गोदरेज एंड बॉयस ने सीआईआई और डब्लूऑडब्लूवएफ इंडिया के सहयोग में ‘इंडिया मैंग्रोव्स कोएलिशन’ के लॉन्चल की घोषणा की

मुंबई, 27 जुलाई, 2021: मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर, गोदरेज समूह की प्रमुख कंपनी गोदरेज एंड बॉयस ने सीआईआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सीआईआईसीईएसडी) और डब्‍लूडब्‍लूएफ इंडिया के सहयोग से इंडिया मैंग्रोव कोएलिशन लॉन्च करने की घोषणा की है। इस तरह कंपनी ने महत्वपूर्ण तटीय पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के लिए कॉर्पोरेट इंडिया की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान की है। यह नया प्लेटफॉर्म सीआईआई सदस्य कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा और अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से मैंग्रोव प्रबंधन और संरक्षण के लिए नए समाधानों की पहचान करने में मदद करेगा।

मैंग्रोव जैसे तटीय वन तेजी से बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग की समस्या और अन्य प्रतिकूल जलवायु संबंधित घटनाओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं। इन घटनाओं में दुनिया भर में बढ़ रहे तूफान और चक्रवाती गतिविधियां शामिल हैं जोकि जिंदगी और आजीविका को प्रभावित करती हैं। कार्बन को अवशोषित करने की उनकी अधिक क्षमता की वजह से मैंग्रोव को ब्लू कार्बनसिस्टम का नाम दिया गया है और मैंग्रोव वन न केवल स्थलीय जंगलों के रूप में पांच गुना अधिक कार्बन संग्रह के मामले में प्रमाणित साबित हुए हैं, बल्कि ये कार्बन को हजारों वर्षों की लंबी अवधि तक ट्रैप कर रखने की क्षमता रखते हैं। अगर दुनिया को 2050 तक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के अपने लक्ष्य को पूरा करना है, तो मैंग्रोव जैसे ब्लू कार्बन सिस्टम की कार्बन अवशोषण में बड़ी भूमिका होगी।

इंडिया मैंग्रोव्स कोएलिशन, सीआईआई के इंडिया बिजनस एंड बायोडायवर्सिटी इनिशिएटिव (आईबीबीआई) के तहत अपनी तरह का पहला उद्योगप्रवर्तित प्लेटफॉर्म है। यह ब्‍लू कार्बन सिस्‍टम के तौर पर अपने महत्‍व के आधार पर एक बहुहितधारक दृष्टिकोण के माध्यम से भारत के विशाल समुद्र तट पर अधिक से अधिक मैंग्रोव के संरक्षण और वृक्षारोपण का समर्थन और प्रचार करेगा।

इंडियन मैंग्रोव कोएलिशन के लॉन्च के मौके पर गोदरेज एंड बॉयस के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर जमशेद एन गोदरेज ने कहा,गोदरेज एंड बॉयस और सीआईआई और डब्‍लूडब्‍लूएफ इंडिया कई वर्षों से संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन हर दिन एक बड़ा खतरा पैदा कर रहा है, हमारा मानना है कि यह समय सभी हितधारकों के साथ व्यावहारिक बातचीत में शामिल होने का है ताकि प्रमुख ब्लू कार्बन सिस्टम जैसे मैंग्रोव वनों के संरक्षण और पोषण पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सके। इंडिया मैंग्रोव कोएलिशन तेजी से जागरूकता पैदा करने और लोगों को मैंग्रोव के बढ़ते महत्व के बारे में बताने की दिशा में काम करते हुए न केवल पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा बल्कि साथ ही मुंबई जैसे संवेदनशील तटीय शहरों को बड़े जलवायु खतरों से सुरक्षित करने की दिशा में भी काम करेगा।’’

सीआईआई की डिप्टी डायरेक्टर जनरल सीमा अरोड़ा ने कहा, एक प्रतिस्पर्धी और संवहनीय उद्योग को भारत के भावी विकास में एक प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए। साथ  ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के उभरते आकार में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। इसके लिए बिजनेस, समाज और सरकार के सभी स्तरों पर निर्णय लेने में प्रकृति को शामिल करने की आवश्यकता होगी। सीआईआई ने गोदरेज एंड बॉयस और डब्‍लूडब्‍लूएफ इंडिया जैसे संगठनों के साथ भागीदारी की है जोकि इस तरह के पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण से गहराई से जुड़े हुए हैं। ये सभी मिलकर नई दुनिया के लिए भारत का निर्माणकरने के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता, विकास, सस्‍टेनेबिलिटी और टेक्‍नोलॉजी को आगे बढ़ाने के लिए एक सहक्रियात्मक और मजबूत जुड़ाव के माध्यम से सभी संबंधित हितधारकों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। इस अवसर के तहत हम कारोबारों, विशेषज्ञों और महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जिससे मैंग्रोव संरक्षण को शामिल कर प्रकृति और जलवायु को लेकर सकारात्मक उपस्थिति बढ़ाने की दिशा में किए  जा रहे कार्यों की में तेजी लाई जा सके। यह भारत को यूएन डिकेड ऑफ इकोसिस्‍टम रिस्‍टोरेशन में नेतृत्व करने और योगदान करने का अवसर भी प्रदान करता है।

डब्‍लूडब्‍लूएफ इंडिया के डायरेक्‍टर डॉ. रवि सिंह ने कहा, “हमारे देश की तटीय रेखा बहुत बड़ी  है और यहां तेजी से दोबारा सृजन करने  एवं  प्रसार बढ़ाने  की क्षमता है। लेकिन  हमने मैंग्रेाव संरक्षण के  लिए पर्याप्‍त  प्रयास नहीं किए  हैं। हमें 2030 तक मैंग्रोव्‍स  की  बहाली जैसे लक्ष्‍यों  को  तय  करने और  इसके लिए साथ  मिलकर  काम  करने की जरूरत है। डब्‍लूडब्‍लूएफ सुंदरबनों  के  संरक्षण कार्य में  शामिल  हैं, और  इसने पहले  भी  गोदरेज एंड बॉयस के साथ काम  किया है।  आईबीबीआई का  सदस्‍य  होने  के  नाते, हमारा मानना है  कि  यह  कंसोर्टियम इस उद्देश्‍य को हासिल करने के लिए एक प्रभावी तरीका होगा।”

इंडिया मैंग्रोव्स कोएलिशन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित सरकार, अकादमिक और अन्य संगठनों के विशेषज्ञों के साथ जुड़कर नवीनतम वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को सामने लाना है। इससे सदस्यों को मैंग्रोव संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाने में मदद मिलेगी और उन्‍हें कई जानकारियां मिल सकेंगी।

इंडिया मैंग्रोव्स कोएिलशन को इंडोजर्मन बायोडाइवर्सिटी प्रोग्राम, जीआईजेड के निदेशक डॉ. रवींद्र सिंह की अध्यक्षता में एक सम्मेलन के साथ लॉन्च किया गया था। इसमें मैंग्रोव सेल महाराष्ट्र के एपीपीसीएफ डॉ वीरेंद्र तिवारीएमओईएफ एंड सीसी के अतिरिक्त सचिव रवि अग्रवाल, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के डायरेक्टर रवि सिंह, गोदरेज एंड बॉयस की एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर नायरिका होलकर और सीआईआई सीईएसडी की डिप्टी डायरेक्टर जनरल सीमा अरोड़ा समेत प्रमुख हितधारक शामिल थे।

इंडिया मैंग्रोव्स कोएिलशन के लॉन्च पर चर्चा किए गए प्रमुख विषयों में जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मैंग्रोव के महत्व पर अनुसंधान और अन्य अंतर्दृष्टि शामिल थीं। साथ ही इसमें व्यापार बिरादरी के प्रमुख हितधारकों, राज्य और स्थानीय सरकार के विशेषज्ञ, गैर सरकारी संगठन, शोधकर्ता और नागरिकों के एक अद्वितीय समूह को एक साथ लाने के लिए जरूरी समग्र रूपरेखा पर भी ध्‍यान दिया गया। यह परिभाषित उद्देश्यों, कार्य योजनाओं, पहलों, और मैंग्रोव अनुसंधान, साइट पर संरक्षण, जागरूकता, तटीय लचीलापन बनाने के लिए नीतिगत उपायों और पारिस्थितिक तंत्र बहाली विषय यूनाइटेड नेशंस के डिकेड ऑन इकोसिस्टम रेस्टोरेशन थीम को एकीकृत करने और सतत विकास में योगदान करने के लिए व्यावहारिक समाधानों लागू करने में मदद करेगा और साथ ही सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट गोल्‍स (एसडीजी) के मामले में भारत की प्रतिबद्धता को पूरी करने में सहायता पहुंचाएगा। इंडिया मैंग्रोव को‍एलिशन के तहत जीएंडबी सीआईआई और डब्‍लूडब्‍लूएफ के  साथ सदस्यों के लिए जागरूकता निर्माण सत्रों की एक श्रृंखला आयोजित करेगा। साथ ही एकीकृत दृष्टिकोण के लिए नए विचारों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी ताकि भारत में लंबे समय के लिए मैंग्रोव संरक्षण की दिशा में सहयोग किया जा सके।

प्रकृति के संरक्षण के साथसाथ औद्योगिक विकास को संतुलित करने की दिशा में गोदरेज एंड बॉयस (‘जीएंडबी‘) के के अग्रणी प्रयास वर्ष 1940 में स्वर्गीय सोहराबजी गोदरेज और नौरोजी गोदरेज के नेतृत्व में शुरू हुए थे। ठाणे क्रीक के पश्चिमी तट के साथ विक्रोली से मुंबई के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के एक खंड के संरक्षण की दिशा में इन प्रयासों को औपचारिक रूप देने के लिए वर्ष 1985 में सूनाबाई पिरोजशा गोदरेज फाउंडेशन की स्थापना की गई थी। दिवंगत डॉ. सलीम अली जैसे प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी, मशहूर वनस्पतिशास्त्री ए. के. गांगुली और ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉं. होमी भाभा जैसे संस्थापक सदस्‍यों के साथ वर्ष 1985 में ही सूनाबाई पिरोजशा गोदरेज मरीन इकोलॉजी सेंटर की स्थापना की गई थी ताकि मैंग्रोव को बचाने की दिशा में आसपास के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण पर आगे के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।

जीएंडबी और गोदरेज फाउंडेशन द्वारा संरक्षित मैंग्रोव 1997 में भारत का पहला आईएसओ 14001 प्रमाणित वन हैं। इस प्रमाणीकरण ने समयबद्ध, मापने योग्य प्रदर्शन संकेतक और संरक्षण पहल के लक्ष्यों को सुनिश्चित किया है। मुद्दों पर समर्पित ध्यान सुनिश्चित करने के लिए, गोदरेज एंड बॉयस ने कुशल पेशेवरों के साथ एक समर्पित वेटलैंड्स मैनेजमेंट सर्विसेज (WMS) संगठन की स्थापना की है और इन ब्लू कार्बन सिस्टम के महत्व के बारे में शैक्षणिक अनुसंधान को बढ़ावा देने, संरक्षण को बढ़ावा देने और जागरूकता पैदा करने की त्रि-आयामी रणनीति के साथ महत्वपूर्ण संरक्षण और नवीनीकरण की पहल कर रहा है।

कई हितधारकों के साथ काम करते हुए डब्ल्यूएमएस टीम ने पिछले छह वर्षों में तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 60,000 व्यक्तियों के साथ ऑन-साइट और ऑफ-साइट कार्यक्रमों के माध्यम से एक समर्पित मैंग्रोव मोबाइल ऐप, ऑनलाइन वेबिनार, कहानी की किताबें, पोस्टर प्रदर्शनियों का उपयोग किया है। साथ ही  www.mangroves.godrej.com पर मराठी में मैंग्रोव प्रश्नोत्तरी को जारी किया है ताकि क्षेत्रीय भाषाओं में पहुंच के माध्यम से जागरूकता को बढ़ावा दिया जा सके। सूनाबाई पिरोजशा गोदरेज फाउंडेशन ने ग्रेटर मुंबई नगर निगम के लिए अपनी दक्षिणी सीमा पर लगभग 80 एकड़ के अतिरिक्त मैंग्रोव वृक्षारोपण की योजना बनाई और उसे क्रियान्वित किया। यह भारत में बड़े पैमाने पर मैंग्रोव वृक्षारोपण के लिए अपनी तरह की पहली सफल सार्वजनिक-निजी भागीदारी थी।

 

संपादकों के लिए ध्‍यानार्थ :

मैंग्रोव एकमात्र “ट्रिपल विन” (तीन तरफा जीत) का समाधान हैं,  वे प्राकृतिक आपदाओं से मनुष्यों की रक्षा करते हैं, वर्षा वनों की तुलना में चार गुना अधिक कार्बन को अलग कर सकते हैं और मछली पकड़ने वाले समुदायों की आजीविका को बनाए रख सकते हैं। मैंग्रोव जटिल प्रदूषकों को पोषक तत्वों में तोड़ते हैं और इनका उपयोग अपने विकास के लिए करते हैं जिससे प्रदूषण का स्तर कम होता है। इनका घना जड़ तंत्र जल प्रदूषण को कम करने के लिए रासायनिक प्रदूषकों के लिए प्राकृतिक फिल्टर के रूप में कार्य करता है। साल्टमर्श और समुद्री घास के साथ मैंग्रोव केवल तीन समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों में से एक हैं और इसे वर्तमान में जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल द्वारा ऐसी कार्यप्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है जो किसी देश को अपने उत्सर्जन को कम करने में मदद करने के लिए औसत दर्जे का योगदान दे सकती है। कुल मिलाकर लगभग 33 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (2019 में दुनिया के उत्सर्जन का लगभग तीन-चौथाई) इस ब्लू-कार्बन सिस्टम में बंद है। मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र वर्तमान में लगभग 0.6 प्रतिशत प्रति वर्ष की अनुमानित दर से कम हो रहे हैं, जो पिछले प्रति वर्ष लगभग 1 से 2 प्रतिशत की नुकसान दर की तुलना में कम है।

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