पुणे, 28 जुलाई 2021- देश की अग्रणी फार्मा कंपनियों में से एक एमक्योर फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने अपने निदेशक मंडल में विशिष्ट पेशेवर लोगों की नियुक्ति की है और इस तरह कंपनी ने अपनी लीडरशिप लाइन को और मजबूत करने का सिलसिला जारी रखा है। कंपनी ने हाल ही में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अनुभव रखने वाले चार स्वतंत्र निदेशकों को अपने निदेशक मंडल मंे शामिल किया है।
निदेशक मंडल में शामिल किए गए नए लोगों में डॉ. शैलेश अय्यंगार, श्री विजय गोखले, श्री हितेश जैन और डॉ. विद्या येरवडेकर के नाम हैं। इस वर्ष की शुरुआत में, श्री बर्जिस देसाई ने एमक्योर के निदेशक मंडल के चेयरमैन का पदभार संभाला था। कंपनी की 1997 से अपने स्वतंत्र निदेशकों में से एक को अध्यक्ष नियुक्त करने की एक लंबी परंपरा रही है।
एमक्योर का लक्ष्य भारत में सबसे तेजी से बढ़ती दवा कंपनियों में से एक के रूप में अपनी ताकत को और बढ़ाना है। कंपनी की वैश्विक पहुंच दुनिया भर के 70 से अधिक देशों में है। एमक्योर फार्मास्युटिकल्स के लिए लीडरशिप टीम में कुछ और अनुभवी लोगांे को शामिल करना कंपनी की विशेषज्ञता को समृद्ध करने और भविष्य के विकास के लिए इसके संचालन को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। लीगल, फार्मा स्पेक्ट्रम, नीतिगत विकास और अनुभवी शिक्षाविदों की नए सदस्यों के तौर पर नियुक्ति से एमक्योर फार्मा पहले से भी अधिक तेजी के साथ विकास की राह पर आगे बढ़ने में कामयाब रहेगी।
निदेशक मंडल में नई नियुक्तियों के बारे मंे जानकारी देते हुए एमक्योर फार्मास्युटिकल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ श्री सतीश मेहता ने कहा, ‘‘उच्च स्तर के दिग्गज लोगों को अपने निदेशक मंडल में शामिल करते हुए हमें खुशी का अनुभव हो रहा है। नए सदस्यों का संयुक्त अनुभव और उनके संबंधित क्षेत्रों से व्यापक दृष्टिकोण, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ने के लिए हमारे रणनीतिक संचालन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह संगठन के लिए एक रोमांचक समय है, और हम अपने नए सदस्यों के साथ नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं।’’
नए अध्यक्ष और बोर्ड के नए सदस्यों के बारे में
एमक्योर के चेयरमैन और स्वतंत्र निदेशक श्री बर्जिस देसाई तीन दशकों से अधिक समय से एमक्योर फार्मास्युटिकल्स से जुड़े हुए हैं। पिछले 37 वर्षों से लेन-देन और विवाद समाधान कानूनों का अभ्यास करने के बाद, श्री देसाई एक राष्ट्रीय कानूनी फर्म, जेएसए के प्रबंध भागीदार के रूप में सेवानिवृत्त हुए। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ लॉ श्री देसाई अब निजी क्लाइंट प्रैक्टिस में लगे एक स्वतंत्र कानूनी परामर्शदाता हैं। एक पूर्व पत्रकार, श्री देसाई एक अंशकालिक लेखक और स्तंभकार हैं।
डॉ. शैलेश अय्यंगार को अतिरिक्त निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्हें स्वास्थ्य और दवा के क्षेत्र में 34 वर्षों का व्यापक अनुभव है। डॉ अय्यंगार ने सनोफी में अपने नवीनतम कार्यकाल में प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया और वे भारत और दक्षिण एशिया के लिए अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व टीम और कंट्री चेयर के सदस्य रहे। लगभग 18 वर्षों तक उन्होंने फार्मास्युटिकल्स, स्पेशलिटी केयर, टीके, एनिमल हेल्थ और कंज्यूमर हेल्थकेयर सहित सनोफी समूह के सभी व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाया। 2002 में सनोफी में शामिल होने से पहले, डॉ अय्यंगार ने भारत और ग्रेट ब्रिटेन में स्मिथक्लाइन बीचम फार्मास्यूटिकल्स और जीएसके में 14 वर्षों के लिए वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। स्वास्थ्य सेवा के मामले में, डॉ अय्यंगार ने वैश्विक और राष्ट्रीय एम एंड ए गतिविधियों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साथ ही, उन्होंने देश और क्षेत्र में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली कंट्री चेयर्स के रूप में अपोलो शुगर क्लीनिक जैसी अभिनव साझेदारी का निर्माण किया था।
स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त श्री विजय गोखले 1981 से भारतीय विदेश सेवा में थे। श्री गोखले के पिछले राजनयिक कार्यों में हांगकांग, हनोई, बीजिंग और न्यूयॉर्क में पोस्टिंग शामिल है। उन्होंने विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान उप सचिव (वित्त), निदेशक (चीन और पूर्वी एशिया) और संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) के रूप में भी काम किया है। उनका जियो-पाॅलिटिकल विजन एमक्योर के भविष्य से जुड़ी संभावनाओं को एक अतिरिक्त आयाम प्रदान करता है।
स्वतंत्र निदेशक श्री हितेश जैन 1996 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के छात्र रहे हैं। वे परिनम लॉ एसोसिएट्स में मैनेजिंग पार्टनर हैं। उन्हें लिटिगेशन की सभी शाखाओं और कई क्षेत्रों के ग्राहकों का 24 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय, भारत के विभिन्न उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों (सिविल, आपराधिक और किराया अधिनियम के मामले), उपभोक्ता मंचों, प्रतिस्पर्धा आयोग और टीडीसैट आदि में ग्राहकों का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट वाणिज्यिक लेनदेन, बैंकिंग और श्रम मामलों के साथ-साथ विलय और अधिग्रहण जैसे कई मुद्दों पर ग्राहकों को सलाह दी है। वे कंपनियों को प्राथमिक और द्वितीयक बाजार में प्रतिभूतियों को इश्यू करना और उनकी डीलिंग के बारे में भी सलाह देते हैं।
डॉ विद्या येरवडेकर को सिम्बायोसिस सोसाइटी के प्रिंसिपल डायरेक्टर और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर के रूप में स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। उन्हें हासिल विभिन्न प्रशंसाओं और उपलब्धियों में से कुछ इस प्रकार हैं- उच्च शिक्षा पर फिक्की समिति के अध्यक्ष, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) ट्रस्ट के सदस्य और भारत सरकार, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (एसईपीसी) की केंद्रीय शासी परिषद के सदस्य।
डॉ. येरवडेकर के पास मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री है, साथ ही वे विधि स्नातक हैं और उन्होंने ‘इंटरनेशनलाइजेशन आॅफ हायर एजुकेशन इन इंडिया’ विषय पर पीएच.डी. की है।