत में 68% पुलिसकर्मियों को महामारी के बाद घरों में लूट-पाट में बढ़ोतरी की आशंका है – गोदरेज लॉक्सस की हर घर सुरक्षित रिपोर्ट 2020 में सामने आई यह बात

दिल्‍ली, 02 जुलाई, 2021-: गोदरेज ग्रुप की प्रमुख कंपनी गोदरेज एंड बॉयस के एक बिजनेस,  गोदरेज लॉक्‍स की ‘हर घर सुरक्षित रिपोर्ट 2020: सेफ्टी इनसाइट्स फ्रॉम इंडिया’ज़ पुलिस फोर्स’ से खुलासा हुआ है कि उत्‍तर भारत में 68% पुलिसकर्मियों का मानना है कि वहाँ लॉकडाउन पूरी तरह से हटने के बाद घरों में होने वाली चोरियाँ बढ़ेंगी। यह रिपोर्ट आगे बताती है कि 28% पुलिसकर्मियों का मानना है कि इंडिपेंडेंट होम्‍स या घर आधी रात के दौरान सबसे ज्‍यादा असुरक्षित हैं और आवासीय वर्ग को वाणिज्यिक वर्ग से ज्‍यादा जोखिम है। परिवार की आय और आर्थिक गतिविधियों में कमी के कारण सुविधा से वंचित लोग आय के गैर-कानूनी माध्‍यमों को अपनाने पर विवश हुए हैं। इनकॉग्निटो द्वारा किया गया शोध उत्‍तर भारत में घरों की संवेदीनशीलता पर प्रकाश डालता है और यह शोध उत्‍तर भारत के दिल्‍ली, जयपुर और लखनऊ जैसे शहरों में किया गया था।

यह रिपोर्ट देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में कोविड-19 के बाद हुए अपराधों का समग्र चित्रण प्रस्‍तुत करती है। यह रिपोर्ट बताती है कि 73% पुलिसकर्मियों का मानना है कि उत्‍तरी क्षेत्र में लोग सुरक्षा के पर्याप्‍त उपाय नहीं करते हैं, क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि वे लूट-पाट के लिये निशाना नहीं हैं। इसके अलावा, 90% पुलिसकर्मी इस बात पर भी सहमत हैं कि लोग अपने घर की सुरक्षा को खतरे की घटना के अनुभव के बाद ही गंभीरता से लेते हैं। पुलिसकर्मी छोटी चोरियों, वाहन की चोरियों और वाणिज्यिक प्रतिष्‍ठानों में सेंधमारी की बढ़त देख रहे हैं। अर्थव्‍यवस्‍था के धीरे-धीरे खुलने और लोगों के अपने काम पर लौटने के साथ, उनके घर सेंधमारी के लिये ज्‍यादा असुरक्षित होंगे। उत्‍तरी क्षेत्र में अलग घर और निजी अपार्टमेंट्स/ फ्लैट्स को इसका ज्‍यादा जोखिम है। 81% पुलिसकर्मियों ने देखा है कि लोग अपनी सुरक्षा के लिये पड़ोसियों/ घर के नौकरों/ चौकीदारों पर भरोसा करते हैं। इससे साबित होता है कि लोग अपनी सुरक्षा के लिये दूसरों पर निर्भर हैं, बजाए इसके कि वे खुद अपने घर की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी लेते हुए पूर्वसक्रिय रूप से उपाय करें।

इस सर्वे में अपने घर की सुरक्षा के लिये लोगों का चिंतामग्‍न रूख स्‍पष्‍ट होता है। 43% पुलिसकर्मी सोचते हैं कि घर की सुरक्षा के लिये ब्राण्‍डेड ताले सबसे महत्‍वपूर्ण हैं, लेकिन उन्‍हें अपनाने में विरोधाभास है। 86% पुलिसकर्मियों को लगता है कि होम सेफ्टी टेक्‍नोलॉजी सॉल्‍यूशंस पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की अत्‍यंत आवश्‍यकता है।

इस रिसर्च रिपोर्ट पर‍ अपनी बात रखते हुए, गोदरेज लॉक्‍स के एक्‍जीक्‍यूटिव वाइस-प्रेसिडेंट एवं बिजनेस हेड श्‍याम मोटवानी ने कहा, ‘’हर घर सुरक्षित 2020 रिपोर्ट भारत में घर की सुरक्षा की स्थिति के एक पारदर्शी विश्‍लेषण का हमारा प्रयास है। हमारी सुरक्षा के लिये भरोसेमंद संरक्षकों, यानि पुलिस से मिले इनपुट्स इसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बना देते हैं। उत्‍तरी क्षेत्र से मिले कुछ महत्‍वपूर्ण परिणाम यह हैं कि लोग खतरे का अनुभव होने पर ही घर की सुरक्षा को गंभीरता से लेना शुरू करते हैं। इसके अलावा, 63% पुलिसकर्मियों का मानना है कि उत्‍तर भारत के वरिष्‍ठ नागरिक सेंधमारी और लूट-पाट के लिये सबसे ज्‍यादा असुरक्षित हैं। यह शोध लोगों को उनके घरों की कमजोरी समझने में मदद देने के लिये हुआ था और उनसे अपनी सुरक्षा की जिम्‍मेदारी लेने का आग्रह करता है। हमें उम्‍मीद है कि उत्‍तरी क्षेत्र से मिली यह जानकारियाँ अपने घर की सुरक्षा बढ़ाने और होम सेफ्टी टेक्‍नोलॉजी सॉल्‍यूशंस को अपनाने में लोगों की सहायता करेंगी’’

हर घर सुरक्षित रिपोर्ट 2020 के हिस्‍से के तौर पर, गोदरेज लॉक्‍स ने पूरे भारत के पुलिस अधिकारियों का सर्वेक्षण किया था। इसमें घर की सुरक्षा पर लोगों के विचार और अपराधों पर कोविड-19 का प्रभाव बताया गया है। इस रिपोर्ट ने भारतीय घरों की कमजोरी पर प्रकाश डाला है और बताया है कि अलग घर और निजी अपार्टमेंट्स लूट-पाट के लिये ज्‍यादा असुरक्षित हैं। हालांकि, ज्‍यादातर लोग अपने घरों के लॉकिंग सिस्‍टम को बदलते या अपग्रेड नहीं करते हैं।

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